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Lokesh Pal December 12, 2024 05:45 30 0
भारत के संसदीय इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम के तहत, राज्य सभा के 60 सदस्यों ने सभापति जगदीप धनखड़ के प्रति अविश्वास व्यक्त किया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें हटाने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है।
विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें उनके कार्यों में कथित पक्षपात की चिंता जताई गई है। इसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
संसद में मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की संभावना नहीं है। हालाँकि, मुख्य मुद्दा वोट का परिणाम नहीं है, बल्कि अध्यक्ष की निष्पक्षता में विश्वास का क्षरण है। यह प्रस्ताव भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की अखंडता और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए प्रमुख संस्थागत भूमिकाओं में निष्पक्षता की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह सुनिश्चित करना कि ऐसे पद राजनीतिक विवादों से ऊपर रहें, लोकतंत्र के दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न: हाल ही में राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस के संदर्भ में संसदीय कार्यवाही की तटस्थता को बनाए रखने में संसद के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। यदि सभापति को पक्षपातपूर्ण माना जाता है तो लोकतंत्र के लिए संभावित निहितार्थ क्या हैं? टिप्पणी कीजिए | (15 अंक, 250 शब्द) |
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