100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत-अफ्रीका संबंध: अफ्रीका का सामरिक महत्त्व

Lokesh Pal December 06, 2024 02:49 61 0

संदर्भ

पिछले महीने G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील जाते समय भारतीय प्रधानमंत्री नाइजीरिया भी गए। प्रधानमंत्री की नाइजीरिया यात्रा से अफ्रीकी देशों के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा मिला है।

संबंधित तथ्य

  • भारतीय प्रधानमंत्री को नाइजीरिया के दूसरे सबसे बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार, ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर (Grand Commander of the Order of the Niger) से सम्मानित किया गया। 
  • वर्ष 1969 के बाद से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बाद यह सम्मान पाने वाले वे दूसरे विदेशी गणमान्य व्यक्ति बन गए।

पश्चिम अफ्रीका के बारे में

  • पश्चिम अफ्रीका मुख्यतः एक राजनीतिक और आर्थिक पदनाम है और इसमें शामिल हैं:-
    • बेनिन (Benin), बुर्किना फासो (Burkina Faso), केप वर्डे (Cape Verde), गांबिया (Gambia), घाना (Ghana), गिनी (Guinea), गिनी-बिसाऊ (Guinea-Bissau), आइवरी कोस्ट (Ivory Coast), लाइबेरिया (Liberia), माली (Mali), मॉरिटोनिया (Mauritania), नाइजर (Niger), नाइजीरिया (Nigeria), सेनेगल (Senegal), सिएरा लियोन (Sierra Leone) और टोगो (Togo)।

नाइजीरिया का सामरिक महत्त्व

  • नाइजीरिया अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र है।
  • यह पश्चिम अफ्रीका में एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित है और अफ्रीकी संघ में महत्त्वपूर्ण प्रभाव रखता है।
  • नाइजीरिया को एक लोकतांत्रिक रोल मॉडल माना जाता है और इसने अफ्रीकी महाद्वीप के विवादों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई है।
  • यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग को आगे बढ़ाने और ‘ग्लोबल साउथ’ को मजबूत करने में भारत का एक प्रमुख भागीदार है।

भारत अफ्रीका तथ्य

   

