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भारत में अग्नि सुरक्षा की दयनीय स्थिति: व्यवस्थागत विफलताएँ एवं चुनौतियाँ

Lokesh Pal December 07, 2024 05:00 52 0

संदर्भ:

हाल ही में उत्तर प्रदेश के झांसी स्थिति एक एक अस्पताल में हुई दुखद आग की घटना, जिसमें 11 नवजात शिशुओं को मौके पर ही अपनी जान गंवानी पड़ी। बुनियादी ढांचे की कमियों तथा प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई ऐसी भयावह घटनाएं, भारत में अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करने  में व्यवस्थागत सक्रियता की आवश्यकता पर बल देती हैं। 

अग्नि सुरक्षा विफलताओं  के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ:

  • दोषपूर्ण अग्नि सुरक्षा कार्यान्वयन: यद्यपि अग्नि सुरक्षा उपाय कानूनी रूप से अनिवार्य हैं, फिर भी अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के कारण अक्सर विनियमन कमजोर हो जाते हैं।
  • संरचनात्मक मुद्दे: बुनियादी ढांचे का संवेदनशील तन्त्र, अनुचित योजनाएं, तैयारी की कमी और त्रुटिपूर्ण निर्माण कार्य इस प्रकार की समस्याओं को और बढ़ा देते हैं। 
    • कई प्रतिष्ठान अग्नि सुरक्षा मानदंडों का पालन करने में विफल रहते हैं, जिससे भयावह घटनाओं के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं। 
    • इसके अतिरिक्त, बुनियादी ढांचा अक्सर विभिन्न प्रकार की आग, जैसे विद्युत, रासायनिक या अन्य, से निपटने के लिए अनुपयुक्त होता है।
  • अग्निशमन कर्मियों की कमी: वैश्विक मानकों के अनुसार, प्रत्येक 1,000 लोगों पर एक अग्निशमन कर्मी होना चाहिए। भारत की 1.4 बिलियन की आबादी के हिसाब से इसका मतलब है कि लगभग 1.8 मिलियन अग्निशमन कर्मी तैनात हैं। 
    • हालाँकि, देश में केवल 300,000 अग्निशमन कर्मी हैं, जिससे 1.5 मिलियन की भारी कमी हो जाती है।
    • यह अंतर उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे घनी आबादी वाले राज्यों में सबसे गंभीर समस्या बना हुआ है। औसतन, प्रत्येक राज्य में 14,382 अग्निशमन कर्मचारियों की कमी है।
  • औज़ारों और उपकरणों की कमी: अग्निशमन प्रयासों का एक महत्वपूर्ण घटक, फायर ट्रक की आबादी के अनुरूप अपर्याप्त आपूर्ति हैं। 

उदाहरण के लिए:

    • उत्तर प्रदेश: अतिरिक्त 4,155 अग्निशमन ट्रकों की आवश्यकता है।
    • बिहार: 2,775 अतिरिक्त अग्निशमन ट्रकों की आवश्यकता है।
    • महाराष्ट्र: 2,640 और अग्निशमन ट्रकों की जरूरत है। 
    • अतः औसतन, प्रत्येक राज्य को 707 अग्निशमन ट्रकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

आगे की राह:

  • अग्निशमन कर्मियों की नियुक्ति और प्रशिक्षण: वर्तमान आबादी के आवश्यकतानुसार लगभग 1.5 मिलियन अग्निशमन कर्मियों की कमी को पूरा करना प्राथमिकता है। 
    • सरकार को बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान चलाना चाहिए तथा कुशल एवं तैयार अग्निशमन कार्यबल तैयार करने के लिए प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने चाहिए।
  • अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) : अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
  • समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना: आपातकालीन स्थितियों के दौरान प्रतिक्रिया समय को कम करना महत्वपूर्ण है। इसे निम्न तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है:
    • अग्निशमन केन्द्रों की संख्या, विशेष रूप से कम सुविधा वाले क्षेत्रों में बढ़ाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
    • उन्नत उपकरणों के साथ अग्निशमन ट्रकों के बेड़े का उन्नयन और विस्तार करना चाहिए।
    • जनसंख्या घनत्व और जोखिम कारकों के अनुरूप शहरी और ग्रामीण रणनीतियों के साथ क्षेत्र-विशिष्ट अग्नि सुरक्षा योजनाएं विकसित की जानी चाहिए।
  • अग्निशमन कर्मियों को सहायता प्रदान करना: अग्निशमन कर्मी शारीरिक रूप से कठिन और उच्च-तनाव वाले वातावरण में काम करते हैं। कुशल प्रदर्शन के लिए उनका स्वस्थ रहना आवश्यक है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित उपाय शामिल हैं:
    • बेहतर मुआवजा: प्रतिस्पर्धी वेतन और लाभ प्रदान किया जाए।
    • मानसिक स्वास्थ्य सहायता: परामर्श और तनाव प्रबंधन कार्यक्रम प्रदान किया जाए।
    • आधुनिक सुविधाएं: अग्निशमन कर्मियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सहारा देने के लिए अग्निशमन केंद्रों को सुविधाओं से सुसज्जित करना।  
  • जन जागरूकता और शिक्षा: शिक्षित और जागरूक जनता अग्नि सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों में निम्नलिखित प्रावधान शामिल होने चाहिए:
    • निकासी अभ्यास: स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक भवनों में नियमित निकासी अभ्यासों पर ध्यान देना।
    • बुनियादी अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण: लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि छोटी आगजनी की घटनाओं को कैसे संभालें और अग्निशामक यंत्रों का उपयोग कैसे किया जाए।
    • आपातकालीन प्रतिक्रिया शिक्षा: आग लगने की स्थिति में प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने के बारे में ज्ञान का प्रसार किया जाए।
  • बजट आवंटन में अग्नि सुरक्षा को प्राथमिकता देना: राज्य सरकारों को अग्नि सुरक्षा को एक प्रमुख जन कल्याणकारी मुद्दे के रूप में मानना ​​चाहिए। इसके लिए क्षमता निर्माण और प्रभावी नीति कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए अधिक संसाधन आवंटित करने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखना: भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के अग्नि सुरक्षा मॉडल से प्रेरणा ले सकता है, विशेष रूप से स्वयंसेवी अग्निशमकों के उपयोग के माध्यम से इसे प्राप्त किया जा सकता है। 
    • पेशेवर अग्निशमन कर्मियों के अतिरिक्त, प्रशिक्षित स्वयंसेवकों का एक नेटवर्क, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में, अमूल्य सहायता प्रदान कर सकता है। 

निष्कर्ष:

अतः भारत जैसे विशाल और घनी आबादी वाले देश में अग्नि सुरक्षा सिर्फ़ तकनीकी ज़रूरत नहीं बल्कि नैतिक अनिवार्यता है। झांसी के अस्पताल में आग लगने की घटना और इसी  तरह की अन्य त्रासदियाँ इस बात की याद दिलाती हैं कि अब समय आ गया है कि देश अग्नि सुरक्षा को प्राथमिकता दे, जिसकी वर्तमान समाज को ज़रूरत है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत में सार्वजनिक संस्थानों में अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करने के मार्ग में आने वाली उन प्रमुख चुनौतियों की चर्चा करें, जिनमें अस्पतालों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही इन मुद्दों को हल करने के उपाय भी सुझाएँ।

(10 अंक, 150 शब्द)

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