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महिला स्वयं सहायता समूहों को बैंक ऋण

Lokesh Pal December 23, 2024 02:28 10 0

संदर्भ

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojana National Rural Livelihoods Mission- DAY NRLM) ने महिला स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups- SHGs) को अपने व्यवसाय में सुधार करने, प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और वित्त तक पहुँच बनाने में सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं। 

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojana National Rural Livelihoods Mission- DAY NRLM) 

  • यह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) का प्रमुख कार्यक्रम है।
  • उद्देश्य: स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से गरीबों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाकर तथा वित्तीय सेवाओं और आजीविका तक पहुँच प्रदान करके गरीबी को कम करना।
  • उत्पत्ति: स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (Swarnajayanti Gram Swarojgar Yojana- SGSY) से पुनर्गठित और वर्ष 2016 में इसका नाम बदलकर DAY-NRLM कर दिया गया।
  • यह पहल सामुदायिक संस्थाओं और वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत करने के लिए धन प्रदान करती है।
    • इसका लक्ष्य स्वयं सहायता समूहों तक  मुख्यधारा के बैंक वित्त को आकर्षित करने में सहायता करना है।
  • DAY-NRLM द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता
    • रिवॉल्विंग फंड: SHGs को 20,000 से 30,000 रुपये प्राप्त होते हैं।
    • सामुदायिक निवेश निधि: SHGs अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए 2.50 लाख रुपये तक का सामुदायिक निवेश कोष प्राप्त कर सकते हैं।
  • ब्याज अनुदान: बैंक ऋण की लागत को कम करने के लिए, DAY-NRLM महिला SHG को ब्याज अनुदान प्रदान करता है, जिससे ऋण अधिक किफायती हो जाता है।
  • प्रमुख उप-योजनाएँ और पहल
    • स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (Start-up Village Entrepreneurship Programme- SVEP)
      • DAY-NRLM के अंतर्गत एक उप-योजना, जो SHG महिलाओं या उनके परिवार के सदस्यों को लघु व्यवसाय स्थापित करने में सहायता करती है।
      • मुख्य आँकड़े: 3.13 लाख ग्रामीण उद्यमों को सहायता प्रदान की गई (अक्टूबर 2024 तक)।
    • बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखी/डिजीपे सखी (Banking Correspondent Sakhis/Digipay Sakhis)
      • ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच को बेहतर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बैंकिंग संवाददाता सखियों के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है।
      • वर्तमान तैनाती: DAY-NRLM के अंतर्गत 1,35,127 बैंकिंग संवाददाता सखियाँ कार्यरत हैं।

SHG उत्पादों के लिए ऑनलाइन विपणन मंच

  • SHGs उत्पादों के लिए एक ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है, अर्थात् www.esaras.in।
  • उद्देश्य: इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य SHGs की ऑनलाइन मार्केटिंग तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करना है।

स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के संबंध में

  • SHGs समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों के स्वैच्छिक संघ हैं।
  • एक SHGs में आमतौर पर 5 (न्यूनतम) से 20 (अधिकतम) सदस्य शामिल होते हैं।
    • सदस्य आपसी सहयोग और सामुदायिक कार्रवाई के माध्यम से आम समस्याओं को हल करने के लिए सहयोग करते हैं।

  • भारत में स्वयं सहायता समूहों की उत्पत्ति
    • वर्ष 1984 में: प्रो. यूनुस के ग्रामीण बैंक मॉडल से प्रेरित होकर, सामाजिक लामबंदी के लिए SHG की शुरुआत की गई।
    • नाबार्ड की भूमिका: नाबार्ड और गैर-सरकारी संगठनों ने SHG-बैंक लिंकेज कार्यक्रम की शुरुआत की।
    • वर्ष 1990: RBI ने SHG को वैकल्पिक ऋण मॉडल के रूप में मान्यता दी।

