लिंगायत पंचमसाली समुदाय के सदस्यों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की 2A श्रेणी में शामिल किए जाने के लिए आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है।
लिंगायत समुदाय
लिंगायत (आधिकारिक तौर पर हिंदू की उपजाति ‘वीरशैव लिंगायत’ के रूप में वर्गीकृत) 12वीं शताब्दी के दार्शनिक-संत बासवन्ना के अनुयायी हैं।
लिंगायत समुदाय में विभिन्न उपजातियाँ शामिल हैं, जिनमें कृषक पंचमसाली सबसे बड़ी उपजाति हैं।
पंचमसाली, लिंगायत की जनसंख्या का लगभग 70% हैं एवं कर्नाटक की कुल जनसंख्या का लगभग 14% हैं।
लिंगायत एकेश्वरवादी समुदाय हैं।
लिंगायतों का मानना है, कि पुनर्जन्म नहीं होता और मृत्यु के बाद भक्त शिव में पुनः मिल जाते हैं और फिर कभी वापस नहीं आते।
बासवन्ना
वह कल्याणी के चालुक्य/कलचुरी राजवंश के शासनकाल के दौरान एक हिंदू शैव समाज सुधारक थे
वह लिंगायत धर्म के संस्थापक थे।
कल्याणी में, कलचुरी शासक बिज्जला (1157-1167, ईस्वी) ने बसवेश्वर को प्रारंभिक चरण में अपने दरबार में करणिका (लेखाकार) एवं बाद में प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया।
मुख्य शिक्षाएँ
उनका आध्यात्मिक अनुशासन अरिवु (सच्चा ज्ञान), आचार (सही आचरण), एवं अनुभव (दिव्य अनुभव) के सिद्धांतों पर आधारित था।
लिंगंयोग (परमात्मा से मिलन) के प्रति समग्र दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं।
व्यापक अनुशासन में भक्ति, ज्ञान एवं क्रिया को अच्छी तरह से संतुलित तरीके से शामिल किया गया है।
वह जाति व्यवस्था से मुक्त, सभी के लिए समान अवसर वाले समाज में विश्वास करते थे एवं शारीरिक परिश्रम के बारे में उपदेश देते थे।
अनुभव मंटपा की स्थापना: यह व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ धार्मिक एवं आध्यात्मिक सिद्धांतों सहित सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक स्तर की प्रचलित समस्याओं पर चर्चा करने के लिए सभी के लिए एक सामान्य मंच था।
यह भारत की पहली एवं सबसे महत्त्वपूर्ण संसद थी, जहाँ शरण (कल्याणकारी समाज के नागरिक) द्वारा एक साथ बैठकर लोकतांत्रिक व्यवस्था के समाजवादी सिद्धांतों पर चर्चा की जाती थी।
बासवन्ना ने दो और बहुत महत्त्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक सिद्धांत दिए
कायाका (दिव्य कार्य): समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद का कार्य करना चाहिए एवं उसे पूरी ईमानदारी से निभाना चाहिए।
दसोहा (समान वितरण): समान काम के लिए समान आय
कार्यकर्ता (कायाकाजीवी) अपनी मेहनत की कमाई से अपना दैनिक जीवन जी सकता है, लेकिन उसे कल के लिए धन या संपत्ति का संरक्षण नहीं करना चाहिए। उसे अधिशेष धन का उपयोग समाज एवं गरीबों के लिए करना चाहिए।
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