देश में रोजगार परिदृश्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न श्रम बल संकेतकों के आधार पर सकारात्मक संकेत दे रहा है।
रोजगार संकेतक
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS): यह सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा वर्ष 2017-18 से आयोजित रोजगार/बेरोजगारी का आधिकारिक डेटा स्रोत है।
सर्वेक्षण की अवधि अगले वर्ष जुलाई से जून तक है।
वित्तीय वर्ष 2034-24: 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए सामान्य स्थिति पर अनुमानित बेरोजगारी दर (UR) 10.2% है।
श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR): इसे नियोजित जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है एवं इसकी गणना कार्यरत लोगों की संख्या को कामकाजी आयु की जनसंख्या से विभाजित करके तथा फिर 100 से गुणा करके की जाती है।
युवाओं के लिए इसमें वृद्धि हुई है, जो दर्शाता है कि रोजगार वर्ष 2017-18 में 31.4% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 41.7% हो गया है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) पेरोल डेटा: यह औपचारिक क्षेत्र के लिए रोजगार डेटा देता है।
वित्त वर्ष 2034-24: वर्ष 2023-24 के दौरान 1.3 करोड़ से अधिक निवल ग्राहक EPFO में शामिल हुए।
वर्ष 2017 से 2024: पिछले 8 वर्षों में कुल मिलाकर 7.03 करोड़ से अधिक शुद्ध ग्राहक EPFO में शामिल हुए हैं, जो रोजगार की औपचारिकता में वृद्धि का संकेत देता है।
श्रम बल भागीदारी दर (LFPR): यह आबादी का वह प्रतिशत है, जो या तो कार्य कर रहा है अथवा सक्रिय रूप से कार्य की तलाश में है।
गणना: दर की गणना श्रम बल को नागरिक गैर-संस्थागत आबादी से विभाजित करके एवं 100 से गुणा करके की जाती है।
श्रम बल नियोजित लोगों की संख्या एवं बेरोजगार लोगों की संख्या का योग है।
वित्तीय वर्ष 2023-2024
ग्रामीण क्षेत्र: वर्ष 2017-18 में यह 50.7% से बढ़कर 63.7% हो गया।
शहरी क्षेत्र: यह 47.6% से बढ़कर 52.0% हो गया।
महिला श्रम बल भागीदारी: यह सात वर्ष के उच्चतम स्तर 41.7% पर पहुँच गई।
पुरुष श्रम भागीदारी: यह सात वर्ष के उच्चतम 78.8% पर पहुँच गई।
वैश्विक औसत से नीचे: ILO की ग्लोबल रिपोर्ट ट्रेंड्स फॉर यूथ, 2022 के अनुसार, वर्ष 2021 में दुनिया भर में युवा बेरोजगारी दर 15.6 प्रतिशत थी।
ILO द्वारा विश्व रोजगार एवं सामाजिक आउटलुक रुझान, 2024: वैश्विक स्तर पर वर्ष 2023 में, युवा बेरोजगारी दर 13.3 प्रतिशत थी।
रोजगार एवं सामाजिक समता
सामाजिक समता को जनता की सेवा करने वाले संस्थानों के निष्पक्ष एवं उचित प्रबंधन और सार्वजनिक सेवाओं तथा नीति के समान वितरण के रूप में जाना जाता है एवं यह परिणामों के बजाय पहुँच, संसाधनों तथा अवसरों से संबंधित है।
समता बनाम समानता: समता, समानता से भिन्न है क्योंकि इसका मानना है कि सभी व्यक्ति एक ही स्थान से शुरुआत नहीं करते हैं एवं वंचित वर्गों को समान अवसर प्रदान करने के लिए सकारात्मक कार्यों की आवश्यकता है।
रोजगार एवं सामाजिक समता के बीच संबंध
रोजगार समता: रोजगार के अवसरों में समानता नीति निर्माताओं के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि बहिष्कृत एवं हाशिए पर रहने वाले लोगों को सम्मान, निष्पक्षता तथा समुदायों में शामिल किया जा सके।
शिक्षा: किसी व्यक्ति की पृष्ठभूमि, जैसे नस्ल, लिंग, पारिवारिक आय, या भौगोलिक स्थिति, उनकी शैक्षिक संभावनाओं को आकार दे सकती है, जो उनके रोजगार के अवसरों को प्रभावित कर सकती है।
सामाजिक अशांति: बेरोजगारी विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जुड़ी हो सकती है, जिनमें उच्च तलाक दर, उच्च आत्महत्या दर एवं शराब सेवन की उच्च घटनाएँ शामिल हैं।
सामाजिक न्याय: सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए श्रमिकों को जीविकोपार्जन योग्य वेतन एवं ऐसे वातावरण की आवश्यकता होती है, जिसमें अधिकारों की रक्षा तथा कार्यान्वयन किया जा सके।
रोजगार सृजन के लिए योजनाएँ
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP): यह एक केंद्रीय क्षेत्र की नई क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है जिसे खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS): यह एक सामाजिक कल्याण उपाय है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय ग्रामीण परिवार के कम-से-कम एक सदस्य के लिए न्यूनतम 100 दिनों का सुनिश्चित एवं गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ‘कार्य करने का अधिकार’ की गारंटी देना है।
पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY): यह भारत में ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) का एक कौशल प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट कार्यक्रम है, जो खुदरा, आतिथ्य, स्वास्थ्य, निर्माण, मोटर वाहन, चमड़ा, विद्युत, प्लंबरिंग, रत्न तथा आभूषण जैसे 250 से अधिक व्यापार क्षेत्रों को कवर करता है।
यह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) का हिस्सा है।
ग्रामीण स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थान (RSETIs): इन्हें राज्य सरकार के सक्रिय सहयोग से बैंकों द्वारा प्रबंधित किया जाता है एवं बेरोजगारी की समस्या को कम करने के लिए ग्रामीण BPL युवाओं के आवश्यक कौशल प्रशिक्षण तथा कौशल उन्नयन को सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
दीन दयाल अंतोदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM): शहरी गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार एवं कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुँचने में सक्षम बनाकर उनकी गरीबी तथा भेद्यता को कम करना।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY): यह सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को किफायती ऋण देने के लिए भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है। इसे उद्यमों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने के लिए डिजाइन किया गया है।
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