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भारतीय वायुयान विधेयक संसद से पारित

Lokesh Pal December 07, 2024 01:47 38 0

संदर्भ

हाल ही में संसद ने भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पारित किया है, जिसका उद्देश्य विमानन कर्मियों को लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं में कुछ राहत प्रदान करना है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत संगठनात्मक संरचना

  • नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA): नागरिक उड्डयन सुरक्षा को विनियमित करता है, लाइसेंस जारी करता है तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन की देखरेख करता है।
    • DGCA अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के साथ सभी विनियामक कार्यों का समन्वय भी करता है।
  • ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS): यह विमानन सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने, सुरक्षा उपायों को विकसित करने तथा उनके कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिए एक वैधानिक निकाय है।
  • एयरपोर्ट इकॉनोमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AERA): प्रमुख हवाई अड्डों पर वैमानिकी सेवाओं के लिए टैरिफ और अन्य शुल्कों को विनियमित करता है, निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करता है।
  • एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI): संपूर्ण भारत में हवाई अड्डों का प्रबंधन और संचालन करता है, सुरक्षित हवाई नेविगेशन सेवाएँ सुनिश्चित करता है।
  • विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB): सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने के लिए विमानन दुर्घटनाओं की जाँच करता है।

भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 की मुख्य विशेषताएँ

  • विमान अधिनियम, 1934 का प्रतिस्थापन: विधेयक का उद्देश्य विमान अधिनियम, 1934 का स्थान लेना है।
    • यह विधेयक अधिनियम के तहत विनियामक संरचना को बनाए रखता है।
    • विमान अधिनियम, 1934 भारत में एक आधारभूत कानून है, जो विमान के निर्माण, उपयोग, संचालन और सुरक्षा को नियंत्रित करता है।
  • विधेयक में प्रमुख विमानन नियामक निकायों को बरकरार रखा गया है: अधिनियम में निम्नलिखित की स्थापना की गई है:
    • सुरक्षा की देखरेख और विनियामक कार्यों के निष्पादन के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA), 
    • सुरक्षा की देखरेख के लिए ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS)
    • दुर्घटनाओं की जाँच के लिए विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB)
      • केंद्र सरकार इन निकायों पर अधीक्षण करेगी।
      • वह उनके आदेशों की समीक्षा या संशोधन कर सकती है।
      • विधेयक में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।
  • विमान से संबंधित गतिविधियों का विनियमन: विधेयक में विमान के डिजाइन को विनियमित करने की शक्ति दी गई है, साथ ही उन स्थानों को भी विनियमित करने की शक्ति दी गई है, जहाँ उन्हें डिजाइन किया जा रहा है, साथ ही उनके निर्माण, मरम्मत और रखरखाव के लिए प्रावधान भी बनाए रखे गए हैं।
  • अपराध और दंड: अपराधों में शामिल हैं:
    • विमान को खतरनाक तरीके से उड़ाना, 
    • विमान में हथियार या विस्फोटक ले जाना, 
    • हवाई अड्डों के पास कचरा फेंकना या हिंसा करना।
      • इनमें तीन वर्ष तक का कारावास, एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना, अथवा दोनों का प्रावधान है।
  • द्वितीय अपील प्रावधान की शुरुआत: विधेयक में इसके अंतर्गत नियमों का उल्लंघन करने पर दंड लगाने से संबंधित निर्णयों के विरुद्ध द्वितीय अपील का प्रावधान किया गया है।
  • लाइसेंसिंग जिम्मेदारियों का DGCA को हस्तांतरण: विधेयक में रेडियो टेलीफोन ऑपरेटर प्रतिबंधित (RTR) प्रमाण-पत्र और लाइसेंसिंग प्रक्रिया की जिम्मेदारी दूरसंचार विभाग (DoT) से लेकर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को सौंप दी गई है।
    • यह परिवर्तन एकल-विंडो क्लियरेंस सिस्टम का निर्माण करता है, जो विमान रखरखाव इंजीनियरों, उड़ान प्रेषकों और पायलटों सहित विमानन कर्मियों के लिए प्रमाणन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करता है।
  • लाइसेंसिंग परीक्षाओं में भ्रष्टाचार पर ध्यान देना: RTR परीक्षा को DGCA के अधिकार क्षेत्र में लाकर, विधेयक का उद्देश्य दूरसंचार विभाग से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटना है, जहाँ प्रशिक्षु पायलटों सहित उम्मीदवारों से कथित तौर पर भारी रिश्वत की माँग की जाती थी।

भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 के मुख्य मुद्दे

  • DGCA, सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण: DGCA को विनियामक कार्यों और सुरक्षा निरीक्षण का दायित्व सौंपा गया है तथा यह केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण के अधीन कार्य करता है।
    • सरकार DGCA के आदेशों को संशोधित या रद्द कर सकती है और DGCA को दिए गए उसके निर्देश बाध्यकारी हैं।
    • विधेयक में यह स्पष्ट नहीं किया गया है:
      • महानिदेशक के लिए योग्यताएँ।
      • पद के लिए चयन प्रक्रिया।
      • महानिदेशक की सेवा का कार्यकाल।
    • दूरसंचार, बिजली और बीमा जैसे क्षेत्रों के अन्य स्वतंत्र नियामकों के विपरीत, DGCA में स्वायत्तता का अभाव है और यह एक सरकारी विभाग की तरह कार्य करता है।
  • सरकार द्वारा मध्यस्थ नियुक्त करने का अधिकार समानता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है:
    • अधिनियम सरकार को हवाई अड्डों के पास संरचनाओं को ध्वस्त करने या संशोधित करने का निर्देश देने की अनुमति देता है और मुआवजा भी प्रदान करता है।
      • यदि कोई समझौता नहीं होता है, तो सरकार एक मध्यस्थ नियुक्त करती है, जिसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के लिए योग्य होना चाहिए।
    • विधेयक में विशेष रूप से कहा गया है कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 विधेयक के तहत मध्यस्थता पर लागू नहीं होगा।
      • मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 आमतौर पर भारत में मध्यस्थता प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
    • सर्वोच्च न्यायालय (2024) ने फैसला सुनाया कि एक पक्ष द्वारा मध्यस्थों की एकतरफा नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करती है।
  • कार्यकारी नियमों के माध्यम से आपराधिक दंड: विधेयक, केंद्र सरकार को कुछ नियमों के उल्लंघन के लिए आपराधिक दंड आरोपित करने का अधिकार देता है।
    • कार्यपालिका को ऐसा अधिकार सौंपना, शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन हो सकता है, क्योंकि आपराधिक अपराधों और दंडों पर निर्णय विधानमंडल को लेना चाहिए।

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