स्वयं सहायता समूहों के लाभ

  • कम लेन-देन लागत: ऋणदाताओं और उधारकर्ताओं दोनों के लिए लाभकारी।
  • महिला सशक्तीकरण: महिलाओं के लिए वित्तीय और सामाजिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करता है।
  • अनौपचारिक उधारी में कमी: स्थानीय साहूकारों पर निर्भरता कम होती है।
  • कॉरपोरेट द्वारा समर्थन: कई कंपनियाँ सामुदायिक विकास के लिए SHG को बढ़ावा देती हैं।
  • कोई संपार्श्विक आवश्यकता नहीं: औपचारिक ऋण पहुँच में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  • सामाजिक समर्थन: सामान्य चुनौतियों पर चर्चा करने और उन्हें हल करने के लिए मंच।

भारत में प्रमुख स्वयं सहायता समूहों के उदाहरण

  • महिला आर्थिक विकास महामंडल (MAVIM): प्रशिक्षण और ऋण सुविधाओं के माध्यम से महाराष्ट्र में महिलाओं को सशक्त बनाता है।
  • SEWA: SHG और वित्तीय सेवाओं के माध्यम से अनौपचारिक क्षेत्र की महिला श्रमिकों का समर्थन करता है।
  • कुदुंबश्री (Kudumbashree): केरल स्थित कार्यक्रम महिलाओं की क्षमता निर्माण और आय सृजन पर केंद्रित है।
  • बंधन-कोननगर (Bandhan-Konnagar): सूक्ष्म वित्त सेवाएँ और आजीविका सहायता प्रदान करता है।
  • भगिनी निवेदिता ग्रामीण विज्ञान निकेतन (BNGVN): SHG के माध्यम से स्थायी आजीविका को बढ़ावा देता है।

स्वयं सहायता समूहों के समक्ष चुनौतियाँ

  • लाभार्थियों की पहचान: सबसे गरीब व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें शामिल करने में कठिनाई।
  • प्रशिक्षण अंतराल: गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रमों और विशेषज्ञ प्रशिक्षकों की कमी।
  • वित्तीय साक्षरता मुद्दे: औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक सीमित पहुँच।
  • बाजार संबंध: बाजारों के साथ खराब एकीकरण विकास को प्रभावित करता है।
  • सामुदायिक समर्थन: अपर्याप्त व्यावसायिक वातावरण और मूल्य शृंखला समर्थन।

स्वयं सहायता समूहों को समर्थन देने वाली सरकारी पहल और नीतियाँ

  • एसएचजी-बैंक लिंकेज कार्यक्रम (SHG-Bank Linkage Programme- SBLP): यह वर्ष 1992 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा शुरू की गई एक पहल है।
    • इसका उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को औपचारिक बैंकिंग संस्थानों से जोड़कर ग्रामीण गरीबों, विशेषकर महिलाओं को वित्तीय समावेशन प्रदान करना है।
  • वित्तीय समावेशन मिशन (MFI): यह पहल वित्तीय सेवाओं जैसे बैंकिंग/बचत और जमा खाते, धन प्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन तक किफायती तरीके से पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक पहल है।
  • लखपति दीदी पहल: यह पहल वर्ष 2023 में शुरू की गई थी, जो स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को आर्थिक सशक्तीकरण के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने के लिए सशक्त बनाती है।
  • यह उन्हें स्थायी आजीविका प्रथाओं को अपनाने और वार्षिक घरेलू आय 1,00,000 रुपये से अधिक रखने के लिए प्रोत्साहित करती है।

आगे की राह

  • उन्नत प्रौद्योगिकी: SHGs को रिकॉर्ड रखने, लेन-देन और संचार के लिए बेहतर डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहिए।
  • अनौपचारिक ऋणदाताओं पर कम निर्भरता: अनौपचारिक ऋणदाताओं पर निर्भरता कम करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए इस समूह को वित्तीय संस्थानों से जोड़ना चाहिए।
  • समावेशी दृष्टिकोण: SHGs को विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के सदस्यों की निष्पक्ष भागीदारी और लाभ सुनिश्चित करने के लिए समावेशी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
  • सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (Community Resource Person- CRP): लाभार्थियों की पहचान करने, वित्त का प्रबंधन करने और गतिविधियों को बढ़ाने में SHGs का मार्गदर्शन करने के लिए एक प्रशिक्षित CRP होना चाहिए।

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