हाल ही में लोकसभा ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 [Banking Laws (Amendment) Bill, 2024] को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (Investor Education and Protection Fund-IEPF) के बारे में
स्थापना: IEPF की स्थापना कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत की गई थी, जिसे कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 1999 द्वारा संशोधित किया गया था।
उद्देश्य: निवेशकों की जागरूकता को बढ़ावा देना और निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
प्रशासनिक प्राधिकरण: कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (भारत सरकार) के तहत संचालित निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (Investor Education and Protection Fund Authority-IEPFA) निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (IEPF) के प्रशासन के लिए जिम्मेदार है।
बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक के प्रमुख प्रावधान
नामित व्यक्तियों (Nominees) की संख्या में वृद्धि: यहविधेयक जमाकर्ताओं को एक साथ अधिकतम चार नामित व्यक्तियों को नामित करने की अनुमति देता है, जिसमें उनके शेयरों का अनुपात निर्दिष्ट होता है।
क्रमिक नामांकन (Successive Nomination): यह क्रमिक नामांकन विकल्प प्रस्तुत करता है, जिससे जमाकर्ता एक विशिष्ट क्रम में कई नामित व्यक्तियों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।
नामित व्यक्तियों से जमाकर्ता द्वारा निर्दिष्ट क्रम में निधियों का दावा करने के लिए संपर्क किया जाएगा।
शेयरधारिता में पर्याप्त हित: निदेशक पदों के लिए शेयरधारिता में ‘पर्याप्त हित’ निर्धारित करने की सीमा ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दी गई है।
सहकारी बैंकों के लिए प्रावधान: नियामक परिवर्तनों के साथ सामजस्य स्थापित करने के लिए सहकारी बैंकों में निदेशकों का कार्यकाल 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है।
केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को अब राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में सेवा करने की अनुमति होगी।
निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि (Investor Education and Protection Fund- IEPF): विधेयक में दावा न किए गए लाभांश, शेयर, ब्याज या बांड की मोचन राशि को IEPF में स्थानांतरित करने के प्रावधान शामिल हैं, यदि वे लगातार सात वर्षों तक दावा न किए गए हों।
व्यक्तियों को IEPF में स्थानांतरित की गई राशि या प्रतिभूतियों के लिए स्थानांतरण या रिफंड का दावा करने की अनुमति होगी।
नामित व्यक्ति (Nominee) के बारे में
नामित व्यक्ति, वह व्यक्ति होता है जिसे किसी अन्य व्यक्ति की ओर से लाभ या संपत्ति प्राप्त करने के लिए नामित किया जाता है। इस व्यक्ति को अक्सर सुविधा, गोपनीयता या कानूनी कारणों से चुना जाता है।
नामित व्यक्ति हो सकता है:
पारिवारिक सदस्य: जीवनसाथी, बच्चे या माता-पिता सामान्य विकल्प हैं।
विश्वसनीय मित्र: करीबी दोस्तों को नामांकित किया जा सकता है, अगर वे विश्वसनीय हों।
कानूनी संस्थाएँ: ट्रस्ट या कंपनियों को नामांकित किया जा सकता है।
नामांकित व्यक्तियों के सामान्य उपयोग
वित्तीय खाते: खाता प्रबंधन को सरल बनाने और खाताधारक की मृत्यु की स्थिति में परिसंपत्तियों के सुचारू हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है।
बीमा पॉलिसियाँ: एक लाभार्थी को नामित करना जो पॉलिसी की आय प्राप्त करेगा।
संपत्ति स्वामित्व: किसी अन्य व्यक्ति की ओर से संपत्ति रखना, प्रायः कर या गोपनीयता कारणों से।
कंपनी निदेशक पद (Company Directorships): कंपनी के हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त करना।
कानूनी निहितार्थ: नामांकित व्यक्ति के साथ समझौते स्पष्ट और कानूनी रूप से बाध्यकारी होने चाहिए।
कर संबंधी विचार: किसी विदेशी संस्था को नामांकित करने से कर संबंधी निहितार्थ हो सकते हैं।
गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: हालाँकि नामित व्यक्ति गोपनीयता प्रदान कर सकते हैं, लेकिन पारदर्शिता के साथ इसे संतुलित करना आवश्यक है।
नियामक अनुपालन: नामांकित व्यक्ति की व्यवस्था को प्रासंगिक कानूनों और विनियमों का अनुपालन करना चाहिए।
भारत में नामांकित व्यक्तियों के लिए कानूनी प्रावधान: भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 खाताधारक और नामांकित व्यक्ति के बीच कानूनी संबंधों को नियंत्रित करता है।
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, बीमा अधिनियम और कंपनी अधिनियम जैसे कई अन्य अधिनियमों में भी नामांकन से संबंधित प्रावधान हैं।
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