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पाफिया मालाबारिका

Lokesh Pal December 18, 2024 05:04 27 0

संदर्भ

शॉर्ट नेक क्लैम [पाफिया मालाबारिका (Paphia Malabarica)] की आबादी में अत्यधिक गिरावट को दूर करने के लिए, आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute- CMFRI) ने अष्टमुडी झील (Ashtamudi Lake) में स्टॉक संवर्द्धन कार्यक्रम (Stock Enhancement Programme) शुरू किया है।

CMFRI के स्टॉक संवर्द्धन कार्यक्रम के बारे में

  • उद्देश्य: घटती हुई ‘पफिया मालाबारिका’ आबादी को पुनः संवृद्ध करना और अष्टमुडी झील में स्थायी मत्स्य पालन सुनिश्चित करना।
  • पहल: CMFRI की ‘कैप्टिव ब्रीडिंग तकनीक’ का उपयोग करके उत्पादित 3 मिलियन ‘शॉर्ट नेक क्लैम सीड्स’ को जारी करना।
  • परियोजना की रूपरेखा: यह प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY) की ब्लू ग्रोथ परियोजना (Blue Growth Project) का हिस्सा है।

पाफिया मालाबारिका (Paphia malabarica)

  • पाफिया मालाबारिका एक द्विकपाटी मोलस्क (Bivalve Mollusk) है, जो भारत में एक प्रमुख मत्स्य संसाधन के रूप में कार्य करता है।
  • इसे आमतौर पर ‘शॉर्ट नेक क्लैम’ के रूप में जाना जाता है और यह भारत की पहली मरीन स्टीवर्डशिप काउंसिल (Marine Stewardship Council- MSC) द्वारा प्रमाणित है।

पाफिया मालाबारिका के उपयोग

  • मानव उपभोग: यह एक लोकप्रिय व्यंजन है, विशेष तौर पर केरल में, जहाँ इसका बड़े पैमाने पर उपभोग किया जाता है।
  • झींगा खाद्य: तमिलनाडु, पांडिचेरी और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में, छोटी गर्दन वाले क्लैम का उपयोग झींगा आधारित खाद्य में एक घटक के रूप में किया जाता है।
  • औद्योगिक अनुप्रयोग: क्लैम शेल का उपयोग सीमेंट, कैल्शियम कार्बाइड, चूना और ईंटों के निर्माण में किया जाता है।
  • निर्यात महत्व: शॉर्ट नेक क्लैम, मेरेट्रिक्स मेरेट्रिक्स (पीला क्लैम) के साथ, भारत के कुल क्लैम निर्यात में 80-90% योगदान देता है।
    • इस प्रजाति की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मांग है, जिससे स्थानीय समुदायों के लिए निर्यात राजस्व में वृद्धि होती है।

मरीन स्टीवर्डशिप काउंसिल (Marine Stewardship Council- MSC) प्रमाणन

  • मरीन स्टीवर्डशिप काउंसिल (MSC) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है जो प्रमाणन और इको-लेबलिंग के माध्यम से संधारणीय समुद्री खाद्य बाजारों को बढ़ावा देता है।
  • वर्ष 2014 में, केरल के अष्टमुडी झील (Ashtamudi Lake) में ‘शॉर्ट नेक क्लैम’ मत्स्य पालन MSC प्रमाणन प्राप्त करने वाला पहला भारतीय मत्स्य पालन और एशिया में केवल तीसरा मत्स्य पालन बन गया।
  • यह प्रमाणन केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI), वर्ल्ड वाइल्डलाईफ फंड फॉर नेचर (WWF), राज्य मत्स्य विभाग और स्थानीय मछुआरा समुदाय के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से प्राप्त किया गया था।

पाफिया मालाबारिका को खतरा

  • पर्यावरण प्रदूषण: ‘बैकवाटर’ पारिस्थितिकी तंत्र में प्रदूषण ने क्लैम आवासों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
  • आक्रामक प्रजातियाँ: चारु मसल (Charru Mussel) (दक्षिण अमेरिका के मूल प्रजाति) जैसी गैर-देशज प्रजातियों ने अष्टमुडी झील में एशियाई हरे मसल और खाद्य सीप जैसी देशज प्रजातियों की जगह ले ली है।
  • जलवायु परिवर्तन: लवणता के स्तर में परिवर्तन और जल के बढ़ते तापमान ने प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ दिया है, जिससे क्लैम की आबादी को और अधिक खतरा हो गया है।
  • चुनौतियाँ और वर्तमान स्थिति: पिछले कुछ वर्षों में, अष्टमुडी झील में ‘शॉर्ट नेक क्लैम’ की आबादी में भारी गिरावट आई है।
    • 1990 के दशक की शुरुआत में वार्षिक मत्स्यन लगभग 10,000 टन से घटकर हाल के वर्षों में 1,000 टन से कम हो गया है।

अष्टमुडी झील (Ashtamudi Lake)

  • अवस्थित एवं भूगोल: अष्टमुडी झील भारत के केरल के कोल्लम जिले में स्थित एक लवणीय जल की झील है।
    • यह वेम्बनाड झील (Vembanad Lake) के बाद केरल की दूसरी सबसे बड़ी झील है।
    • यह कल्लदा नदी (Kallada River) से जल ग्रहण करती है और नींदकारा मुहाने (Neendakara Estuary) के माध्यम से अरब सागर से जुड़ती है।

  • वर्ष 2002 में इसे अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की रामसर आर्द्रभूमि (Ramsar Wetland of International Importance) के रूप में नामित किया गया। 
  • संरक्षण और मत्स्य पालन: यह झील मैंग्रोव प्रजातियों से समृद्ध है, जो इसके पारिस्थितिक महत्त्व में योगदान देती है।
    • यह दो लुप्तप्राय प्रजातियों सिजीगियम ट्रावनकोरिकम (Syzygium Travancoricum) और कैलामस रोटांग (Calamus Rotang) का क्षेत्र है।
    • संरक्षण क्षेत्रों में बिशप थुरुथु (Bishop Thuruthu), जिसे क्लैम अभयारण्य (Clam Sanctuary) के रूप में नामित किया गया है और वालम एंसिल थुरुथ (Valam Ansil Thuruth) शामिल हैं।
  • पारिस्थितिक और आर्थिक भूमिका: अष्टमुडी झील जैव विविधता और मछुआरों की आजीविका का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • झील क्लैम उत्पादों के लिए एक निर्यात केंद्र है, जो स्थानीय समुदायों की आर्थिक स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण है।

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