100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

हरित हाइड्रोजन और वित्तपोषण चुनौती

Lokesh Pal December 20, 2024 02:55 17 0

संदर्भ

भारत ने उद्योगों को कार्बन मुक्त करने और वर्ष 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए वर्ष 2030 तक वार्षिक रूप से 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा है, लेकिन वित्तपोषण की चुनौतियाँ महत्त्वपूर्ण बाधाएँ उत्पन्न करती हैं।

संबंधित तथ्य

  • ब्लूमबर्ग एनईएफ (Bloomberg NEF) के हालिया विश्लेषण के आधार पर, भारत अपने घोषित लक्ष्य का केवल 10% ही पूर्ण कर पा रहा है।
    • उच्च उत्पादन लागत: ग्रीन हाइड्रोजन की लागत $5.30–$6.70/किग्रा. है, जो ग्रे/ब्लू हाइड्रोजन ($1.90–$2.40/किग्रा.) से काफी अधिक है।
    • बाजार गतिरोध: बड़े पैमाने पर उत्पादन से हरित हाइड्रोजन की कीमतें कम हो सकती हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए व्यवहार्य अर्थशास्त्र और कम लागत की आवश्यकता होती है।

ग्रीन हाइड्रोजन 

  • केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने हरित हाइड्रोजन को ऐसे हाइड्रोजन के रूप में परिभाषित किया है, जिसका उत्पादन प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन, 2 किलोग्राम से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित नहीं करता है।
    • वर्तमान में 1 किलोग्राम ‘ग्रे हाइड्रोजन’ के उत्पादन से 9 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है।

हरित हाइड्रोजन का उत्पादन

  • हरित हाइड्रोजन का उत्पादन ‘इलेक्ट्रोलिसिस’ पर निर्भर करता है, जो एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करते हुए ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ के माध्यम से विद्युत प्रवाह लागू करके जल (H₂O) को हाइड्रोजन (H₂) और ऑक्सीजन (O₂) में विभाजित किया जाता है, जबकि ग्रे हाइड्रोजन के लिए कार्बन दहन की आवश्यकता होती है।
  • इसके उत्पादन में प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
    • इलेक्ट्रोलाइजर: ऐसे उपकरण जो जल के अणुओं को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विभाजित करते हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत: सौर, पवन और जलविद्युत ‘इलेक्ट्रोलिसिस’ के लिए आवश्यक विद्युत प्रदान करते हैं, जिससे शून्य कार्बन उत्सर्जन सुनिश्चित होता है।
    • जल संसाधन: पर्याप्त जल आपूर्ति की आवश्यकता होती है, क्योंकि एक टन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए लगभग 9 टन जल की आवश्यकता होती है।

   

