हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council-DAC) ने 21,772 करोड़ रुपये के पाँच पूँजी अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
खरीद प्रस्ताव में शामिल हैं:
‘न्यू वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट’ (New Water Jet Fast Attack Crafts): DAC ने भारतीय नौसेना के लिए 31 ‘न्यू वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट’ की खरीद के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (Acceptance of Necessity-AoN) प्रदान की।
कार्य: क्राफ्ट को कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन, निगरानी, गश्त और तट के करीब खोज एवं बचाव कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है।
‘फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट’ (Fast Interceptor Craft): 120 फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट की खरीद के लिए AoN प्रदान किया गया।
कार्य: ये जहाज कई भूमिकाएँ निभा सकते हैं जैसे- तटीय रक्षा के लिए विमान वाहक, विध्वंसक, फ्रिगेट और पनडुब्बियों जैसी उच्च मूल्य इकाइयों की सुरक्षा करना।
‘इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट’ (Electronic Warfare Suite-EWS): EWS में बाहरी हवाई स्व-सुरक्षा जैमर पॉड्स, अगली पीढ़ी के रडार चेतावनी रिसीवर और SU-30 MKI विमान के लिए संबंधित उपकरण शामिल हैं।
कार्य: यह प्रणाली SU-MKI की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाएगी और इसे दुश्मन के रडार से बचाएगी।
उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH): तटीय क्षेत्रों में तटीय सुरक्षा एवं निगरानी को मजबूत करने के लिए तटरक्षक बल के लिए छह ALH मरीन की खरीद के लिए AoN प्रदान किया गया।
T-72 और T-90 टैंकों, BMP और सुखोई लड़ाकू विमानों के इंजनों के ओवरहाल के लिए भी मंजूरी दी गई, जिससे इन परिसंपत्तियों की सेवा अवधि बढ़ जाएगी।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) के बारे में
रक्षा अधिग्रहण परिषद रक्षा मंत्रालय में तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना एवं वायु सेना) और भारतीय तटरक्षक बल के लिए नई नीतियों और पूँजी अधिग्रहण पर निर्णय लेने के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
अध्यक्ष: रक्षा मंत्री
स्थापना: वर्ष1999 के कारगिल युद्ध के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार की सिफारिशों पर वर्ष 2001 में इसका गठन किया गया था।
सदस्य: रक्षा राज्य मंत्री ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS), तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना, वायु) के प्रमुख रक्षा सचिव, एकीकृत स्टाफ समितियों के प्रमुख, रक्षा अनुसंधान एवं विकास सचिव।
सदस्य सचिव: ‘डिप्टी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (Dy. Chief of Defence Staff)
कार्य
पूँजी अधिग्रहण प्रस्तावों को ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति प्रदान करना।
अधिग्रहण प्रस्तावों को अनिवार्यता की स्वीकृति प्रदान करना।
‘खरीदना’, ‘खरीदना एवं बनाना’ तथा ‘बनाना’ से संबंधित अधिग्रहण प्रस्तावों का वर्गीकरण।
रक्षा खरीद प्रक्रिया
आवश्यकता की स्वीकृति (Acceptance of Necessity): सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा (वित्त) के परामर्श से ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ की प्रक्रिया में पहला कदम है और यह वित्त मंत्रालय/सुरक्षा पर कैबिनेट समिति के अंतिम विचार के लिए एक सिफारिश है।
DAC विचार-विमर्श के आधार पर रक्षा मंत्री का निर्णय कार्यान्वयन से रक्षा खरीद बोर्ड, रक्षा उत्पादन बोर्ड और रक्षा अनुसंधान एवं विकास बोर्ड तक प्रभावी रहता है।
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