राष्ट्रीय विधिक माप विज्ञान पोर्टल (National Legal Metrology Portal-eMaap) को उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा विकसित किया जा रहा है, ताकि राज्य विधिक माप विज्ञान विभागों और उनके पोर्टलों को एकीकृत राष्ट्रीय प्रणाली में एकीकृत किया जा सके।
राष्ट्रीय विधिक माप विज्ञान पोर्टल (eMaap) के बारे में
उद्देश्य: लाइसेंस जारी करने, सत्यापन करने एवं प्रवर्तन तथा अनुपालन के प्रबंधन के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना।
महत्त्व
डेटाबेस: eMaap एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाएगा एवं कई राज्य पोर्टलों पर पंजीकरण करने की आवश्यकता को समाप्त करेगा, व्यापार करने में आसानी तथा व्यापार प्रथाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।
सरलीकरण: लाइसेंस जारी करने, नवीनीकरण एवं संशोधन करने के साथ-साथ वजन तथा माप उपकरणों, पंजीकरण प्रमाण-पत्र एवं अपील आदि के सत्यापन तथा मुद्रांकन का प्रबंधन करने जैसी महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
व्यवसाय करने में आसानी: यह व्यापारियों एवं उद्योगों के लिए अनुपालन बोझ को कम करता है तथा विधिक मेट्रोलॉजी अधिनियम, 2009 के प्रावधानों का समय पर पालन सुनिश्चित करके कागजी कार्य को कम करता है।
नीति निर्माण को सुगम बनाता है: eMaap एक मजबूत एवं कुशल नियामक ढाँचे को सुनिश्चित करते हुए प्रवर्तन गतिविधियों को सुव्यवस्थित करके डेटा-संचालित निर्णय लेने में सक्षम करेगा।
विधिक माप विज्ञान के बारे में
मेट्रोलॉजी माप का वैज्ञानिक अध्ययन है एवं विधिक माप विज्ञान माप तथा माप उपकरणों के नियंत्रण के लिए मानक प्रदान करने में मदद करती है।
विधिक माप विज्ञान सार्वजनिक सुरक्षा, पर्यावरण, ग्राहकों एवं व्यापारियों की सुरक्षा भी करती है तथा निष्पक्ष व्यापार के लिए आवश्यक है।
विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009: इस अधिनियम के अनुसार, भारत में सभी पैकेज्ड सामान, जैसे निर्यात सामान, खाद्य पदार्थ एवं उपभोक्ता उत्पादों की बिक्री या वितरण के लिए उपभोक्ता मामलों के मेट्रोलॉजी विभाग से विधिक माप विज्ञान प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है।
प्राधिकरण: विधिक माप विज्ञान निदेशक, विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के तहत पूर्व-पैकेज्ड वस्तुओं सहित वजन एवं माप के अंतर-राज्यीय व्यापार तथा वाणिज्य से संबंधित एक वैधानिक प्राधिकरण है।
प्रवर्तन: यह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा विधिक माप विज्ञान नियंत्रक एवं अन्य विधिक माप विज्ञान अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
रेपो रेट 6.5% पर अपरिवर्तित
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार 11वीं बार रेपो दर को यथास्थिति बरकरार रखते हुए 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।
RBI ने फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है।
स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर 6.25 प्रतिशत पर बनी हुई है, जबकि सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर एवं बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर बनी हुई है।
निर्णय: RBI की मौद्रिक नीति समिति ने 4:2 बहुमत के साथ अपने ‘तटस्थ’ रुख को बनाए रखने का फैसला किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति विकास का समर्थन करते हुए 4 प्रतिशत लक्ष्य के अनुरूप हो।
RBI का वास्तविक जीडीपी अनुमान: वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए, RBI ने अपने वास्तविक GDP विकास अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया, जो कि पहले के 7.2 प्रतिशत के अनुमान से काफी कम है।
मुद्रास्फीति: RBI ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति के अपने अनुमानों को 4.5 प्रतिशत से संशोधित कर 4.8 प्रतिशत कर दिया।