भारत-अफ्रीका संबंध

  • ऐतिहासिक संबंध: भारत का उपनिवेशवाद और रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष तथा गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के माध्यम से विकासशील देशों की आवाज बनने का निरंतर प्रयास।
    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की स्थापना वर्ष 1961 में शीतयुद्ध के दौरान विकासशील देशों के हितों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी।
  • भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन: पहली बार वर्ष 2008 में नई दिल्ली में आयोजित, इसने अफ्रीकी राष्ट्रों के समूह के साथ समग्र रूप से व्यापक साझेदारी की तलाश करने के लिए भारत के प्रारंभिक कूटनीतिक प्रयासों को चिह्नित किया।
    • कंपाला सिद्धांत (Kampala Principles): वर्ष 2018 में रेखांकित ये समझौते भारत के इस महाद्वीप के साथ जुड़ाव के लिए मार्गदर्शक ढाँचे के रूप में कार्य करते हैं।
  • भारत-अफ्रीका व्यापार सहयोग: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी एक पेपर के अनुसार, वर्ष 2022 तक, भारत अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसका निर्यात 7 प्रतिशत ($32.3 बिलियन) और आयात 5 प्रतिशत ($28 बिलियन) था।
    • भारत और अफ्रीका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में बढ़कर 98 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष के 89.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।
    • अफ्रीका, अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (African Continental Free Trade Area -AfCFTA) के माध्यम से, भारत के अनुकूलन को सुनिश्चित करने के लिए इस संदर्भ में उचित नियम लागू कर रहा है।
    • इससे एक एकीकृत महाद्वीपीय बाजार उपलब्ध होगा, जिस तक भारतीय कंपनियाँ आसानी से पहुँच सकेंगी और उसका लाभ उठा सकेंगी – जिससे अफ्रीका के साथ भारत के जुड़ाव का दायरा और स्तर बढ़ सकता है।
    • रियायती वित्तपोषण: भारत ने 12.37 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के रियायती ऋण प्रदान किए हैं।
      • भारत सरकार ने 42 अफ्रीकी देशों को 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की 196 ऋण-व्यवस्थाएँ प्रदान की हैं।
  • बुनियादी ढाँचा: जापान के साथ साझेदारी में अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए भारत द्वारा एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (Asia Africa Growth Corridor-AAGC) शुरू किया गया।
    • अफ्रीका में भारत का संचयी निवेश वर्तमान में लगभग 75 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, जिसमें IT से लेकर महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र शामिल हैं।
  • रक्षा: पारस्परिक सहयोग के लिए नए क्षेत्रों की खोज करने हेतु भारत अफ्रीका रक्षा वार्ता (India Africa Defence Dialogue-IADD) को प्रत्येक दो वर्ष में एक बार आयोजित करने के लिए संस्थागत रूप दिया गया है। 
    • इसमें क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने जैसे व्यापक उद्देश्य शामिल हैं।
    • भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के रूप में कार्य कर रही है और अफ्रीका (कांगो गणराज्य, इथियोपिया-इरिट्रिया सीमा, सूडान और अन्य) में शांति स्थापना में भूमिका निभा रही है, बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रही है।
  • शिक्षा: पड़ोसी और अफ्रीकी देशों के छात्रों को आकर्षित करने के लिए ‘भारत में अध्ययन’ पहल की शुरुआत की गई।
    • भारत ने वर्ष 2015 के भारत अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (IAFS)-III के बाद से 42,000 छात्रवृत्तियाँ प्रदान की हैं।
    • युगांडा में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) और तंजानिया में IIT मुंबई के पहले विदेशी परिसर स्थापित किए गए।
  • भारत और अफ्रीका के बीच स्वास्थ्य और चिकित्सा पर्यटन: भारत वर्ष 2010 से 2019 तक अफ्रीका के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक था, जिसकी हिस्सेदारी 19 प्रतिशत थी।
    • जनवरी 2021 से मार्च 2023 तक 42 अफ्रीकी देशों को भारत में निर्मित कोविड-19 टीके निर्यात किए गए हैं।
    • भारत एक शीर्ष चिकित्सा पर्यटन स्थल बन गया है, जहाँ वर्ष 2020 में 19.5% अफ्रीकी पर्यटक चिकित्सा कारणों से भारत आए थे।
  • मानवीय सहायता: भारत ने खाद्यान्न की कमी, बाढ़ सहायता और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मानवीय सहायता प्रदान की है।
    • भारत ने खाद्य सुरक्षा में मदद के लिए मलावी को 1,000 मीट्रिक टन चावल, जांबिया को 1,300 मीट्रिक टन मक्का और जिम्बाब्वे को 1,000 मीट्रिक टन चावल भेजा।
    • भारत ने केन्या को बाढ़ राहत सहायता के रूप में 1 मिलियन डॉलर भी भेजे, जिसमें चिकित्सा सहायता, शिशु आहार, जल शोधन आपूर्ति आदि शामिल है।

काबिल (KABIL) के बारे में

  • काबिल (KABIL) का तात्पर्य खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (Khanij Bidesh India Limited) है, यह एक संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसका गठन भारत को महत्त्वपूर्ण खनिजों की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया गया था।
  • काबिल (KABIL) को वर्ष 2019 में कंपनी अधिनियम 2013 के तहत शामिल किया गया था।
  • यह तीन सरकारी उद्यमों के बीच एक संयुक्त उद्यम है: नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL), और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (MECL)।