 हरित हाइड्रोजन का महत्त्व

  • शून्य कार्बन उत्सर्जन: ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके किया जाता है, जो केवल जल वाष्प को उपोत्पाद के रूप में उत्सर्जित करता है, जबकि जीवाश्म ईंधन बड़ी मात्रा में CO₂ उत्सर्जित करते हैं।
    • उदाहरण: 1 किलोग्राम ग्रे हाइड्रोजन (9 किलोग्राम CO₂ उत्सर्जित करता है) को ग्रीन हाइड्रोजन में परिवर्तित करने से ‘रिफाइनिंग’ और अमोनिया उत्पादन जैसे क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।
  • विभिन्न क्षेत्रों में बहुमुखी प्रतिभा: ग्रीन हाइड्रोजन स्टील, सीमेंट, उर्वरक, शिपिंग और विमानन जैसे कठिन कार्य करने वाले क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन का स्थान ले सकता है।
    • उदाहरण: इस्पात उद्योग, जो जीवाश्म ईंधन का एक प्रमुख उपभोक्ता है, हरित इस्पात के उत्पादन के लिए हरित हाइड्रोजन को अपना सकता है, जिससे पारंपरिक तरीकों की तुलना में उत्सर्जन में 90% तक की कमी आएगी।
  • कृषि क्षेत्र में उपयोग: हरित हाइड्रोजन उर्वरक उत्पादन में प्राकृतिक गैस से प्राप्त ‘ग्रे हाइड्रोजन’ के स्थान पर कृषि क्षेत्र को कार्बन मुक्त कर सकता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी।
    • उदाहरण: हरित हाइड्रोजन से उर्वरक के एक प्रमुख घटक अमोनिया का उत्पादन किया जा सकता है, साथ ही इससे स्थायित्व सुनिश्चित होगा और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
  • ऊर्जा स्वतंत्रता और सुरक्षा: आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है, प्रचुर मात्रा में नवीकरणीय संसाधनों वाले देशों के लिए ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाता है।
    • उदाहरण: 185 बिलियन डॉलर के वार्षिक ऊर्जा आयात बिल के साथ भारत का लक्ष्य राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत हरित हाइड्रोजन को अपनाकर वर्ष 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये की बचत करना है।
  • संधारणीय परिवहन समाधान: ग्रीन हाइड्रोजन भारी वाहनों, जहाजों और ट्रेनों में ईंधन प्रदान करता है, जो डीजल और प्राकृतिक गैस का एक स्वच्छ विकल्प प्रदान करता है।
    • उदाहरण: जापान द्वारा हाइड्रोजन चालित रेलगाड़ियों का विकास तथा भारत द्वारा लेह और नोएडा में NTPC द्वारा हाइड्रोजन चालित बसों का प्रायोगिक परीक्षण। 
  • दीर्घकालिक ऊर्जा भंडारण: हाइड्रोजन लंबी अवधि के लिए नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण की अनुमति देता है, जिससे सौर और पवन ऊर्जा से संबंधित अस्थायित्त्व पर नियंत्रण पाया जा सकता है, जबकि जीवाश्म ईंधन सीमित होते हैं।
    • उदाहरण: यूरोप और अमेरिका में ग्रिडों को स्थिर करने के लिए हाइड्रोजन भंडारण समाधानों का परीक्षण किया जा रहा है, ताकि उच्च मांग के समय में विश्वसनीय ऊर्जा सुनिश्चित की जा सके।
  • वैश्विक व्यापार और निर्यात की संभावना: नवीकरणीय ऊर्जा अधिशेष वाले देश निर्यात के लिए हरित हाइड्रोजन का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे आर्थिक अवसर पैदा होंगे और जीवाश्म ईंधन पर वैश्विक निर्भरता कम होगी।
    • उदाहरण: ऑस्ट्रेलिया-जापान की हाइड्रोजन ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला परियोजना का उद्देश्य जापान के ‘डीकार्बोनाइजेशन’ लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए हरित हाइड्रोजन का निर्यात करना है।

हरित हाइड्रोजन बनाम जीवाश्म ईंधन 

विशेषता

हरित हाइड्रोजन

कोयला

प्राकृतिक गैस

पेट्रोलियम उत्पाद

उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके जल का ‘इलेक्ट्रोलिसिस’ खनन प्राकृतिक गैस क्षेत्रों से निष्कर्षण तेल ड्रिलिंग और शोधन
पर्यावरणीय प्रभाव उत्पादन के दौरान शून्य कार्बन उत्सर्जन उच्च कार्बन उत्सर्जन मध्यम कार्बन उत्सर्जन उच्च कार्बन उत्सर्जन
लागत वर्तमान में अन्य ईंधनों की तुलना में अधिक महंगा अपेक्षाकृत सस्ती कोयले से अधिक महंगा, लेकिन हरित हाइड्रोजन से सस्ता कोयला और प्राकृतिक गैस से भी अधिक महंगा
ऊर्जा घनत्व उच्च कम मध्यम उच्च
भंडारण और परिवहन

पाइपलाइनों और टैंकों सहित विभिन्न तरीकों से संग्रहीत और परिवहन किया जा सकता है।

भण्डार में संग्रहीत किया जा सकता है।

भूमिगत जलाशयों में संग्रहीत किया जा सकता है और पाइपलाइनों के माध्यम से परिवहन किया जा सकता है।