मुद्रास्फीति की वृद्धि उच्च खाद्य कीमतों के साथ-साथ भू-राजनीतिक व्यवधानों से प्रेरित है, जो वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं।
‘अन्ना चक्र’ प्लेटफॉर्म
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दक्षता बढ़ाने के लिए एक नया उपकरण ‘अन्न चक्र’ लॉन्च किया।
संबंधित तथ्य
इसके साथ ही, राज्यों के लिए खाद्य सब्सिडी जमा करने एवं संसाधित करने के लिए एक SCAN (NFSA के लिए सब्सिडी दावा आवेदन) पोर्टल भी लॉन्च किया गया था।
अन्न चक्र प्लेटफॉर्म के बारे में
इसे उन्नत एल्गोरिदम का उपयोग करके विश्व खाद्य कार्यक्रम एवं IIT-दिल्ली के सहयोग से विकसित किया गया था।
प्रमुख विशेषताएँ
कुशल खाद्यान्न संचलन: देश भर में रसद को सुव्यवस्थित करने के लिए उन्नत एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
व्यापक कवरेज
इसमें 4.37 लाख उचित मूल्य की दुकानें एवं 6,700 गोदाम शामिल हैं।
81 करोड़ लोगों को लाभ पहुँचाने वाले खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का समर्थन करता है।
लागत एवं दक्षता लाभ
सालाना ₹250 करोड़ की बचत का अनुमान।
मात्रा-किलोमीटर मेट्रिक्स में परिवहन कार्यभार में ₹58 करोड़ की कमी।
तकनीकी एकीकरण
रेलवे की माल परिचालन सूचना प्रणाली से जोड़ा गया।
PM गति शक्ति प्लेटफॉर्म से जुड़ा, लॉजिस्टिक्स टेक्नोलॉजी को बढ़ाया गया।
पहल के लाभ
आर्थिक दक्षता: खाद्य वितरण के लिए परिवहन लागत कम कर देता है।
पर्यावरणीय स्थिरता: अनुकूलित लॉजिस्टिक्स के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन कम करता है।
IWAI के कालूघाट IMT को सतत् बुनियादी ढाँचा परियोजना के लिए मान्यता मिली
बिहार के कालूघाट में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के इंटरमॉडल टर्मिनल (Intermodal Terminal- IMT) को GRIHA परिषद से पाँच सितारा SVAGRIHA रेटिंग प्राप्त हुई है।
IMT कालूघाट, बिहार
गंगा नदी पर राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (NW 1) की क्षमता बढ़ाने के लिए जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) के तहत भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा विकसित किया गया।
लागत: ₹82.48 करोड़
क्षमता: 77,000 (TEUs)।
उत्तर बिहार में कार्गो परिवहन एवं नेपाल में EXIM कार्गो के लिए महत्त्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
SVAGRIHA रेटिंग
‘सिंपल वर्सटाइल अफोर्डेबल GRIHA’ (Simple Versatile Affordable GRIHA- SVAGRIHA) ‘ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट’ (GRIHA) के तहत एक ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग प्रणाली है, जिसे आवासों, कार्यालयों, स्कूलों आदि जैसी स्टैंडअलोन लघु-स्तरीय परियोजनाओं के लिए विकसित किया गया है।
उद्देश्य: स्थिरता संबंधी दिशा-निर्देश प्रदान करके छोटे विकास के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है।
राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (NW-1)
गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली के रूप में जाना जाता है।
लंबाई: 1,620 किमी., हल्दिया (पश्चिम बंगाल) से इलाहाबाद (प्रयागराज, उत्तर प्रदेश) तक।
कवर किए गए राज्य: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल से होकर गुजरता है।
प्रबंधन: वर्ष 1986 में अपनी घोषणा के बाद से भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा विकसित एवं रखरखाव किया गया।
जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) के तहत विकास: NW-1 के बुनियादी ढाँचे एवं क्षमता वृद्धि के लिए विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित।
मल्टी-मॉडल टर्मिनल (MMTs): वाराणसी, साहिबगंज एवं हल्दिया।
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