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डार्क कॉमेट

Lokesh Pal December 21, 2024 06:02 18 0

संदर्भ 

हाल ही में चिली में एक बड़े टेलीस्कोप पर लगाए गए डार्क एनर्जी कैमरा (Dark Energy Camera- DECam) उपकरण द्वारा दस नए डार्क कॉमेट (Dark Comet) की खोज की गई।

डार्क कॉमेट के बारे में

  • ‘डार्क कॉमेट’ एक खगोलीय पिंड है, जो क्षुद्रग्रह जैसा दिखता है (पारंपरिक कॉमेट की विशेषता वाले चमकीले कोमा से रहित) लेकिन कॉमेट (धूमकेतु) (जैसे अचानक त्वरण) की तरह अंतरिक्ष में घूमता है।
  • पहली खोज: वर्ष 2016 में पहचाना गया पहला डार्क कॉमेट क्षुद्रग्रह 2003 RM (Asteroid 2003 RM) था और इसका उपनाम ‘वह क्षुद्रग्रह जो कॉमेट (धूमकेतु) बनना चाहता था’ (The Asteroid that Wanted to be a Comet) रखा गया था।
    • नासा ने वर्ष 2017 में ओउमुआमुआ (Oumuamua) की खोज की, जो सौरमंडल के बाहर उत्पन्न होने वाला पहला प्रलेखित खगोलीय पिंड था, जो क्षुद्रग्रह जैसा दिखता था, लेकिन धूमकेतु की तरह व्यवहार करता था।
  • श्रेणियाँ: डार्क कॉमेट की 2 मुख्य श्रेणियाँ हैं:
    • आंतरिक डार्क कॉमेट: वे आंतरिक सौरमंडल में रहते हैं और लगभग वृत्ताकार कक्षाओं में भ्रमण करते हैं तथा छोटे आकार (मीटर का दसवाँ भाग या उससे कम) के होते हैं।
    • बाहरी डार्क कॉमेट: इनमें बृहस्पति ग्रह के धूमकेतुओं के समान विशेषताएँ होती हैं, अर्थात् इनकी कक्षाएँ अत्यधिक उत्केंद्रित (या अंडाकार) हैं तथा ये बड़े आकार (100 मीटर या उससे अधिक) के होते हैं।
  • विशेषताएँ
    • दुर्ग्राह्य: डार्क कॉमेट में धूमकेतु की विशेषता नहीं होती है, जैसे कि चमकदार पूँछ जैसी आकृति और इसके बजाय अंतरिक्ष में क्षुद्रग्रह जैसा दिखने वाला एक हल्का प्रकाश बिंदु दिखाई देता है।
    • कक्षा: डार्क कॉमेट लंबी, अंडाकार कक्षाओं का अनुसरण करते हैं और प्लूटो ग्रह से आगे जा सकते हैं, कुछ तो ऊर्ट क्लाउड (Oort Cloud) तक भी जा सकते हैं।

    • आकार: डार्क कॉमेट अक्सर छोटे पिंड होते हैं, जो कुछ मीटर से लेकर कुछ सौ मीटर तक चौड़े होते हैं, जिससे पदार्थ के बाहर निकलने और सामान्य धूमकेतुओं की तरह दिखने वाली पूँछ जैसी आकृति के निर्माण के लिए कम सतह क्षेत्र की आवश्यकता होती है।
    • चक्रण: वे अक्सर काफी तेजी से घूमते हैं और बची हुई गैस एवं धूल को सभी दिशाओं में फैला देते हैं, जिससे वे कम दिखाई देते हैं।
    • संरचना या आयु: उनकी संरचना और आयु के कारण गैस की हानि कम हो सकती है या हो ही नहीं सकती, क्योंकि चमकीले धूमकेतुओं की पूँछ जैसी आकृति में जाने वाली सामग्री समय के साथ समाप्त हो जाती है।
  • महत्त्व 
    • ग्रह निर्माण: डार्क कॉमेट का अध्ययन करना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे पृथ्वी के निर्माण, पृथ्वी पर जल की उत्पत्ति और यहाँ तक कि जीवन के प्रारंभ के बारे में साक्ष्य मिल सकते हैं।
    • प्रचुरता: वर्ष 2023 के एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि सभी निम्न पृथ्वी कक्षा (NEO) में से 0.5% से 60% तक डार्क कॉमेट हो सकते हैं, जो मंगल एवं बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट से उत्पन्न होते हैं।

क्षुद्रग्रह (Asteroid)

  • क्षुद्रग्रह एक छोटी, चट्टानी वस्तु है, जो अंतरिक्ष में प्रकाश के बिंदु के रूप में दिखाई देती है।
  • उपस्थिति: अधिकांश क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति की कक्षा के बीच एक वलय में पाए जाते हैं, जिसे ‘क्षुद्रग्रह बेल्ट’ कहा जाता है।
  • संरचना: वे ज्यादातर धातुओं और चट्टानी सामग्री से बने होते हैं।

  • आकार: क्षुद्रग्रह आकार और आकृति में भिन्न होते हैं, कुछ क्षुद्रग्रह गोल होते हैं, कुछ लंबे होते हैं और कुछ के पास अपना उपग्रह भी होता है।
  • क्षुद्रग्रह का निर्माण सूर्य के बहुत करीब हुआ, जहाँ ठोस पदार्थ इतना अधिक गर्म था कि ठोस अवस्था में रह पाना संभव नहीं था।

कॉमेट (धूमकेतु)

  • धूमकेतू बर्फीले पिंडों से उत्पन्न होने वाली गैस और कूड़े का अपशिष्ट होता है, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
  • संरचना: वे जल, कार्बन डाइऑक्साइड, अमोनिया और मेथेन, धूल आदि के संयोजन से  मिश्रित होते हैं।
    • इनका निर्माण सूर्य से दूर होता है, जहाँ ठोस पदार्थ पिघलता नहीं है।

भाग 

  • नाभिक: यह धूमकेतु का बर्फीला मध्य भाग है और इसकी चौड़ाई लगभग 6 मील (10 किमी.) से भी कम होती है।
  • कोमा (Coma): यह नाभिक के चारों ओर गैस और धूल का एक बड़ा बादल है। यह तब बनता है, जब नाभिक में बर्फ सूर्य से गर्म होकर वाष्पीकृत हो जाती है।
    • कोमा का आकार सूर्य के करीब आने पर 50,000 मील (80,000 किमी.) या उससे भी अधिक तक फैल सकता है।
  • पूँछ: धूमकेतु सूर्य के करीब जाते समय दो पूँछ जैसी आकृति विकसित कर सकते हैं। धूमकेतु की पूँछ 6, 00,000 मील (1 मिलियन किमी.) से अधिक लंबी हो सकती है।
    • सीधी गैसीय पूँछ: गैसीय पूँछ जैसी आकृति सौर हवा द्वारा निर्मित होती है, जो धूमकेतु के कोमा से गैस को दूर धकेलती है और सीधे सूर्य से वापस लौटती है।
    • घुमावदार धूलयुक्त पूँछ: कोमा में उपस्थित धूल सूर्य की गर्मी से वाष्पीकृत हो जाती है तथा एक घुमावदार पूँछ बनाती है, जो धूमकेतु की कक्षा का अनुसरण करती है।

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