टैंकों में संग्रहित किया जा सकता है तथा पाइपलाइनों और टैंकरों के माध्यम से परिवहन किया जा सकता है।

भारत में हरित हाइड्रोजन उत्पादन की संभावनाएँ

  • प्रचुर मात्रा में अक्षय ऊर्जा संसाधन
    • भारत की सौर ऊर्जा क्षमता: पूर्ण क्षमता पर 748 गीगावाट; वर्तमान स्थापित सौर क्षमता 73.32 गीगावाट (दिसंबर 2023) है।
    • पवन ऊर्जा क्षमता: तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में महत्त्वपूर्ण अप्रयुक्त संसाधन हैं।
    • गुजरात की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ ‘हरित हाइड्रोजन हब’ से संबंधित हैं; इलेक्ट्रोलाइजर-चालित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए राजस्थान की सौर क्षमता।
  • अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियाँ: राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में अक्षय ऊर्जा पार्कों के लिए भूमि की प्रचुर उपलब्धता।
    • राजस्थान में भादला सोलर पार्क, जो एक प्रमुख अक्षय ऊर्जा केंद्र है, हरित हाइड्रोजन उत्पादन में सहायक हो सकता है।
  • हाइड्रोजन की उच्च घरेलू माँग: भारत वर्तमान में उर्वरक, रिफाइनिंग और स्टील जैसे उद्योगों के लिए वार्षिक रूप से 6.5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) हाइड्रोजन का उत्पादन करता है, जिसमें से अधिकांश ‘ग्रे हाइड्रोजन’ है।
    • इन क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन ‘ग्रे हाइड्रोजन’ का स्थान ले सकता है, जिससे वर्ष 2030 तक वार्षिक रूप से 50 MMT CO2 उत्सर्जन में कमी आएगी।
    • NTPC और ऑयल इंडिया, गुजरात एवं मध्य प्रदेश में PNG एवं ईंधन नेटवर्क में हरित हाइड्रोजन का मिश्रण कर रहे हैं।
  • लागत-प्रतिस्पर्द्धी उत्पादन क्षमता: पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाकर और अक्षय ऊर्जा लागत में कमी लाकर, भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक हरित हाइड्रोजन उत्पादन लागत को 1 डॉलर प्रति किलोग्राम तक कम करना है।
    • सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने INR 2.6/kWh पर कम अक्षय विद्युत शुल्क हासिल किया है, जो कि सस्ती हरित हाइड्रोजन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • नीति समर्थन और निवेश 
    • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: भारत को हरित हाइड्रोजन के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए ₹19,744 करोड़ का परिव्यय।
    • लक्ष्य: वर्ष 2030 तक 5 MMT वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन और 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता।
    • अडानी समूह गुजरात के कच्छ जिले में अपने हरित हाइड्रोजन उद्यम के पहले चरण में 9 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है।
  • निर्यात के लिए रणनीतिक स्थान: जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोप जैसे प्रमुख हाइड्रोजन आयातक देशों से निकटता।
    • भारत हाइड्रोजन गठबंधन (IH2A) जैसी साझेदारी के तहत हरित हाइड्रोजन निर्यात के संबंध में व्यापार चर्चाएँ।
    • जीवाश्म ईंधन के आयात को कम करके और निर्यात से आय अर्जित करके ₹1 लाख करोड़ की संभावित विदेशी मुद्रा बचत।
  • तकनीकी और औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र: ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत SIGHT कार्यक्रम जैसी पहलों के साथ ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ विनिर्माण क्षमता में वृद्धि।
    • गतिशीलता और इस्पात क्षेत्रों में पायलट परियोजनाएँ व्यवहार्यता प्रदर्शित करती हैं।
    • ओडिशा में ग्रीन स्टील पायलट परियोजना, स्टील उत्पादन को ‘डीकार्बोनाइज’ करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का लाभ उठाती है।

