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हिंद महासागर में हाइपोथर्मल वेंट की खोज

Lokesh Pal December 21, 2024 05:04 19 0

संदर्भ

राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (National Centre for Polar and Ocean Research- NCPOR) और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology-NIOT) के भारतीय समुद्र विज्ञानियों ने हिंद महासागर में एक सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट की ऐतिहासिक तस्वीर खींची है।

हाइड्रोथर्मल वेंट (Hydrothermal Vent) के बारे में

  • गठन: हाइड्रोथर्मल वेंट जल के नीचे स्थित गर्म झरने हैं, जो टेक्टोनिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ ठंडा समुद्री जल मैग्मा के साथ संपर्क करता है, अति गर्म (370 डिग्री सेल्सियस तक) हो जाता है और चिमनियों या वेंट के माध्यम से खनिज युक्त प्लूम (Plumes) के रूप में बाहर निकलता है।
  • हिंद महासागर में हालिया खोज: ‘सेंट्रल इंडियन रिज’ के साथ 4,500 मीटर की गहराई पर एक सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट की खोज की गई।
  • पारिस्थितिकी तंत्र और जीवन रूप: ये वेंट रसायन संश्लेषण द्वारा संचालित अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करते हैं, जहाँ सूक्ष्मजीव प्राथमिक उत्पादकों के रूप में कार्य करते हैं, जो चरम स्थितियों में विविध जीवों के लिए अनुकूल स्थितियाँ बनाए रखते हैं।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • इसमें चिमनी और ब्लैक स्मोकर्स शामिल हैं, जो सुपरहॉट मिनरल-रिच प्लूम्स (Mineral-Rich Plumes) उत्सर्जित करते हैं।
    • ताँबा, जस्ता, सोना, चाँदी, प्लैटिनम, लोहा, कोबाल्ट और निकल के समृद्ध भंडार हैं।
    • खनिज-समृद्ध वातावरण में पनपने वाले रसायन संश्लेषक जीवों का समर्थन करता है।
  • यह खोज संसाधन अन्वेषण और चरम समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों के अध्ययन की संभावनाओं पर प्रकाश डालती है।

रसायन संश्लेषी जीव (Chemosynthetic Organisms)

रसायन संश्लेषण क्या है?

रसायन संश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें जीव रासायनिक ऊर्जा का उपयोग करके कार्बनिक यौगिक बनाते हैं। प्रकाश संश्लेषण के विपरीत, जिसमें सूर्य के प्रकाश का उपयोग होता है, रसायन संश्लेषण अकार्बनिक अणुओं के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करता है।

रसायन संश्लेषण प्रक्रिया (Chemosynthesis Process)

  • रसायन संश्लेषी जीव, मुख्य रूप से बैक्टीरिया और आर्किया, हाइड्रोजन सल्फाइड, मेथेन या अमोनिया जैसे अकार्बनिक यौगिकों का ऑक्सीकरण करते हैं।
  • इस प्रक्रिया से ऊर्जा निकलती है, जिसका उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड और जल को कार्बनिक अणुओं, मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट में बदलने के लिए किया जाता है।

रसायन संश्लेषी जीव (Chemosynthetic Organisms)

  • रसायन संश्लेषक जीव गहरे समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में जीवन के विविध समुदायों का समर्थन करते हैं।
  • ट्यूब वर्म (Tube Worms): ये प्रतिष्ठित जीव हाइड्रोथर्मल वेंट के आसपास सघन कॉलोनियाँ बनाते हैं। वे अपने ऊतकों के भीतर रसायन संश्लेषक बैक्टीरिया रखते हैं, जिससे एक सहजीवी संबंध बनता है, जहाँ बैक्टीरिया दोनों जीवों के लिए ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।
  • क्लैम और मसल्स (Clams and Mussels): ये बाइवाल्व (Bivalves) अपने गलफड़ों के भीतर रसायन संश्लेषक बैक्टीरिया भी रखते हैं। बैक्टीरिया सल्फाइड यौगिकों का ऑक्सीकरण करते हैं, जिससे क्लैम और मसल्स को ऊर्जा मिलती है।

गहरे महासागर मिशन के लिए खोज का महत्त्व 

  • खनिज संसाधन अन्वेषण: वेंट के आस-पास के भंडारों में ताँबा, जस्ता, सोना, चाँदी, कोबाल्ट और निकल जैसी मूल्यवान धातुएँ होती हैं, जो आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं।
  • जैविक अंतर्दृष्टि: अद्वितीय सूक्ष्मजीव जीवन रूप चरमपंथी पारिस्थितिकी तंत्रों के बारे में साक्ष्य प्रदान करते हैं, जिनका जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा में संभावित अनुप्रयोग है।
  • समुद्रयान मिशन (Samudrayaan Mission): निष्क्रिय और सक्रिय दोनों वेंट प्रणालियों के लिए मानवयुक्त गहरे समुद्र में अन्वेषण में भारत की क्षमताओं को बढ़ाता है।

डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission- DOM) के बारे में

  • डीप ओशन मिशन (DOM) का उद्देश्य भारत को महासागर विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाना है, जो सतत् महासागर संसाधन प्रबंधन में वैश्विक प्रयासों में योगदान देता है।
  • उद्देश्य: गहरे समुद्र के संसाधनों की खोज और उनका दोहन करना।
  • कार्यान्वयन मंत्रालय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (भारत सरकार)
  • अनुमोदन: वर्ष 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पाँच वर्षों के लिए।
  • बजट आवंटन: लगभग ₹4,077 करोड़
  • मुख्य फोकस क्षेत्र
    • गहरे समुद्र में खनन के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास।
    • 6,000 मीटर की गहराई तक पहुँचने के लिए मानवयुक्त पनडुब्बी का विकास (मत्स्य 6000)।
    • महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाएँ।
    • गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज।
    • महासागर प्रौद्योगिकियों का विकास।

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