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Lokesh Pal December 16, 2024 05:45 28 0
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश ने धार्मिक पूजा स्थलों के विवादों से संबंधित नए मुकदमों के पंजीकरण पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में लिए गए इस फैसले का उद्देश्य उन मुकदमों को रोकना है जो भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डाल सकते हैं, जिसमें धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण से जुड़े मामले भी शामिल हैं।
उपासना स्थल अधिनियम (1991) और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (2023)
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न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करते समय सतर्क रहना चाहिए कि सीमित उद्देश्यों से प्रेरित मामले, विशेष रूप से राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित मामले, राष्ट्र की एकता और अखंडता को खतरा न पहुँचाएँ। यह भी महत्वपूर्ण है कि न्यायालय एक ऐसी भूमिका का निर्वहन करे जिससे सभी नागरिकों के लिए समानता, न्याय और धार्मिक सहिष्णुता के संवैधानिक मूल्यों को संरक्षित किया जा सके।
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्नप्रश्न: उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव में व्यवधान को रोकना है। राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक अखंडता सुनिश्चित करने में इस अधिनियम की भूमिका का मूल्यांकन करें। (10 अंक, 150 शब्द) |
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