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डिजीज एक्स

Lokesh Pal December 14, 2024 02:24 35 0

संदर्भ

हाल ही में दिसंबर 2024 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बीमारी के प्रकोप ने 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इस बीमारी को अभी तक वर्गीकृत नहीं किया गया है, जिससे चिंता बढ़ रही है कि यह ‘डिजीज एक्स’ (Disease X) हो सकती है।

डिजीज एक्स (Disease X)

  • ‘डिजीज एक्स’ एक काल्पनिक शब्द है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2018 में प्रस्तुत किया था।
  • यह एक अज्ञात रोगजनक़ को संदर्भित करता है जो वैश्विक महामारी या सर्वव्यापी महामारी उत्पन्न करने में सक्षम है।
  • उत्पत्ति: इस शब्द ने पश्चिम अफ्रीका में वर्ष 2014-2016 के इबोला प्रकोप के बाद प्रासंगिकता प्राप्त की, जिसने महामारी की तैयारियों में अंतराल को उजागर किया।
    • यह रोग ‘ज्ञात अज्ञात’ (Known Unknowns) (ऐसे खतरे जिनके बारे में हम जानते हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से नहीं समझते) और ‘अज्ञात अज्ञात’ (Unknown Unknowns) (ऐसे खतरे जिनके बारे में हम नहीं जानते) दोनों को समाहित करता है।

महामारी संधि 

  • यह WHO के नेतृत्व में एक वैश्विक समझौता है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य भविष्य की महामारियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं तैयारियों को बढ़ाना है।
  • लॉन्च वर्ष: वर्ष 2021 (कोविड-19 के दौरान क्षमताओं में कुछ कमजोरियों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की कमी को दूर करने के लिए)।

डिजीज एक्स के कारण

  • रोगजनक के प्रकार: वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी, कवक, प्रायन (Prion) या अन्य जीव हो सकते हैं।
  • जूनोटिक स्पिलओवर: अधिकांश उभरती बीमारियाँ (70%) निम्नलिखित कारणों से जीवों से उत्पन्न होती हैं:
    • वनोन्मूलन
    • वन्यजीवों के आवासों पर मानव अतिक्रमण
    • कृषि गहनता
  • अन्य जोखिम: रोगाणुरोधी प्रतिरोध, प्रयोगशाला रिसाव, जैव आतंकवाद, तथा जलवायु परिवर्तन जो रोग गतिशीलता को प्रभावित करते हैं।

डिजीज एक्स  की भविष्यवाणी करने में चुनौतियाँ

  • अप्रत्याशित कारक: उद्भव विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें जूनोटिक रोग, रोगजनक उत्परिवर्तन और जानबूझकर जैविक खतरे शामिल हैं।
  • जलवायु परिवर्तन प्रभाव: रोग संचरण पैटर्न को बदलता है और रोगजनकों को नए मेजबान या वातावरण के अनुकूल होने के लिए मजबूर करता है।
  • सीमित ज्ञान: संभावित मानव-संक्रमित वायरस का केवल एक अंश ही पहचाना गया है।
  • तकनीकी प्रगति: जीनोमिक अनुक्रमण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे उपकरण संभावनाओं को कम करने में मदद करते हैं, लेकिन ‘डिजीज एक्स’ की सटीक उत्पत्ति या समय की भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं।

‘डिजीज एक्स ‘ के लिए भारत की तैयारी

  • भारत को ‘डिजीज एक्स’ के लिए बेहतर तैयारी की आवश्यकता है, इसलिए उसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जैसे कि:-
    • रोग निगरानी प्रणाली को मजबूत करना।
    • स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना।
    • टीकाकरण कवरेज का विस्तार करना।
    • और स्वच्छता प्रथाओं में सुधार करना।
  • नई बीमारी के उभरने के दौरान प्रभावी प्रतिक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। इसलिए, भारत को सामूहिक कदम उठाने के लिए अन्य देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहिए।

आगे की राह 

  • निगरानी को मजबूत करना: उच्च निगरानी होनी चाहिए ताकि जीनोमिक अनुक्रमण, AI और वास्तविक समय डेटा साझाकरण जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग करके प्रकोपों ​​का पता लगाया जा सके।
  • स्वास्थ्य सेवा में निवेश: स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना, विशेष रूप से कम आय वाले देशों में।
  • प्रोटोटाइप प्लेटफॉर्म: CEPI जैसे संगठन नए रोगजनक़ की पहचान करने के 100 दिनों के भीतर निदान, चिकित्सा और टीके बनाने के लिए अनुकूलनीय प्लेटफॉर्म विकसित कर रहे हैं।

WHO की रोगजनकों की प्राथमिकता सूची

  • पहली वास्तविक डिजीज X: कोविड-19 को इसकी नई और अप्रत्याशित प्रकृति के कारण पहली वास्तविक ‘डिजीज एक्स’ माना जाता है।
  • उत्पत्ति: यह अवधारणा पश्चिम अफ्रीकी इबोला महामारी (2014-2016) के बाद उभरी, जिसने वैश्विक महामारी की तैयारियों में कमियों को उजागर किया।
  • प्राथमिकता वाले रोगजनक: WHO की सूची में इबोला, मारबर्ग, लासा बुखार, निपाह वायरस, रिफ्ट वैली बुखार, क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार, जीका वायरस और डिजीज एक्स जैसी बीमारियाँ शामिल हैं।
    • इनकी उच्च मृत्यु दर, तेजी से फैलने की क्षमता और चिकित्सा उपायों की कमी के कारण इन्हें प्राथमिकता दी गई है।

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