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UN चैंपियन ऑफ द अर्थ 2024

Lokesh Pal December 11, 2024 05:11 38 0

संदर्भ

भारतीय पारिस्थितिकी विज्ञानी माधव गाडगिल को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा वर्ष 2024 का ‘चैंपियन ऑफ द अर्थ’ नामित किया गया था।

  • पर्यावरण संरक्षण में उनके दशकों लंबे योगदान के लिए यह सम्मान ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ श्रेणी में दिया गया है।

वर्ग

पुरस्कार विजेता

देश

लाइफटाइम अचीवमेंट माधव गाडगिल भारत
पाॅलिसी लीडरशिप सोनिया गुजाजारा ब्राजील
इंसपिरेशन एंड एक्शन एमी बोवर्स कॉर्डालिस, गेब्रियल पौन अमेरिका, रोमानिया
साइंस एंड इनोवेशन लू क्वी (Lu Qi) चीन
एंटरप्रेन्योरियल विजन सेकेम (Sekem) मिस्र

‘चैंपियन ऑफ द अर्थ’ पुरस्कार के बारे में

  • UNEP का ‘चैंपियन ऑफ द अर्थ‘ पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान है, जो वर्ष 2005 से उत्कृष्ट पर्यावरण नेताओं को मान्यता देता है।
  • यह एक वार्षिक पुरस्कार है जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति असाधारण प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने वाले व्यक्तियों एवं संगठनों को सम्मानित करता है।
  • ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ पुरस्कार विजेता’: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीतिगत नेतृत्व के लिए ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड 2018’ से सम्मानित किया गया।

पहलू

गाडगिल समिति की रिपोर्ट

कस्तूरीरंगन समिति की रिपोर्ट

फोकस सामुदायिक भागीदारी के साथ पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील संरक्षण विकास और संरक्षण के साथ संतुलित दृष्टिकोण
ESA कवरेज पश्चिमी घाट के 75% क्षेत्र (129,037 वर्ग किमी.) को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील घोषित किया गया पश्चिमी घाट का पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र घटकर 37% रह गया
दृष्टिकोण निर्णय लेने में सामुदायिक भागीदारी पर जोर दिया गया क्षेत्रों को सांस्कृतिक (मानव बस्तियाँ) और प्राकृतिक (गैर-मानव) क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया
गतिविधि वर्गीकरण लाल: निषिद्ध गतिविधियाँ (जैसे, खनन, पत्थर उत्खनन)

नारंगी: अनुमति के साथ विनियमित

हरा: कृषि और बागवानी जैसी अनुमत गतिविधियाँ

समान वर्गीकरण लेकिन सांस्कृतिक क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियों की अनुमति देने पर अधिक जोर
हितधारक समावेशन स्थानीय समुदायों से परामर्श और भागीदारी की दृढ़तापूर्वक अनुशंसा की गई। स्थानीय भागीदारी सीमित; निर्णय केन्द्रीय एवं राज्य एजेंसियों के साथ अधिक संरेखित।
कार्यान्वयन प्रतिरोध विकास और औद्योगिक क्षेत्रों से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। इसे अधिक व्यापक रूप से स्वीकार किया गया, लेकिन पारिस्थितिक अनुशंसाओं को कमजोर करने के लिए इसकी आलोचना की गई।
संरक्षण का दायरा जैव विविधता संरक्षण के लिए कड़े संरक्षण उपायों की वकालत की गई। इसका उद्देश्य विकासात्मक आवश्यकताओं के साथ पारिस्थितिक संरक्षण को संतुलित करना है।

माधव गाडगिल का योगदान

  • पश्चिमी घाट संरक्षण
    • पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (2011) की अध्यक्षता की।
    • ‘गाडगिल रिपोर्ट’ लिखी, जिसमें पारिस्थितिक खतरों एवं प्रस्तावित समुदाय-केंद्रित संरक्षण रणनीतियों पर प्रकाश डाला गया।
    • अपनी अद्वितीय जैव विविधता के कारण 129,037 वर्ग किमी. पश्चिमी घाट क्षेत्र के 75% हिस्से को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील घोषित करने की सिफारिश की गई।
    • इस रिपोर्ट की सिफारिशों को विरोध का सामना करना पड़ा है एवं आंशिक रूप से लागू किया गया है। 
      • कस्तूरीरंगन रिपोर्ट जैसी बाद की रिपोर्टों ने इसकी सिफारिशों को कमजोर कर दिया एवं पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र को 50% तक कम कर दिया।
  • कार्यान्वयन की स्थिति: वर्ष 2014 से, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पश्चिमी घाट को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील घोषित करने के लिए पाँच मसौदा अधिसूचनाएँ जारी की हैं।
    • विभिन्न राज्यों की आपत्तियों के कारण अंतिम अधिसूचना लंबित है।
  • जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय जुड़ाव: वनों, आर्द्रभूमियों एवं अन्य पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा के लिए समुदाय-संचालित संरक्षण पहल को बढ़ावा दिया गया।
    • हाशिये पर पड़े समुदायों का समर्थन किया, उन्हें अपने स्थानीय पर्यावरण की रक्षा करने के लिए सशक्त बनाया।
  • शैक्षणिक योगदान: सात पुस्तकें एवं 225 से अधिक वैज्ञानिक पत्र लिखे।
    • उनके शोध ने जैव विविधता संरक्षण पर जनता की राय एवं आधिकारिक नीतियों को आकार दिया।
  • वकालत और विजन पर्यावरण परिवर्तन को आगे बढ़ाने में संचार और जमीनी स्तर पर सक्रियता की भूमिका पर जोर दिया।
    • पारिस्थितिक संकटों को दूर करने के लिए सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करना जारी रखता है।
  • अन्य पुरस्कार और मान्यता: गाडगिल के वर्षों के दौरान उनके व्यापक योगदान ने उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कारों सहित भारत के कुछ सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिलाए हैं।
    • उन्हें पर्यावरण उपलब्धि के लिए टायलर पुरस्कार (Tyler Prize for Environmental Achievement) और वोल्वो पर्यावरण पुरस्कार (Volvo Environment Prize) भी मिला।
    • उन्हें अक्सर ‘लोगों का वैज्ञानिक’ (People’s Scientist) के रूप में जाना जाता है।

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