गूगल ने ‘विलो’ (Willow) नामक अपनी अगली पीढ़ी की चिप का अनावरण किया है, जिसने पाँच मिनट से भी कम समय में एक ऐसी जटिल गणना को हल कर दिया, जिसे पूरा करने में एक सुपर कंप्यूटर को लगभग 10 सेप्टिलियन वर्ष लगते।
विलो चिप
विलो चिप गूगल की अगली पीढ़ी की क्वांटम कंप्यूटिंग चिप है, जो व्यावहारिक क्वांटम कंप्यूटर बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
निर्माण और डिजाइन: सांता बारबरा, कैलिफोर्निया, USA में गूगल द्वारा निर्मित।
सुपरकंडक्टिंग ट्रांसमोन क्यूबिट: विलो सुपरकंडक्टिंग ट्रांसमोन क्यूबिट का उपयोग करके संचालित होता है, जो क्वांटम व्यवहार को प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किए गए छोटे विद्युत सर्किट हैं।
ये सर्किट कृत्रिम परमाणुओं की तरह कार्य करते हैं और गणना के लिए महत्त्वपूर्ण क्वांटम अवस्थाओं को बनाए रखते हैं।
स्थिरता के लिए शीतलन: कंपन और बाहरी गड़बड़ी को कम करने के लिए क्यूबिट को शून्य से थोड़ा ऊपर के तापमान पर ठंडा किया जाता है।
यह अत्यधिक शीतलन सटीक गणनाओं के लिए आवश्यक नाजुक क्वांटम अवस्थाओं को बनाए रखते हुए त्रुटियों को कम करता है।
त्रुटि में कमी: अपने वातावरण के साथ परस्पर क्रिया करने वाले क्यूबिट्स के कारण उत्पन्न क्वांटम त्रुटियों से निपटता है।
कम्प्यूटेशनल सटीकता बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण, वास्तविक समय क्वांटम त्रुटि सुधार को लागू करता है।
विलो के अनुप्रयोग: गूगल का मानना है, कि विलो निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रगति में योगदान देगा:-
दवा की खोज, संलयन ऊर्जा अनुसंधान, ऊर्जा भंडारण और स्थिरता के लिए बैटरी डिजाइन।
क्वांटम चिप्स साधारण चिप्स से किस प्रकार भिन्न हैं:
साधारण चिप्स: सूचना को संसाधित करने के लिए 0 या 1 का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘बिट्स’ का उपयोग करते है।
क्वांटम चिप्स: ‘क्यूबिट्स’ का उपयोग करते है, जो 0, 1 या दोनों को एक साथ (सुपरपोजिशन) प्रदर्शित कर सकते हैं, जिससे तीव्र और अधिक जटिल गणनाएँ संभव होती हैं।
वोरोनिश रडार सिस्टम (Voronezh Radar System)
भारत, रूस के साथ उन्नत वोरोनिश रडार सिस्टम प्राप्त करने के लिए 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा सौदे को अंतिम रूप देने के लिए तैयार है।
वोरोनिश रडार सिस्टम
यह रडार 8,000 किलोमीटर तक की दूरी पर बैलिस्टिक मिसाइलों और विमानों का पता लगाने और उन पर निगरानी रखने में सक्षम है।
यह मिसाइल अटैक अर्ली वार्निंग सिस्टम के हिस्से के रूप में कार्य करता है, जो मिसाइल खतरों और अंतरिक्ष गतिविधि का व्यापक पता लगाने में मदद करता है।
सिस्टम को विभिन्न खतरे वाले वैक्टरों के खिलाफ अनुकूलित पहचान क्षमताओं के लिए रणनीतिक रूप से डिजाइन किया गया है।
प्रयुक्त प्रौद्योगिकी: रडार बीम के तीव्र इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग के लिए चरणबद्ध ऐरे (Array) प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
चरणबद्ध ऐरे (Array) प्रौद्योगिकी, बीम को कई दिशाओं में इलेक्ट्रॉनिक रूप से चलाने के लिए एंटीना के रूप में कार्य करती है।
यह विधि पुरानी रडार प्रणालियों की तुलना में अधिक कुशल और यांत्रिक रूप से कम जटिल है।
महत्त्व
यह समझौता उभरती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के वायु रक्षा आधुनिकीकरण प्रयासों का हिस्सा है।
यह सौदा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है, जिसके तहत 60% रडार घटकों का निर्माण घरेलू स्तर पर किया जाएगा।
Latest Comments