हरित हाइड्रोजन उत्पादन की चुनौतियाँ

  • ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की उच्च लागत: ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की लागत दो महत्त्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करती है, जो ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को महंगा बनाते हैं:
    • बिजली की स्तरीकृत लागत (LCOE): यह एक परियोजना के जीवनकाल में नवीकरणीय विद्युत उत्पन्न करने की औसत लागत है।
      • उच्च LCOE प्रत्यक्ष तौर पर हरित हाइड्रोजन उत्पादन लागत को बढ़ाता है, क्योंकि नवीकरणीय विद्युत इसके उत्पादन के लिए प्राथमिक लागत है।
      • वर्तमान में, हरित हाइड्रोजन उत्पादन लागत ($5.30–$6.70 प्रति किलोग्राम) और पारंपरिक ग्रे/ब्लू हाइड्रोजन उत्पादन लागत ($1.90–$2.40 प्रति किलोग्राम) के बीच पर्याप्त असमानता है।
    • इलेक्ट्रोलाइजर की लागत: इलेक्ट्रोलाइजर ऐसे उपकरण हैं, जिनका उपयोग ‘इलेक्ट्रोलिसिस’ के माध्यम से जल को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए किया जाता है।
      • ये तंत्र उन्नत तकनीक पर निर्भर करते हैं, लेकिन अपेक्षाकृत कम मांग के कारण, इलेक्ट्रोलाइजर की लागत अधिक रहती है।
      • क्षारीय इलेक्ट्रोलाइजर की लागत लगभग $500-$1,400 प्रति किलोवाट (kW) है।
      • प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (PEM) सिस्टम और भी महंगे हैं, जो $1,100 से $1,800 प्रति किलोवाट तक हैं।
  • उच्च उधार लागत: पूंजी की लागत, विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील बाजारों में, अक्सर अधिक होती है।
    • यह समस्या इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि मांग संबंधी अनिश्चितताओं के कारण ऐसे निवेशों को जोखिम भरा माना जाता है।
    • यह धारणा उच्च उधार लागत की ओर ले जाती है, जो पूंजी की भारित औसत लागत (Weighted Average Cost of Capital-WACC) में वृद्धि के रूप में परिलक्षित होती है।
    • अध्ययनों से पता चलता है कि WACC में 10% से 20% की वृद्धि हाइड्रोजन की लागत को 73% तक बढ़ा सकती है।
    • चूँकि निवेश लागत अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में LCOE का 50-80% योगदान देती है, इसलिए WACC में थोड़ी सी भी वृद्धि उत्पादन लागत को काफी बढ़ा सकती है।
  • बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ: परिवहन और औद्योगिक उपयोग के लिए पाइपलाइनों, भंडारण सुविधाओं और हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशनों की कमी।
    • वर्तमान में, भारत में फरीदाबाद और गुरुग्राम में ही केवल कुछ क्रियाशील हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन हैं, जो बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए अपर्याप्त हैं।
  • ऊर्जा और जल की माँग: इलेक्ट्रोलाइजर प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन के लिए 9 लीटर जल की खपत करते हैं, जिससे जल की कमी वाले क्षेत्रों में चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
    • ताजे जल के संसाधनों पर निर्भरता मापनीयता को सीमित करती है, जिससे समुद्री जल ‘इलेक्ट्रोलिसिस’ एक अविकसित विकल्प बन जाता है।
  • भंडारण और परिवहन चुनौतियाँ: हाइड्रोजन अत्यधिक ज्वलनशील है और भंडारण एवं परिवहन के लिए उच्च दाबयुक्त टैंक या क्रायोजेनिक तापमान की आवश्यकता होती है।
    • तरल हाइड्रोजन भंडारण के लिए -252.8 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान की आवश्यकता होती है, जिसके लिए महंगे क्रायोजेनिक बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है।
  • मानकीकरण और प्रमाणन का अभाव: हाइड्रोजन उत्पादन, कार्बन तीव्रता और सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिए सुसंगत वैश्विक मानकों का अभाव।
    • ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ की अलग-अलग परिभाषाएँ, बायोमास-आधारित हाइड्रोजन को योग्य ईंधन बनाती हैं, जो अभी भी कुछ कार्बन उत्सर्जित करता है।
  • ऊर्जा ग्रिड में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता: जब नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध न हो (जैसे, रात में) तो ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ संचालन के लिए कोयला-प्रधान ग्रिड का उपयोग करने का जोखिम।
    • भारत का ग्रिड 70% कोयला आधारित बिजली पर निर्भर है, जो हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं की कार्बन तटस्थता को कम करता है।
  • नवोदित प्रौद्योगिकी और कार्यबल कौशल: कुशल, कम लागत वाले इलेक्ट्रोलाइजर और लवणीय जल आधारित उत्पादन विधियों में अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता।
    • हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और बुनियादी ढाँचे के विकास में कार्यबल कौशल अंतर।
    • कौशल विकास और शिक्षा मंत्रालय (MSDE) का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन इकाइयों के लिए उत्पादन और भंडारण में 2.83 लाख नौकरियों की माँग होगी, साथ ही इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण में 11,000 रोजगार होंगे।
  • अक्षय ऊर्जा की प्रतिस्पर्द्धी जरूरतें: ‘ग्रिड डीकार्बोनाइजेशन’ से नवीकरणीय ऊर्जा को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में परिवर्तित करने से समग्र ऊर्जा संक्रमण लक्ष्यों की दिशा में प्रगति धीमी हो सकती है।
    • भारत की वर्ष 2030 की हरित हाइड्रोजन योजना के लिए 125 गीगावाट अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की आवश्यकता है, जो पेरिस समझौते के तहत 500 गीगावाट के लक्ष्य के अतिरिक्त है।