अफ्रीका में भारत के लिए अवसर

  • द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार: कृषि, खनन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में व्यापार साझेदारी को मजबूत करना। अफ्रीका भारतीय फार्मास्यूटिकल्स के लिए एक महत्त्वपूर्ण गंतव्य है, जो इस क्षेत्र में भारत के निर्यात का लगभग 18.5% है।
    • बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश: अफ्रीका में सड़क, रेलवे और बिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए बुनियादी ढाँचे के विकास में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाना।
    • अफ्रीका को बुनियादी ढाँचे के लिए प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता है, जो भारतीय कंपनियों के लिए एक अप्रयुक्त बाजार प्रस्तुत करता है।
    • अडानी समूह ने केन्या इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन कंपनी के साथ 388 किलोमीटर लंबी हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन बनाने के लिए 736 मिलियन डॉलर का समझौता किया है।
  • महत्त्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करना: लीथियम और कोबाल्ट जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों तक पहुँच बढ़ाना, जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा और EV लक्ष्यों के लिए आवश्यक हैं।
    • अफ्रीका में दुनिया के ज्ञात महत्त्वपूर्ण खनिज भंडारों का 30% हिस्सा है और भारत ने पहले ही अर्जेंटीना में काबिल (KABIL) के लीथियम अन्वेषण समझौतों (अफ्रीकी भागीदारी के माध्यम से) जैसी साझेदारियाँ शुरू कर दी हैं।
  • खाद्य सुरक्षा और कृषि सहयोग: खाद्य आयात पर अफ्रीका की निर्भरता को दूर करने के लिए कृषि प्रौद्योगिकियों, खाद्य प्रसंस्करण और सिंचाई पर सहयोग करना।
    • अफ्रीका का खाद्य आयात बिल वर्ष 2022 में $43 बिलियन था, जबकि 282 मिलियन अफ्रीकी कुपोषित हैं, जो कृषि क्षेत्र में परिवर्तन की आवश्यकता को दर्शाता है।
  • अक्षय ऊर्जा सहयोग: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के अंतर्गत सौर और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ विकसित करना।
    • भारत ने अफ्रीका को सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए $2 बिलियन के सहयोग का आश्वासन दिया है। सौर ऊर्जा पहल अफ्रीका के 600 मिलियन लोगों तक विद्युत पहुँचाने में मदद कर सकती है, जो वर्तमान में विद्युत तक पहुँच से वंचित हैं।
  • डिजिटल परिवर्तन और स्टार्ट-अप: भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली, E-गवर्नेंस मॉडल और प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप का अफ्रीका में विस्तार करना।
    • अफ्रीका में 1.2 बिलियन से अधिक मोबाइल ग्राहक हैं, जो इसे UPI, आधार और Co-WIN प्लेटफॉर्म जैसे भारतीय डिजिटल समाधानों के लिए एक आकर्षक बाजार का गठन करता है।
  • स्वास्थ्य और दवा संबंधों को मजबूत करना: दवा निर्यात में वृद्धि करना और अफ्रीका में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे के विकास का समर्थन करना।
    • अफ्रीका के दवा आयात में भारतीय जेनेरिक दवाओं का हिस्सा 20% है। सस्ती दवाओं की बढ़ती माँग के कारण महाद्वीप का स्वास्थ्य सेवा बाजार वर्ष 2030 तक $259 बिलियन तक बढ़ने का अनुमान है।
  • राजनीतिक और रणनीतिक गठबंधन: भारत के कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करना और WTO और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर अफ्रीकी देशों का समर्थन करना।
    • भारत ने G20 में अफ्रीकी संघ की स्थायी सदस्यता हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने अफ्रीकी हितों के लिए वैश्विक अधिवक्ता के रूप में अपनी भूमिका का प्रदर्शन किया।

अफ्रीका में चीनी भागीदारी

आर्थिक संबंध

  • व्यापार: अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार, जिसका व्यापार वर्ष 2023 में 282 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा। यह व्यापार मुख्य रूप से अफ्रीका के प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों जैसे तेल, खनिज और कृषि उत्पादों द्वारा संचालित होता है।
  • निवेश: अफ्रीका में एक प्रमुख निवेशक के रूप में उभरा, विशेष रूप से सड़क, रेलवे, बंदरगाह और बाँध जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में। यह निवेश, चीनी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों से ऋण और प्रत्यक्ष निवेश के माध्यम से सुगम बनाया गया है।
    • वर्ष 2024 में बीजिंग में 9वाँ चीन-अफ्रीका सहयोग पर फोरम (Forum on China-Africa Cooperation-FOCAC) अफ्रीका में उभरते रणनीतिक दृष्टिकोण में महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है और भारत के लिए अफ्रीका के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत करने के अवसर प्रस्तुत करता है।
  • ऋण: हालाँकि चीन के निवेश ने कुछ अफ्रीकी देशों में आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है, इसने ऋण स्थिरता के बारे में चिंताएँ भी उत्पन्न की हैं।

