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मुल्लापेरियार बाँध जल विवाद

Lokesh Pal December 09, 2024 02:21 27 0

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने मुल्लापेरियार बाँध के स्वीकार्य जल स्तर को 142 फीट से घटाकर 120 फीट करने की याचिका पर जनवरी 2025 में विस्तृत सुनवाई निर्धारित की है।

याचिकाकर्ता द्वारा बताई गई चिंताएँ

  • पुराना होता बुनियादी ढाँचा: वर्ष 1895 में 50 वर्ष की उम्र के साथ बनाया गया यह बाँध अब 129 वर्ष पुराना हो चुका है, जो इसके मूल डिजाइन की उम्र से दोगुना है, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ गई हैं।
  • केरल की आबादी में विनाशकारी पतन का डर: बाँध के संभावित पतन के संबंध में केरल में व्यापक आशंकाएँ हैं, जो पाँच मिलियन लोगों के जीवन और संपत्ति को खतरे में डाल सकती हैं।
  • अन्य बाँधों की कैस्केडिंग विफलताओं का जोखिम: मुल्लापेरियार बाँध के टूटने से इडुक्की आर्च बाँध जैसी डाउनस्ट्रीम संरचनाएँ नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती हैं, जिसका इडुक्की, एर्नाकुलम, एलेप्पी और कोट्टायम जिलों में विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
  • वायनाड भूस्खलन: वायनाड में जुलाई 2024 में हुए भूस्खलन, जिसमें 220 लोगों की जान चली गई, इस क्षेत्र की भेद्यता और बाँध से जुड़े संभावित आपदा जोखिमों को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।

मुल्लापेरियार बाँध के बारे में

  • स्थान: मुल्लापेरियार बाँध केरल-तमिलनाडु सीमा पर पश्चिमी घाट की कार्डमम पहाड़ियों में, इडुक्की जिले में कुमिली के पास स्थित है।
  • निर्माण: चूना पत्थर और सुर्खी का उपयोग करके वर्ष 1895 में निर्मित, यह बाँध सिंचाई और पीने के पानी की आवश्यकताओं के लिए पेरियार नदी (केरल) से जल को तमिलनाडु के वैगई बेसिन में ले जाता है।

  • यह बाँध दक्षिणी तमिलनाडु को कृषि और पेयजल प्रयोजनों के लिए जल आपूर्ति करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह केरल तथा तमिलनाडु के बीच लंबे समय से विवाद का विषय रहा है, खासकर इसकी सुरक्षा और परिचालन नियंत्रण के संबंध में।
  • विवाद: तमिलनाडु बाँध की सुरक्षा और जल आपूर्ति के लिए इसके महत्त्व पर जोर देता है।
    • केरल संभावित दरारों से उत्पन्न होने वाले खतरों को उजागर करता है, विशेषकर हाल ही में भूस्खलन जैसी जलवायु-प्रेरित आपदाओं को देखते हुए।
    • यह भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है, जिससे भारी बारिश के दौरान इसकी सुरक्षा को लेकर चिंताएँ और बढ़ जाती हैं।
  • मुल्लापेरियार अंतरराज्यीय जल विवाद: तमिलनाडु सरकार चाहती है कि वर्ष 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार जल स्तर को 142 फीट तक बढ़ाया जाए, जबकि केरल बाँधों को नुकसान और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण इसे 139 फीट पर बनाए रखने पर जोर देता है। केरल लीज समझौते की निष्पक्षता पर भी आपत्ति जताता है।

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