भारत में हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए सरकारी पहल

  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM) (2023)
    • उद्देश्य: भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना।
    • मुख्य लक्ष्य
      • वर्ष 2030 तक 5 MMT वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन।
      • हाइड्रोजन उत्पादन के लिए 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ना।
      • जीवाश्म ईंधन आयात में ₹1 लाख करोड़ की बचत और वार्षिक रूप से 50 MMT CO₂ उत्सर्जन में कमी।
    • NGHM के अंतर्गत उप-योजनाएँ
      • ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप (Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition Programme-SIGHT): इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक 4GW घरेलू इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण क्षमता का समर्थन करना और 1 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में सहायता करना है।
      • ग्रीन हाइड्रोजन हब: हाइड्रोजन के बड़े पैमाने पर उत्पादन और/या उपयोग का समर्थन करने में सक्षम राज्यों और क्षेत्रों की पहचान की जाएगी तथा उन्हें ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
        • गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं से संबंधित योजना बनाई गई है।
  • हरित हाइड्रोजन नीति (2022)
    • 31 दिसंबर, 2030 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए 25 वर्षों के हेतु अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क में छूट।
    • खुली पहुँच नीति: हाइड्रोजन उत्पादन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।
    • भूमि आवंटन: नवीकरणीय ऊर्जा पार्कों की स्थापना के लिए समर्थन।
  • पायलट परियोजनाएँ
    • गतिशीलता और उद्योग: लेह और नोएडा में हाइड्रोजन बसें; ओडिशा में हरित इस्पात पहल।
    • गतिशीलता और शिपिंग सहित पायलट परियोजनाओं के लिए ₹1,466 करोड़ का बजट आवंटन।
  • करों और शुल्कों में छूट: विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में स्थित हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के लिए विशेष प्रावधान।
  • विद्युत (हरित ऊर्जा मुक्त पहुँच के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना) नियम, 2022: ये हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ‘ओपन एक्सेस’ के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति की सुविधा प्रदान करते हैं।
  • हरित हाइड्रोजन की ISTS छूट: सरकार ने 31 दिसंबर, 2030 से पहले प्रारंभ की गई परियोजनाओं के लिए हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादकों के लिए 25 वर्षों हेतु अंतर-राज्यीय संचरण शुल्क में छूट प्रदान की है।
  • अनुसंधान और विकास (R&D): राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत शोध एवं अनुसंधान के लिए ₹400 करोड़ आवंटित किए गए।
    • स्वदेशी इलेक्ट्रोलाइजर तकनीक और गैर-मीठे जल आधारित हाइड्रोजन उत्पादन विधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना: सरकार के व्यापक PLI ढाँचे के तहत ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ जैसे हरित हाइड्रोजन उपकरण के निर्माण के लिए प्रोत्साहन।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, व्यापार समझौतों और संयुक्त परियोजनाओं के लिए जापान, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ साझेदारी।
      • उदाहरण: हरित हाइड्रोजन व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला विकास के लिए जापान के साथ सहयोग समझौते।

