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भारतीय चिकित्सा पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करना: रणनीति पर पुनर्विचार के निहितार्थ

Lokesh Pal December 21, 2024 05:00 27 0

संदर्भ:

भारत का चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल, क्षेत्रीय संघर्षों और कई देशों में भू-राजनीतिक तनावों के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है। जिसकी वजह से यह चर्चा का केंद्र बना हुआ है। 

बांग्लादेश के राजनीतिक संकट का प्रभाव

बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने और अगस्त 2024 में अंतरिम सरकार के गठन ने भारत के चिकित्सा पर्यटन प्रवाह को काफी हद तक प्रभावित किया है। इसके तात्कालिक परिणाम निम्नलिखित हैं:

  • सीमा बंद होना और वीज़ा प्रतिबंध: भारत और बांग्लादेश के मध्य सीमाओं के बंद होने और यात्रियों की आवाजाही के को रोकने के कारण बांग्लादेश से चिकित्सा पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है।
  • वीज़ा केंद्रों का अनिश्चितकालीन बंद होना: हिंसा व राजनैतिक अस्थिरता के दौरान दोनों देशों की सरकारों ने अपने वीज़ा केंद्रों को भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।
  • केयरएज डेटा : बांग्लादेश में चल रही हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता ने यात्रा को और भी बाधित कर दिया है, जिसके कारण केवल अगस्त 2024 में देश के चिकित्सा पर्यटन में 80% की गिरावट दर्ज की गई है।
  • विदेशी पर्यटकों में बांग्लादेश का हिस्सा: जनवरी से अगस्त 2024 तक, भारत आने वाले सभी विदेशी पर्यटकों में बांग्लादेशी नागरिकों की हिस्सेदारी तकरीबन 20.77% थी। 
    • हालाँकि, अगस्त तक, संकट के कारण यह आँकड़ा घटकर तकरीबन 15.59% रह गया। 
  • विदेशी चिकित्सा पर्यटन में बांग्लादेश की हिस्सेदारी: भारतीय उपमहाद्वीप में विदेशी चिकित्सा पर्यटक, जो वर्ष 2024 के पहले आठ महीनों में भारत में कुल विदेशी पर्यटकों का 7.72% प्रतिनिधित्व कर रहे थे, अगस्त में उनकी हिस्सेदारी घटकर 6.85% रह गई। 
    • इस गिरावट का प्रमुख कारण हिंसा व राजनैतिक अस्थिरता के दौरान चिकित्सा उद्देश्यों के लिए यात्रा करने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की कम संख्या है। 

अन्य क्षेत्रीय चुनौतियों का प्रभाव

  • अन्य देशों के चिकित्सा पर्यटक: बांग्लादेश के अलावा, यमन, इराक, ओमान, मालदीव, सूडान, केन्या, नाइजीरिया, तंजानिया और म्यांमार जैसे कई अन्य देशों ने भारत के चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • आंतरिक या क्षेत्रीय संघर्षों से प्रभावित देश: यमन, इराक, सूडान और म्यांमार सभी आंतरिक या क्षेत्रीय संघर्षों में उलझे हुए हैं, जिससे इन देशों के लोगों के लिए चिकित्सा उपचार के लिए बाहरी देशों की यात्रा करना मुश्किल हो गया है।
  • मालदीव के साथ राजनीतिक तनाव: नवंबर 2023 में मोहम्मद मुइज़ू के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के बीच राजनयिक संबंधों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिससे द्वीपीय राष्ट्र से चिकित्सा पर्यटन प्रवाह प्रभावित हुआ है।

