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अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट (AGWP)

Lokesh Pal December 07, 2024 03:27 36 0

संदर्भ

रियाद में आयोजित संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UN Convention to Combat Desertification- UNCCD) के 16वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP16) में, भारत ने अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट (Aravalli Green Wall Project- AGWP) प्रस्तुत किया।

अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट (AGWP) 

  • AGWP भारत सरकार द्वारा अरावली रेंज में बंजर भूमि को पुनर्स्थापित करने के लिए वर्ष 2019 में शुरू की गई एक बड़े पैमाने पर वनीकरण पहल है।
  • प्रेरणा: यह परियोजना अफ्रीका की ‘ग्रेट ग्रीन वॉल पहल’ से प्रेरित है। इसे केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • भौगोलिक दायरा: अरावली हिल रेंज के चारों ओर 5 किमी. के बफर जोन को हरा-भरा करने का लक्ष्य है। इसमें हरियाणा, राजस्थान, गुजरात एवं दिल्ली राज्य शामिल हैं।
  • उद्देश्य
    • बंजर भूमि को पुनर्स्थापित करना: वर्ष 2027 तक 1.15 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को पुनर्स्थापित करना।
    • मरुस्थलीकरण से निपटना: थार रेगिस्तान के पूर्व की ओर विस्तार को रोकना एवं भूमि क्षरण को कम करना।
    • पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना: अरावली रेंज की जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाना।
    • जलवायु परिवर्तन को कम करना: कार्बन को पृथक करना एवं वायु गुणवत्ता में सुधार करना।
    • जल संसाधनों का संरक्षण करना: भूजल पुनर्भरण एवं मिट्टी की नमी संरक्षण के माध्यम से जल की गुणवत्ता एवं मात्रा में सुधार करना।
    • ‘ग्रीन जॉब्स’ उत्पन्न करना: वनीकरण, संरक्षण एवं संबंधित गतिविधियों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
    • सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना: स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए परियोजना में स्थानीय समुदायों को शामिल करना।

अरावली रेंज 

  • यह प्रीकैम्ब्रियन युग के दौरान निर्मित हुई एक पुरानी वलित पर्वत शृंखला है, जो इसे दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत शृंखलाओं में से एक बनाती है।
  • विस्तार: राजस्थान, गुजरात, हरियाणा एवं दिल्ली राज्यों तक विस्तारित है।
  • उच्चतम चोटी : राजस्थान में गुरु शिखर इसकी सबसे ऊँची चोटी है।
  • अपवाह तंत्र: अरावली पर्वतमाला भारत की नदी प्रणाली में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन पहाड़ियों से होकर यमुना, लूनी एवं साहिबी जैसी नदियाँ बहती हैं।
  • वर्तमान स्थिति: लाखों वर्षों में व्यापक क्षरण के कारण, इसके उच्चावच में अपेक्षाकृत कमी आई है।
    • यह एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक क्षेत्र है, जो विविध वनस्पतियों एवं जीवों का समर्थन करता है।
    • यह क्षेत्र वनों की कटाई, खनन एवं शहरीकरण जैसी चुनौतियों का सामना करता है।
    • इसकी जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी महत्त्व की रक्षा के लिए संरक्षण के प्रयास चल रहे हैं।

‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ पहल 

  • ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ अफ्रीकी नेतृत्व वाली एक बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में मरुस्थलीकरण से निपटना एवं बंजर भूमि को पुनर्स्थापित करना है।
  • स्थापना: यह पहल वर्ष 2007 में अफ्रीकी संघ द्वारा शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य सेनेगल से जिबूती तक पूरे महाद्वीप में वृक्षों की एक शृंखला निर्मित करना था।
  • उद्देश्य: प्राथमिक उद्देश्य 100 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करना, लाखों हरित नौकरियाँ पैदा करना एवं लाखों लोगों की आजीविका में सुधार करना है।
  • प्रभाव: ग्रेट ग्रीन वॉल से जलवायु परिवर्तन शमन, जैव विविधता संरक्षण और खाद्य सुरक्षा पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। यह कार्बन को पृथक करने, जल संसाधनों की रक्षा करने और मृदा की उर्वरता में सुधार करने में मदद करेगा।

संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) 

  • UNCCD मरुस्थलीकरण एवं सूखे के प्रभावों को संबोधित करने के लिए स्थापित एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी ढाँचा है।
  • स्थापना: UNCCD को वर्ष 1994 में अपनाया गया एवं यह वर्ष 1996 में लागू हुआ।
    • यह UNFCCC एवं CBD के साथ तीन रियो सम्मेलनों में से एक है।
  • कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP): इसमें 197 पक्षकार हैं, जिनमें 196 देश एवं यूरोपीय संघ शामिल हैं।
    • भारत इस अभिसमय के शुरुआती पक्षकारों में से एक है।
  • उद्देश्य: UNCCD का लक्ष्य मरुस्थलीकरण एवं भूमि क्षरण से निपटना तथा सूखे के प्रभाव को कम करना है।
    • यह शुष्क भूमि पर ध्यान केंद्रित करता है, जो पृथ्वी की भूमि की सतह के 40% से अधिक हिस्से को कवर करती है।
    • यह स्थायी भूमि प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
    • यह सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के कार्यान्वयन का समर्थन करता है।
  • UNCCD का COP16
    • विषय: हमारी भूमि, हमारे भविष्य (Our Land. Our Future)।
    • मुख्य केंद्रित क्षेत्र
      • भूमि पुनर्स्थापन में तेजी लाना।
      • सूखे की तैयारी, प्रतिक्रिया एवं लचीलेपन को बढ़ावा देना।
      • यह सुनिश्चित करना कि भूमि जलवायु एवं जैव विविधता समाधान प्रदान करना।
      • रेत एवं धूल भरी आँधी के प्रतिरोध को बढ़ाना।

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