हरित हाइड्रोजन वित्तपोषण और उत्पादन के लिए वैश्विक रणनीतियाँ

प्रोत्साहन आधारित वित्तपोषण मॉडल

  • यू.एस. मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम (IRA): हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए $3/किग्रा तक ‘टैक्स क्रेडिट’ प्रदान करता है। निवेशकों के लिए दीर्घकालिक निश्चितता प्रदान करता है और इलेक्ट्रोलाइजर एवं नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करने में तेजी लाता है।

हाइड्रोजन हब का विकास

  • ऑस्ट्रेलिया की हाइड्रोजन ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला (Hydrogen Energy Supply Chain-HESC): अक्षय ऊर्जा स्रोतों से जुड़े ‘हाइड्रोजन हब’ स्थापित करती है। जापान को निर्यात-उन्मुख उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करती है।

अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ और व्यापार समझौते

  • यूरोपीय संघ हाइड्रोजन गठबंधन: इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक वार्षिक रूप से 10 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना और 10 मिलियन टन आयात करना है। वैश्विक व्यापार के लिए हरित हाइड्रोजन प्रमाणन को मानकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करना।

मिश्रित एवं नवीन वित्तपोषण तंत्र

  • यूरोपीय संघ नवाचार निधि: अनुदान और सह-वित्तपोषण के माध्यम से हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं का समर्थन करता है। हाइड्रोजन उत्पादन में नवीन तकनीकों को बढ़ावा देने को प्राथमिकता देता है।
  • उपकरण पट्टे के मॉडल (Equipment Leasing Models): यूरोप पूंजीगत व्यय को कम करने के लिए ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ के लिए ‘लीज सिस्टम’ का उपयोग करता है। अग्रिम लागतों को प्रबंधनीय परिचालन व्यय में बदल देता है।

कार्बन मूल्य निर्धारण और दंड तंत्र

  • यूरोपीय संघ उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (Emissions Trading System- ETS): कार्बन-गहन उद्योगों को दंडित करता है और कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र के माध्यम से हरित हाइड्रोजन अपनाने को प्रोत्साहित करता है।

विनियामक सैंडबॉक्स (Regulatory Sandbox – RS) 

  • यह एक जीवंत परीक्षण वातावरण को संदर्भित करता है, जहाँ नए उत्पादों, सेवाओं, प्रक्रियाओं और व्यावसायिक मॉडलों को दूरसंचार अधिनियम 2023 के प्रावधानों के अनुसार कुछ छूट के साथ, सीमित समय के लिए उपयोगकर्ताओं के एक सीमित समूह पर लागू किया जा सकता है।
  • उद्देश्य: सैंडबॉक्स विनियामक, नवप्रवर्तकों, सेवा प्रदाताओं और ग्राहकों को क्षेत्र परीक्षण करने और नए उत्पाद नवप्रवर्तनों के लाभों और जोखिमों पर साक्ष्य एकत्र करने की अनुमति देता है, साथ ही उनके जोखिमों की सावधानीपूर्वक निगरानी और नियंत्रण भी करता है।

