हाल ही में जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की सोशल डायलॉग रिपोर्ट (Social Dialogue Report) जारी की गई।
सोशल डायलॉग रिपोर्ट
सोशल डायलॉग रिपोर्टवैश्विक स्तर पर सामाजिक संवाद तंत्र की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करती है।
यह प्रणाली में सुधार के लिए कार्रवाई योग्य सिफारिशें प्रस्तुत करते हुए सर्वोत्तम प्रथाओं एवं चुनौतियों की पहचान करती है।
रिपोर्ट का उद्देश्य
मूल्यांकन
विभिन्न देशों में सामाजिक संवाद की स्थिति का विश्लेषण करता है।
सफलता की कहानियों पर प्रकाश डालता है और सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की पहचान करता है।
अनुशंसाएँ
सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों के लिए सामाजिक संवाद तंत्र को मजबूत करने के तरीके सुझाता है।
रिपोर्ट का महत्त्व
निम्नलिखित को प्राप्त करने में सामाजिक संवाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है:-
आर्थिक विकास
सामाजिक प्रगति
समावेशी विकास
यह रिपोर्ट विश्व भर में अधिक न्यायसंगत और समतापूर्ण कार्यस्थलों के निर्माण के लिए सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
सामाजिक संवाद के लाभ
आर्थिक और सामाजिक प्रगति: देशों को सामाजिक प्रगति के साथ-साथ आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाता है।
समावेशी परिवर्तन: निष्पक्ष और समावेशी निम्न-कार्बन और डिजिटल परिवर्तन सुनिश्चित करता है।
ILO की सोशल डायलॉग रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ
मुख्य अनुशंसाएँ
श्रमिकों के अधिकारों को कायम रखना
सरकारों को कार्यस्थल पर मौलिक सिद्धांतों एवं अधिकारों को सुनिश्चित करना चाहिए, जिसमें निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए:
संघ बनाने की स्वतंत्रता।
सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार की मान्यता।
सामाजिक भागीदारों को मजबूत बनाना
श्रम प्रशासन और सामाजिक भागीदारों को संसाधनों और तकनीकी विशेषज्ञता से संबद्ध करना ताकि वे शीर्ष-स्तरीय सामाजिक संवाद में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।
समावेशिता और मूल्यांकन
राष्ट्रीय सामाजिक संवाद संस्थाओं (NSDI) का विस्तार करके उनमें कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों को शामिल करना।
सामाजिक-आर्थिक निर्णय लेने में PLSD की भूमिका का नियमित, साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन करना।
शीर्ष-स्तरीय सामाजिक संवाद (Peak-Level Social Dialogue-PLSD) के बारे में
PLSD का तात्पर्य शीर्ष-स्तरीय सामाजिक संवाद से है।
यह संस्थाओं और प्रक्रियाओं का एक समूह है, जहाँ सरकारें, नियोक्ता संगठन और श्रमिक संगठन राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर पर श्रम, आर्थिक और सामाजिक मामलों पर वार्ता, परामर्श और सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए एक साथ आते हैं।
प्रक्रियाओं के प्रकार
द्विपक्षीय: सामूहिक समझौतों के लिए नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच।
त्रिपक्षीय: व्यापक परामर्श के लिए सरकारी प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाता है।
मुख्य निष्कर्ष
अनुपालन में गिरावट
वर्ष 2015 और वर्ष 2022 के बीच, संघ की स्वतंत्रता और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार के अनुपालन में 7% की गिरावट देखी गई है।
यह गिरावट श्रमिकों, नियोक्ताओं और उनके प्रतिनिधि संगठनों की नागरिक स्वतंत्रता और सौदेबाजी के अधिकार के उल्लंघन से उत्पन्न हुई है।
वैश्विक परिवर्तन चुनौतियाँ
सामाजिक संवाद निम्नलिखित क्षेत्रों में संक्रमण के प्रबंधन के लिए आवश्यक है:
निम्न कार्बन अर्थव्यवस्थाएँ।
डिजिटल उन्नति।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, जो अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों को निर्धारित करके सामाजिक एवं आर्थिक न्याय को बढ़ावा देती है।
स्थापना: अक्टूबर 1919 में राष्ट्र संघ के तहत, यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी विशेष एजेंसियों में से एक है।
मुख्यालय: जिनेवा, स्विटजरलैंड
भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का संस्थापक सदस्य है।
सदस्य राष्ट्र: 187
ILO के चार प्रमुख उद्देश्य
मौलिक श्रम अधिकारों को बढ़ावा देना: सुनिश्चित करना कि मुख्य श्रम मानकों और बुनियादी अधिकारों, जैसे कि जबरन श्रम और कार्यस्थल भेदभाव से मुक्ति, का विश्व स्तर पर सम्मान किया जाता है।
सामान कार्य के अवसरों का विस्तार करना: पुरुषों एवं महिलाओं दोनों को ऐसे रोजगार तक पहुँचने में मदद करना जो उचित वेतन, सुरक्षित परिस्थितियाँ और श्रमिकों की गरिमा का सम्मान करती हों।
सामाजिक सुरक्षा बढ़ावा देना: सभी व्यक्तियों, विशेष रूप से वंचित समूहों को लाभ पहुँचाने के लिए बेहतर सामाजिक सुरक्षा और संरक्षण प्रणालियों की दिशा में कार्य करना।
हितधारकों के बीच संवाद को मजबूत करना: श्रम नीतियों और प्रथाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच सहयोग और सार्थक चर्चा को बढ़ावा देंना।
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