भारत में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने वाले कारक

  • शीर्ष चिकित्सा संस्थान: अपोलो अस्पताल, फोर्टिस हेल्थकेयर, मैक्स हेल्थकेयर और सीएमसी वेल्लोर जैसे अस्पताल भारत में उन्नत चिकित्सा देखभाल के आकांक्षी पर्यटकों व अंतरराष्ट्रीय स्तर के रोगियों के लिए प्रमुख गंतव्यों में से हैं।
  • किफायती स्वास्थ्य सेवा: अमेरिका में बाईपास सर्जरी की लागत तकरीबन $100,000 तक हो सकती है, जबकि भारत में यही प्रक्रिया लगभग $5,000 में पूरी की जा सकती है, जिससे भारतीय अस्पतालों में चिकित्सा लागत प्रभावी है। 
    • इसलिए यह गंभीर स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए एक आकर्षक केंद्र है। 
  • वैकल्पिक चिकित्सा: आयुर्वेद, योग, होम्योपैथी और सिद्ध जैसी वैकल्पिक चिकित्सा की उपलब्धता ने भारत को चिकित्सा पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बना दिया है। 
    • उदाहरण के लिए: किंग चार्ल्स III और क्वीन कैमिला जैसे हाई-प्रोफाइल आगंतुक, जिन्होंने बेंगलुरु में सौक्या इंटरनेशनल होलिस्टिक हेल्थ सेंटर का दौरा किया, ने भारत में वैकल्पिक चिकित्सा में बढ़ती रुचि को उजागर किया। 
  • क्रिसिल रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती आमद: क्रिसिल के अनुसार, 2023 में भारत ने अनुमानित 6.1 मिलियन चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित किया, जो इस क्षेत्र की क्षमता को और भी रेखांकित करता है। 

आगे की राह : 

  • वर्तमान रुझानों के अनुसार, भारत की चिकित्सा पर्यटन नीतियों में रणनीतिक बदलाव की आवश्यकता है। इसके अलावा 2022 में पर्यटन मंत्रालय द्वारा तैयार की गई चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
  • विविध पृष्ठभूमि के स्रोत देश: भारत को चिकित्सा पर्यटकों के लिए कम विकसित अर्थव्यवस्थाओं से परे देखना चाहिए।
  • विकसित देशों के चिकित्सा पर्यटक: 2022 में, केवल 1.4% चिकित्सा पर्यटक अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और स्विटजरलैंड जैसे विकसित देशों से आए थे।
    • इन देशों में चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची का इंतजार करना जोखिम भरा होता है, जो उन्हें भारत के चिकित्सा पर्यटन प्रस्तावों के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाती है।
  • केंद्रित विपणन अभियान चलाना : इन देशों को लक्षित करने वाला एक केंद्रित विपणन अभियान स्रोत देशों में विविधता लाने और उच्च-भुगतान वाले चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद कर सकता है।
  • ई-वीजा पहुँच का विस्तार: भारत वर्तमान में 170 देशों को ई-वीजा प्रदान करता है, लेकिन भारत के शीर्ष चिकित्सा पर्यटन स्रोत सूची में कई देश, जैसे कि इराक, यमन, मालदीव, सूडान और नाइजीरिया, इस सुविधा तक पहुँच नहीं रखते हैं।
  • ई-वीज़ा की आवश्यकता: इन देशों के लिए ई-वीज़ा को मंज़ूरी देने से इस क्षेत्र को तत्काल राहत मिलेगी और चिकित्सा पर्यटकों के लिए यात्रा सुगमता की भी सुविधा मिलेगी। 
  • बांग्लादेश के लिए ई-वीज़ा सुविधा : इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश में ई-वीज़ा पहुँच का विस्तार, जिसे जून 2024 में ही औपचारिक रूप दिया गया था, यात्रा की आसानी को और बढ़ाएगा। 
  • अपंजीकृत एजेंटों को विनियमित करना: जैसा कि चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र अपंजीकृत एजेंटों से ग्रस्त है जो अक्सर रोगियों और अस्पतालों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं, कभी-कभी रोगियों को कम पैसे देते हैं यहाँ तक की निम्न गुणवत्तायुक्त सेवाएँ प्रदान करते हैं। 
  • एजेंटों की निगरानी और विनियमन : रोगियों की सुरक्षा और उद्योग की अखंडता को बनाए रखने के लिए इन एजेंटों की निगरानी और विनियमन को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। 

निष्कर्ष 

एक उच्च रणनीति और बेहतर बुनियादी ढाँचे के साथ, भारत का चिकित्सा पर्यटन उद्योग अपनी गति को पुनः प्राप्त कर सकता है। अपनी सेवाओं को उन्नत करके व केंद्रित अभियानों के माध्यम से निकट भविष्य में फल-फूल सकता है। 

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न: 

प्रश्न : भारत में चिकित्सा पर्यटन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहा है। इस वृद्धि में योगदान करने वाले प्रमुख कारकों और इसे प्रभावित करने वाली हाल की चुनौतियों पर चर्चा करें। 

(15 अंक , 250 शब्द)

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