आगे की राह

  • व्यापक नीति ढाँचा: वित्तपोषण बाधाओं को दूर करने के लिए उत्पादन प्रोत्साहन से आगे बढ़कर एक व्यापक नीति ढाँचा विकसित करना।
    • निवेशकों की अनिश्चितता को कम करने के लिए दीर्घकालिक हाइड्रोजन खरीद समझौते और आंशिक ऋण गारंटी प्रस्तुत करना।
    • फिनटेक नवाचारों से आकर्षित होकर, सुरक्षित और कुशलतापूर्वक नए व्यवसाय मॉडल के साथ प्रयोग करने के लिए ‘नियामक सैंडबॉक्स’ स्थापित करना।
  • नवीन वित्तपोषण तंत्र: भारतीय बैंकों को हाइड्रोजन की अनूठी चुनौतियों, जैसे अनिश्चित मांग और लंबी परियोजना समय-सीमा के अनुरूप गैर-पारंपरिक वित्तपोषण संरचनाओं को अपनाना चाहिए।
    • मॉड्यूलर परियोजना, वित्तपोषण सुविधाओं के चरणबद्ध स्केलिंग की अनुमति दे सकती है, जिससे अग्रिम पूंजी आवश्यकताओं में कमी आ सकती है।
    • ‘एंकर-प्लस’ (Anchor-plus) वित्तपोषण मॉडल औद्योगिक ग्राहकों से आधार क्षमता निवेश को सुरक्षित कर सकते हैं, जिसमें उपकरण अतिरिक्त क्षमता का वित्तपोषण कर सकते हैं।
    • ‘इलेक्ट्रोलाइजर्स’ के लिए उपकरण पट्टे पर देने से निषेधात्मक प्रारंभिक लागत को प्रबंधनीय परिचालन व्यय में बदला जा सकता है, जो सौर और पवन क्षेत्रों की सफलता को दोहराता है।
  • पायलट परियोजनाओं और लागत-प्रभावी व्यवसाय मॉडल पर ध्यान केंद्रित करना: औद्योगिक केंद्रों में प्रारंभिक परियोजनाएँ शुरू करना जो वित्तीय संरचना को एकीकृत करें और लागत-व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल प्रदर्शित करें।
    • इस्पात और अमोनिया उत्पादन जैसे उद्योगों के लिए प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर हरित हाइड्रोजन उपलब्ध कराने पर जोर देना।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास: एकीकृत उत्पादन, भंडारण और वितरण प्रणालियों के साथ हाइड्रोजन हब स्थापित करना।
    • बड़े पैमाने पर सुविधा के लिए पाइपलाइन, ईंधन फिलिंग स्टेशन और अन्य रसद विकसित करना।
    • क्षेत्रीय आत्मनिर्भर हाइड्रोजन गलियारों को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में स्थानीय औद्योगिक क्लस्टर स्थापित करना।
  • अनुसंधान एवं विकास तथा कौशल विकास को बढ़ावा देना: इलेक्ट्रोलाइजर तथा वैकल्पिक हाइड्रोजन उत्पादन विधियों के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों में निवेश करना।
    • हाइड्रोजन उत्पादन तथा अवसंरचना प्रबंधन के लिए कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना: प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, बाजार पहुँच और निर्यात सुविधा के लिए जापान और यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख आयातक देशों के साथ साझेदारी करना। 
  • जीवाश्म ईंधन के लिए कार्बन मूल्य निर्धारण और हतोत्साहन: हरित हाइड्रोजन को प्रतिस्पर्द्धी बनाने और औद्योगिक क्षेत्रों में ‘ग्रे हाइड्रोजन’ को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र की शुरुआत करना।

निष्कर्ष 

ग्रीन हाइड्रोजन भारत के शुद्ध-शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने, उद्योगों को कार्बन-मुक्त करने और ऊर्जा स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक परिवर्तनकारी समाधान है। लागत बाधाओं को दूर करके, बुनियादी ढाँचे में वृद्धि कर और वैश्विक सहयोग का लाभ उठाकर, भारत वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में अग्रणी के रूप में उभर सकता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.