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निम्न ऊँचाई वाले बादलों के आवरण में कमी से तापमान में वृद्धि का संबंध

Lokesh Pal December 09, 2024 04:39 34 0

संदर्भ

एक हालिया अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कम ऊँचाई वाले बादलों के आवरण में गिरावट के कारण वर्ष 2023 में वैश्विक औसत तापमान में लगभग 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई, जिसमें लगभग 0.2 डिग्री सेल्सियस की तापमान वृद्धि शामिल है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • प्रकाशित: यह अध्ययन जर्नल साइंस में प्रकाशित हुआ था।
  • डेटा विश्लेषण: नासा के ‘क्लाउड्स’ तथा अर्थ के ‘रेडिएंट एनर्जी सिस्टम’ और ‘यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट’ (ECMWF) से विकिरण रीडिंग से उपग्रह डेटा का उपयोग किया गया।
    • वैश्विक ऊर्जा बजट तथा विभिन्न ऊँचाइयों पर बादल आवरण के विकास की विस्तृत समझ प्राप्त करने के लिए एक जटिल मौसम मॉडल तैयार किया गया।
  • उद्देश्य: वर्ष 2023 में तापमान में 0.2 डिग्री सेल्सियस की कमी के स्रोत का पता लगाना।
  • निष्कर्ष
    • निम्न-ऊँचाई वाले बादल के आवरण में गिरावट: वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर औसत स्तर की तुलना में इसमें 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई, जो कि एक दशक से जारी 1.27 प्रतिशत की गिरावट है।
      • निम्न ऊँचाई वाले बादलों के आवरण में सबसे तीव्र गिरावट उत्तरी मध्य-अक्षांश और अटलांटिक जैसे उष्णकटिबंधीय महासागरों में देखी गई, जो संभवतः 0.2 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।
      •  मध्यम तथा उच्च ऊँचाई वाले बादलों (जो आमतौर पर सतह से निकलने वाली ऊष्मा को वायुमंडल में रोक लेते हैं) में भी मामूली गिरावट देखी गई है।
    • गिरावट का कारण: गिरावट के कई कारण बताए गए हैं, अर्थात्:
      • एरोसोल प्रदूषण में वैश्विक कमी: विशेष रूप से समुद्री ईंधन पर कठोर नियमों के कारण वायुमंडल में मानवजनित एरोसोल की कम सांद्रता।
      • प्राकृतिक क्षेत्रीय परिवर्तनशीलता, जो मानव प्रभाव के बाहर जलवायु प्रणाली में भिन्नताएँ हैं।
      • जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न समुद्री प्रतिक्रियाओं के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई है, जिससे निम्न स्तरीय बादलों के आवरण में भी कमी आ सकती है।
    • गिरावट का परिणाम 
      • बादलों के आवरण में कमी के कारण पृथ्वी की परावर्तन प्रक्रिया में कमी आई।
        • वर्ष 2023 में 1940 के बाद से एल्बिडो का स्तर सबसे कम देखा गया है, जिसमें लगभग 15 प्रतिशत एल्बिडो की गिरावट आर्कटिक बर्फ और समुद्री बर्फ की हानि से संबंधित है, जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
      • जलवायु प्रतिक्रिया लूप: परावर्तक बादलों के नष्ट होने से सकारात्मक जलवायु प्रतिक्रिया चक्र उत्पन्न होगा, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होगी।
      • वार्मिंग प्रभाव: कम ऊँचाई वाले बादल आने वाले सौर विकिरण को जितना अवशोषित करते हैं, उससे अत्यधिक परावर्तित करते हैं, जिससे पृथ्वी पर ‘कूलिंग इफेक्ट’ आता है। इसके समाप्त होने से पृथ्वी का तापमान और बढ़ेगा।
      • कम वर्षा: क्षोभमंडलीय बादल जल को रोकते हैं, जिससे वर्षा होती है। इन बादलों के समाप्त होने से वैश्विक स्तर पर वर्षा पैटर्न पर भी असर पड़ेगा।

निम्न ऊँचाई वाले बादल (Low Altitude Clouds) 

  • इन बादलों का निर्माण 6,500 फीट (2,000 मीटर) से नीचे होता है और ये तरल जल की बूँदों या अतिशीतित बूँदों से बने होते हैं।
  • परावर्तक: वे सूर्य के विकिरण को अत्यधिक परावर्तित करते हैं, जो पृथ्वी की सतह को ठंडा करता है।

  • विशेषताएँ
    • संरचना: निचले बादल ऊँचे बादलों की तुलना में अधिक जल धारण करते हैं। ठंडी सर्दियों के तूफानों के दौरान, निचले बादलों में बर्फ के क्रिस्टल तथा बर्फ हो सकती है।
    • क्लाउड एल्बिडो फोर्सिंग: निम्न ऊँचाई वाले बादलों का क्लाउड एल्बिडो फोर्सिंग बड़ा होता है तथा उच्च पक्षाभ मेघ की तुलना में अधिक मोटा होता है इसलिए उतना पारदर्शी नहीं होता है, जिसके कारण अधिकांश सौर ऊर्जा अंतरिक्ष में वापस परावर्तित हो जाती है।
    • जलवायु पर प्रभाव: निचले बादल पृथ्वी की सतह को गर्म करने की तुलना में अधिक ठंडा करते हैं। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन बादलों को प्रभावित कर सकता है और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म होगी, इसे ठंडा करने वाले बादल कम होते जाएँगे।

एल्बिडो (Albedo)

  • किसी सतह द्वारा परावर्तित ऊर्जा की मात्रा को ‘एल्बिडो’ कहा जाता है।
    • गहरे रंगों का एल्बिडो शून्य के करीब होता है (जिसका अर्थ है कि बहुत कम या कोई ऊर्जा परावर्तित नहीं होती है) जबकि हल्के रंगों का एल्बिडो 100% के (जिसका अर्थ है कि लगभग सभी ऊर्जा परावर्तित होती है) करीब होता है। 
  • ग्रहीय एल्बिडो: अंतरिक्ष में परावर्तित होने वाली मात्रा को ग्रहीय एल्बिडो कहा जाता है।
    • इसकी गणना पृथ्वी की सभी सतहों (भूमि, महासागर और बर्फ सहित) के एल्बिडो के औसत से की जाती है।
    • पृथ्वी का ग्रहीय एल्बेडो लगभग 31% है, जिसका अर्थ है कि पृथ्वी पर आने वाली सौर ऊर्जा का लगभग एक-तिहाई हिस्सा अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है।
  • बर्फ-एल्बिडो फीडबैक: यदि पृथ्वी पर अधिक बर्फ उपस्थित है, तो एल्बिडो बढ़ जाता है, अधिक सूर्य का प्रकाश अंतरिक्ष में परावर्तित होता है, और जलवायु और भी ठंडी हो जाती है।
    • जब तापमान वृद्धि के कारण बर्फ पिघलती है, तो गहरे रंग की सतहें उजागर हो जाती हैं, एल्बिडो कम हो जाता है, कम सौर ऊर्जा अंतरिक्ष में परावर्तित होती है, और ग्रह और भी अधिक गर्म हो जाता है।

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