राजनीतिक प्रभाव

  • कूटनीति: कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से अफ्रीकी देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना, मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना। यह जुड़ाव अक्सर घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने और आपसी सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होता है।
  • सॉफ्ट पॉवर: अफ्रीका में अपनी सॉफ्ट पॉवर को बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सहायता कार्यक्रमों और मीडिया आउटरीच का उपयोग किया। इसमें कन्फ्यूशियस इंस्टिट्यूट (Confucius Institutes) और अफ्रीकी छात्रों को चीन में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति जैसी पहल शामिल हैं।
  • सुरक्षा सहयोग: कुछ अफ्रीकी देशों के साथ सुरक्षा सहयोग में शामिल, सैन्य उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करना।

नाइजीरिया-चीन संबंध

  • नाइजीरिया की सीमाओं के भीतर 200 से ज्यादा चीनी कंपनियाँ कार्य कर रही हैं।
  • चीन ने नाइजीरिया में 22 बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में 47 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जिसमें लेक्की डीप सी पोर्ट (Lekki Deep Sea Port), अबुजा लाइट रेल (Abuja Light Rail) और एयरपोर्ट टर्मिनल विस्तार (Airport Terminal Expansions) शामिल हैं।
  • मार्च 2020 तक, नाइजीरिया पर चीनी ऋणों में 3.121 बिलियन डॉलर बकाया था, जो उसके बाहरी ऋण का 11.28% था।
  • चीनी प्रौद्योगिकी कंपनी हुआवेई (Huawei) की नाइजीरिया में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है, जिसने 2,000 से अधिक नाइजीरियाई युवाओं और 1,000 सिविल सेवकों को साइबर सुरक्षा और संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया है।
  • चीन नाइजीरिया के खनन क्षेत्र में भी सक्रिय है और देश का पहला लीथियम-प्रसंस्करण संयंत्र (Lithium-Processing Plant) बना रहा है।

भारत-अफ्रीका संबंधों में चुनौतियाँ

  • सीमित व्यापार एकीकरण: अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के बावजूद, भारत-अफ्रीका व्यापार केवल $90.5 बिलियन (2022-23) है, जबकि चीन-अफ्रीका व्यापार वर्ष 2021 में $250 बिलियन से अधिक हो गया।
    • अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) के अंतर्गत अफ्रीका का अंतर-क्षेत्रीय व्यापार अपार संभावनाएँ प्रदान करता है, लेकिन इन ढाँचों में भारत की भागीदारी सीमित है।
  • भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: अफ्रीका चीन और अमेरिका जैसी वैश्विक शक्तियों के लिए एक युद्ध का मैदान बन गया है, जो संसाधनों और बाजारों तक पहुँच के लिए प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
    • अफ्रीका भर में चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) ने केन्या और इथियोपिया में रेलवे जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है, जिसमें भारत पिछड़ रहा है।
    • केन्या ने अमेरिकी रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों के बाद अदानी समूह के साथ कई मिलियन डॉलर के हवाई अड्डे के विस्तार और ऊर्जा सौदों को रद्द कर दिया।
  • शासन और सुरक्षा मुद्दे: अफ्रीका को राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर साहेल क्षेत्र में।
    • वर्ष 2020 और वर्ष 2023 के बीच, सूडान, नाइजर और बुर्किना फासो सहित सात अफ्रीकी देशों में 9 राजनीतिक तख्तापलट हुए, जिससे राजनयिक संबंध जटिल हो गए।
  • विकास सहयोग का सीमित प्रभाव: भारत की ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ (LoC) और क्षमता निर्माण पहलों में अक्सर रणनीतिक एकीकरण की कमी होती है, जिससे उनका प्रभाव सीमित हो जाता है।
    • पैन-अफ्रीकन E-नेटवर्क जैसी परियोजनाओं ने कनेक्टिविटी में सुधार किया है, लेकिन गरीबी या खाद्य असुरक्षा जैसी बड़ी प्रणालीगत चुनौतियों का समाधान करने में विफल रही हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा और दवा संबंधी चुनौतियाँ: भारत, अफ्रीका के 62% दवा आयात की आपूर्ति करता है, लेकिन कोविड-19 ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में कमजोरियों को उजागर किया है।
    • आपूर्ति शृंखला में व्यवधान के कारण अफ्रीकी देशों को टीकों और दवाओं तक पहुँचने में अत्यधिक देरी का सामना करना पड़ा है।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक बाधाएँ: भारत में अफ्रीकी छात्रों के साथ भेदभाव की घटनाएँ और शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में शिकायतें सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान में बाधा डालती हैं।
    • हालाँकि 95,000 अफ्रीकी छात्र चीन में अध्ययन करते हैं, जबकि भारत की ‘भारत में अध्ययन’ पहल अफ्रीकी छात्रों की महत्त्वपूर्ण संख्या को आकर्षित करने में विफल रही है।
  • जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा: अफ्रीका की 282 मिलियन कुपोषित आबादी (2022) और बढ़ती जलवायु संबंधी आपदाओं पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ में भयंकर सूखा पड़ रहा है, जिससे खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है और भारत को मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

