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मनरेगा कर्मियों का हटाया जाना

Lokesh Pal November 29, 2024 03:27 179 0

संदर्भ

पिछले कुछ वर्षों में मनरेगा जॉब कार्ड से नाम हटाए जाने वाले श्रमिकों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।

मनरेगा (MGNREGA) के बारे में

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) भारत के सामाजिक सुरक्षा तंत्र की आधारशिला है।
    • यह प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति वर्ष 100 दिनों के काम की कानूनी गारंटी प्रदान करता है। 
  • यह अधिकार अधिनियम में निहित है तथा जॉब कार्ड के माध्यम से क्रियान्वित किया जाता है, लेकिन श्रमिकों के नाम हटाए जाने की बढ़ती संख्या के कारण यह अधिकार लगातार कमजोर होता जा रहा है।

मनरेगा जॉब कार्ड के बारे में

  • मनरेगा जॉब कार्ड, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत ग्रामीण परिवारों को जारी किए जाने वाले आवश्यक दस्तावेज हैं। 
  • ये कार्ड अधिनियम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने एवं ग्रामीण परिवारों के लिए कार्य के अधिकार की गारंटी के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करते हैं।

मनरेगा जॉब कार्ड की मुख्य विशेषताएँ

  • विशिष्ट पहचान: प्रत्येक जॉब कार्ड को एक विशिष्ट पहचान संख्या दी जाती है।
  • विवरण: इसमें कार्य के लिए पात्र घर के सभी वयस्क सदस्यों के बारे में जानकारी शामिल है।
  • कार्य पात्रता: कार्डधारक को प्रति वर्ष 100 दिनों की गारंटीकृत रोजगार का अधिकार देता है।
  • वेतन संवितरण: किए गए कार्य, अर्जित मजदूरी एवं भुगतान विवरण रिकॉर्ड करता है।
  • निगरानी उपकरण: कार्य प्रगति को ट्रैक करने, वेतन भुगतान की निगरानी करने एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन का आकलन करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • ग्राम पंचायत द्वारा जारी: स्थानीय निकाय अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर पात्र परिवारों को मनरेगा जॉब कार्ड जारी करने के लिए उत्तरदायी हैं।

अधिक संख्या में जॉब कार्ड से नाम हटाए जाने के लिए उत्तरदायी कारक

  • पिछले चार वर्षों में आश्चर्यजनक रूप से 10.43 करोड़ श्रमिकों को हटा दिया गया है, जिसमें वर्ष 2022-23 में विशेष रूप से चिंताजनक वृद्धि होगी। 
  • हटाने का कारण: मनरेगा में आधार आधारित भुगतान प्रणालियों के कार्यान्वयन को श्रमिकों के नाम हटाए जाने से जोड़ा गया है। 
  • मनमाने ढंग से विलोपन: 100% आधार सीडिंग हासिल करने की जल्दबाजी में, फील्ड अधिकारियों ने शॉर्टकट का सहारा लिया, जिसमें उन श्रमिकों के जॉब कार्ड को हटाना भी शामिल था, जिन्हें तुरंत उनके आधार नंबर से जोड़ा नहीं जा सका था।
  • पारदर्शिता का अभाव: हटाने की प्रक्रिया अक्सर पारदर्शिता एवं उचित प्रक्रिया की कमी के कारण बाधित होती है। 
    • श्रमिकों को उचित सूचना या सुनवाई का अवसर दिए बिना जॉब कार्ड से हटा दिया गया है।
    • हटाने के लिए उद्धृत कारण, जैसे ‘काम करने के इच्छुक नहीं’ या ‘डुप्लिकेट आवेदक’, अक्सर मनमाने एवं अप्रमाणित लगते हैं।

मनरेगा एवं कार्य का अधिकार: DPSP की ओर एक कदम के रूप में

  • कानूनी ढाँचा: मनरेगा ग्रामीण परिवारों को काम करने का वैधानिक अधिकार प्रदान करता है।
  • रोजगार की गारंटी: एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों का वेतन रोजगार सुनिश्चित करता है। 
    • अनुच्छेद-41: कार्य, शिक्षा एवं सार्वजनिक सहायता का अधिकार।
  • वेतन रोजगार: रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है, विशेषकर कृषि के ऑफ-सीजन के दौरान। 
  • सामाजिक सुरक्षा तंत्र: विशेष रूप से वंचित समुदायों के लिए सामाजिक सुरक्षा तंत्र के रूप में कार्य करता है।
  • संपत्ति निर्माण: सड़कों, तालाबों एवं सिंचाई नहरों जैसी सार्वजनिक संपत्तियों के निर्माण के माध्यम से ग्रामीण विकास में योगदान देता है।
    • अनुच्छेद-43: जीवनयापन मजदूरी, कार्य की शर्तें।
  • ग्रामीण महिलाओं का सशक्तीकरण: कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
    • अनुच्छेद-42: कार्य एवं मातृत्व राहत की उचित एवं मानवीय स्थितियाँ।

ग्रामीण आजीविका पर प्रभाव

  • यह प्रवृत्ति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि इसका सीधा असर लाखों ग्रामीण परिवारों की आजीविका पर पड़ता है।
  • कार्य के अधिकार के क्षरण का ग्रामीण आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। 
  • जिन श्रमिकों का नाम जॉब कार्ड से हटा दिया गया है, वे रोजगार एवं सामाजिक सुरक्षा के अपने कानूनी अधिकार से वंचित हो गए हैं। 
  • यह कमजोर परिवारों को गंभीर गरीबी एवं खाद्य असुरक्षा की और ले जा सकता है।

कार्य करने का अधिकार बहाल करना

  • जवाबदेही एवं पारदर्शिता को मजबूत करना: कर्मचारियों के हटाए जाने पर नजर रखने एवं उचित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र लागू करना।
  • स्वतंत्र ऑडिट: अनियमितताओं की पहचान करने एवं उन्हें सुधारने के लिए मनरेगा कार्यान्वयन का नियमित, स्वतंत्र ऑडिट करना।
  • ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना: मनरेगा कार्यान्वयन की निगरानी एवं श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना।
  • सार्वजनिक जागरूकता एवं शिकायत निवारण: काम करने के अधिकार के बारे में जागरूकता बढ़ाना एवं प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।
  • डेटा संचालित निर्णय-निर्माण: मनरेगा कार्यान्वयन में सुधार करने एवं श्रमिकों को हटाने के रुझानों की पहचान करने के लिए प्रौद्योगिकी तथा डेटा विश्लेषण का लाभ उठाना।

लाभार्थी राज्य एवं आवंटन (रूपये में)

  • उत्तराखंड (139 करोड़), हिमाचल प्रदेश (139 करोड़),  आठ उत्तर-पूर्वी राज्य (378 करोड़), महाराष्ट्र (100 करोड़), कर्नाटक (72 करोड़), केरल (72 करोड़), तमिलनाडु (50 करोड़), पश्चिम बंगाल (50 करोड़)।

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