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मध्य प्रदेश में दो नए टाइगर रिजर्व

Lokesh Pal December 03, 2024 04:25 59 0

संदर्भ

मध्य प्रदेश में रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को आधिकारिक तौर पर टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया गया है और NTCA ने हाल ही में माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।

 रातापानी वन्यजीव अभयारण्य (Ratapani Tiger Reserve)

  • अवस्थिति: मध्य प्रदेश के रायसेन और सीहोर जिलों में फैला हुआ है।
    • यह राज्य के बाघ आवास का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और सतपुड़ा पर्वतमाला से बाघों के लिए प्रवास गलियारे के रूप में कार्य करता है।
  • बाघों की आबादी: यह लगभग 90 बाघों का घर है।
  • रिजर्व में खतरा: आवास अतिक्रमण और मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौतियाँ।
    • मानव-वन्यजीव संघर्ष
      • आवास क्षरण और अपर्याप्त शिकार के कारण बाघ अक्सर मानव बस्तियों में भटक जाते हैं। 
      • ग्रामीणों द्वारा बाघों के हमलों और प्रतिशोध में उनकी हत्या की रिपोर्टों ने इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर किया।
    • आवास क्षरण
      • बफर जोन में अतिक्रमण और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की मंजूरी ने पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा पैदा कर दिया। 
      • कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों और रेलवे लाइनों जैसी परियोजनाओं को बाघों के आवासों पर उनके प्रभाव का आकलन किए बिना मंजूरी दे दी गई।

बाघ संरक्षण के लिए प्रासंगिक विधियाँ और प्रावधान

  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: यह भारत में वन्यजीव संरक्षण को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कानून है, जिसमें बाघ संरक्षण भी शामिल है। 
  • वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2006: इस संशोधन ने बाघ संरक्षण के प्रावधानों को मजबूत किया और NTCA का गठन किया। 
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) नियम, 2009: ये नियम बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन के लिए प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों को रेखांकित करते हैं।

  • महत्त्व: यह अब मध्य प्रदेश का आठवाँ बाघ अभयारण्य है, जिससे राज्य की “भारत के बाघ राज्य” के रूप में प्रतिष्ठा और मजबूत हो गई है।

बाघ अभयारण्य को मान्यता देने की प्रक्रिया

  • संभावित क्षेत्रों की पहचान
    • पारिस्थितिकी मूल्यांकन: बाघों के लिए उपयुक्त आवास, शिकार आधार और जल स्रोतों वाले क्षेत्रों की पहचान करना।
    • वन्यजीव सर्वेक्षण: बाघों की आबादी और उनके वितरण का आकलन करने के लिए नियमित वन्यजीव सर्वेक्षण आयोजित करना।
    • मानव-वन्यजीव संघर्ष मूल्यांकन: मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की संभावना का मूल्यांकन करना।
  • प्रस्ताव प्रस्तुत करना
    • राज्य वन विभाग: राज्य वन विभाग, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को एक प्रस्ताव प्रस्तुत करता है।
    • प्रस्ताव विवरण: प्रस्ताव में प्रस्तावित क्षेत्र, कोर और बफर जोन, प्रबंधन योजना और मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिए शमन उपायों जैसे विवरण शामिल होने चाहिए।
  • NTCA स्वीकृति
    • तकनीकी जाँच: NTCA की तकनीकी समिति प्रस्ताव की व्यवहार्यता और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 तथा अन्य प्रासंगिक विनियमों के अनुपालन का आकलन करने के लिए इसकी समीक्षा करती है। 
    • सैद्धांतिक स्वीकृति: यदि प्रस्ताव उपयुक्त पाया जाता है, तो एनटीसीए सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान करता है।
  • अधिसूचना
    • राज्य सरकार की अधिसूचना: राज्य सरकार एक औपचारिक अधिसूचना जारी करके क्षेत्र को बाघ अभयारण्य घोषित करती है। 
    • राजपत्र अधिसूचना: अधिसूचना को कानूनी प्रभाव देने के लिए आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है।

रातापानी मामले में सामने आई चुनौतियाँ

  • नौकरशाही देरी: राज्य सरकार की नौकरशाही बाधाओं और तत्परता की कमी ने अधिसूचना प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न की। 
  • निहित स्वार्थ: क्षेत्र में खनन गतिविधियों और अन्य मानवीय दबावों ने बाघों के आवास के लिए खतरा पैदा किया।
  •  मानव-वन्यजीव संघर्ष: बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए प्रभावी उपाय आवश्यक थे। 
  • पर्याप्त शिकार आधार की कमी: बाघों के लिए पर्याप्त शिकार आधार सुनिश्चित करना इस रिजर्व की दीर्घकालिक व्यवहार्यता के लिए महत्त्वपूर्ण था। 
  • जनहित याचिका (PIL) की भूमिका: देरी के खिलाफ दायर जनहित याचिका ने अधिसूचना प्रक्रिया को तेज करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से मामले की गंभीरता उजागर हुई तथा राज्य सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव पड़ा।

भविष्य के संरक्षण प्रयास

  • सीमा निर्धारण: आगे अतिक्रमण को रोकने के लिए कोर और बफर जोन को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना।
  • शिकार-रोधी उपाय: शिकार-रोधी गश्त को मजबूत करना और रिजर्व में निगरानी बढ़ाना।
  • सामुदायिक सहभागिता: वन्यजीव-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग करना।
    • वन संसाधनों पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक आजीविका की पेशकश करना।
  • शिकार आधार बहाली: बाघों के लिए एक स्थायी शिकार आधार बनाने के लिए शाकाहारी जानवरों को फिर से लाना और वनस्पति की रक्षा करना।

माधव राष्ट्रीय उद्यान

  • अवस्थिति और भूगोल: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित, यह उद्यान लगभग 1,751 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें शामिल हैं:
  • वनस्पतियाँ: पार्क में शुष्क पर्णपाती वन हैं, जिनमें सागौन, साल और मिश्रित वनस्पतियाँ प्रमुख हैं।
  • जीव: उल्लेखनीय वन्यजीवों में शामिल हैं:
    • स्तनधारी: बाघ, तेंदुआ, साँभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और भालू। 
    • पक्षी: 200 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ, जिनमें सर्दियों के दौरान प्रवासी प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
  • संरक्षण: सफल बाघ प्रजनन कार्यक्रम, जिसके परिणामस्वरूप सितंबर 2024 में बाघ शावकों का जन्म हुआ, जो बाघ बहाली में महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। 
  • बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम: वर्ष 1990 में बाघों को फिर से लाया गया, जिसमें हाल ही में शावकों के जन्म से उल्लेखनीय प्रगति हुई, जो एक समृद्ध पर्यावरण का संकेत है। 
    • कार्यक्रम के दूसरे चरण का उद्देश्य बांधवगढ़, कान्हा और संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यानों से अतिरिक्त बाघों को लाना है। 
  • दीर्घकालिक विस्तार योजनाएँ: पार्क को पाँच वर्षों में 1,600 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में विकसित करने की योजना है, जिसमें आवास कनेक्टिविटी और शिकार बहाली पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

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