आगे की राह

  • आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना: नवीकरणीय ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके व्यापार पोर्टफोलियो में विविधता लाना।
  • सहभागिता को मजबूत करना: पिछला भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (India Africa Forum Summit-IAFS), 2015 में आयोजित किया गया था। भारत को अपनी अध्यक्षता में G20 में अफ्रीकी संघ के शामिल होने का लाभ उठाने के लिए जल्द ही IAFS-IV का आयोजन करना चाहिए।
    • भारत-अफ्रीकी संघ ट्रैक 1.5 वार्ता आपसी चिंताओं को दूर करने में मदद कर सकती है, जिसमें अदीस अबाबा (अफ्रीकी संघ की सीट) IAFS-IV के लिए संभावित मेजबान के रूप में शामिल है।
    • नई दिल्ली में अफ्रीकी संघ (AU) का क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने से नियमित परामर्श की सुविधा होगी।
  • सुरक्षा सहयोग बढ़ाना: आतंकवाद-रोधी, समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाना।
  • खाद्य और स्वास्थ्य सेवा संबंधी आवश्यकताओं को संबोधित करना: टिकाऊ कृषि पर अफ्रीकी देशों के साथ साझेदारी करना और अफ्रीका के भीतर दवा निर्माण को बढ़ावा देना।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों का लाभ उठाना: भारत और चुनिंदा अफ्रीकी देशों में विश्वविद्यालयों, थिंक टैंकों, नागरिक समाज और मीडिया संगठनों के बीच अधिक-से-अधिक संपर्क की आवश्यकता है।
    • भारत में अफ्रीकी अध्ययन के लिए राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना की जाएगी तथा अफ्रीकी छात्रों के लिए वीजा नीतियों को सुगम बनाया जाएगा।
  • त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग: अफ्रीका की विकासात्मक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (IBSA) कोष जैसी त्रिपक्षीय पहल को बढ़ावा देना।
  • सतत् विकास पहल: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से अक्षय ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देना।
  • भारत की डिजिटल ताकत का लाभ उठाना: भारत के डिजिटल स्टैक (जैसे- UPI, बायोमेट्रिक्स, जनधन तकनीक) को अफ्रीकी देशों में दोहराया जा सकता है।
    • UPI और RuPay सेवाएँ मॉरीशस में पहले से ही चल रही हैं, केन्या, नामीबिया, घाना और मोजांबिक जैसे देश इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
  • औद्योगीकरण और मूल्य संवर्द्धन के लिए समर्थन: भारत को कृषि, फार्मास्यूटिकल्स और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में उच्च मूल्य-वर्द्धित निवेश बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • भारतीय कंपनियाँ विनिर्माण आधार स्थापित करके, कृषि मशीनीकरण, खाद्य प्रसंस्करण और कोल्ड स्टोरेज अवसंरचना को बढ़ावा देकर योगदान दे सकती हैं।

निष्कर्ष 

भारत-अफ्रीका संबंधों में आपसी विकास को बढ़ावा देने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएँ हैं। मौजूदा चुनौतियों का समाधान करके और व्यापार, सुरक्षा तथा विकास में रणनीतिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करके, दोनों क्षेत्र एक लचीली एवं समावेशी साझेदारी का निर्माण कर सकते हैं, जो उनकी आबादी को लाभ पहुँचाए और एक संतुलित वैश्विक व्यवस्था में योगदान दे।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.