100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा और अगली पीढ़ी की डीएनए अनुक्रमण सुविधा

Lokesh Pal December 24, 2024 03:57 18 0

संदर्भ 

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून में पश्मीना प्रमाणन और अगली पीढ़ी के DNA अनुक्रमण (Next-Generation DNA Sequencing-NGS) के लिए उन्नत सुविधा का उद्घाटन किया।

भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून

  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) भारत में वन्यजीव अनुसंधान, शिक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित एक प्रमुख संस्थान है।
  • वर्ष 1982 में स्थापित, WII भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है।

अगली पीढ़ी के DNA अनुक्रमण (NGS) सुविधा के बारे में

  • NGS पूरे जीनोम को तेजी से डिकोड करने में सक्षम बनाता है और एक साथ लाखों DNA अनुक्रमों का विश्लेषण करता है।
  • आनुवंशिक विविधता, विकासवादी संबंधों और जनसंख्या स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • वन्यजीव संरक्षण में अनुप्रयोग
    • जनसंख्या के आनुवंशिक स्वास्थ्य और आनुवंशिक विविधता की पहचान करता है।
    • आनुवंशिक बाधाओं और उनके प्रभावों का अध्ययन करता है।
    • रोग प्रकोप को समझने और अवैध वन्यजीव व्यापार का पता लगाने में सहायता करता है।
    • जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मूल्यांकन करता है।
  • अनुसंधान पर प्रभाव
    • WII को एक अग्रणी आणविक और आनुवंशिक अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
    • जैव विविधता जीनोमिक्स, जनसंख्या आनुवंशिकी और रोग निगरानी में अध्ययन की सुविधा प्रदान करता है।
    • NGS सुविधा निम्नलिखित पर शोध का समर्थन करती है:
      • जलवायु परिवर्तन के प्रति आनुवंशिक अनुकूलन।
      • पेथोजन -होस्ट  इंटरैक्शन।
      • बाघ, हाथी और नदी डॉल्फिन सहित लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए संरक्षण रणनीतियाँ।

NGS सुविधा के पक्ष और विपक्ष

पक्ष 

  • उच्च थ्रूपुट (High throughput): NGS कम समय में बड़ी मात्रा में DNA का अनुक्रम कर सकता है, जिससे एक साथ कई जीनों का विश्लेषण किया जा सकता है।
  • लागत-प्रभावी (लंबे समय में): चूँकि प्रारंभिक निवेश अधिक है, परंतु बड़े बैचों को संसाधित करते समय प्रति नमूना लागत में काफी कमी आती है।
  • बेहतर रोगी देखभाल: अधिक सटीक निदान, व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ और बेहतर रोग प्रबंधन सक्षम बनाता है।

विपक्ष

  • उच्च प्रारंभिक निवेश: पर्याप्त बुनियादी ढाँचे (कंप्यूटर, भंडारण, विशेष उपकरण) की आवश्यकता होती है।
  • डेटा विश्लेषण चुनौतियाँ: उत्पन्न डेटा की विशाल मात्रा का विश्लेषण और व्याख्या करने के लिए अत्यधिक कुशल कर्मियों की आवश्यकता होती है।
  • डेटा ओवरलोड की संभावना: विशाल डेटासेट से चिकित्सकीय रूप से प्रासंगिक जानकारी का प्रबंधन और निष्कर्षण जटिल हो सकता है।

पश्मीना प्रमाणन केंद्र के बारे में 

  • WII और हस्तशिल्प निर्यात संवर्द्धन परिषद (EPCH) के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत स्थापित।

हस्तशिल्प निर्यात संवर्द्धन परिषद (Export Promotion Council for Handicrafts- EPCH) के बारे में 

  • EPCH हस्तशिल्प निर्यातकों का एक शीर्ष निकाय है, जो हस्तशिल्प और संबद्ध उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देता है और भारत की छवि को उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प वस्तुओं के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में प्रस्तुत करता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1986-87 में कंपनी अधिनियम के तहत की गई थी।
  • उद्देश्य: भारत से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देना, समर्थन देना और बढ़ाना।
  • मुख्य गतिविधियाँ
    • भारतीय हस्तशिल्प एवं उपहार मेला (IHGF) का आयोजन करना, जो एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला है।
    • अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय हस्तशिल्प को बढ़ावा देना।
    • कारीगरों के कौशल विकास और क्षमता निर्माण में सहायता करना।
    • निर्यातकों को सूचना और सहायता प्रदान करना।

  • एक वर्ष में 15,000 से अधिक पश्मीना शॉलों को प्रमाणित किया गया, जिससे प्रामाणिकता सुनिश्चित हुई और मिश्रित रेशों की अनुपस्थिति सुनिश्चित हुई।
  • नई सुविधाओं में सटीक ऊन परीक्षण और प्रमाणन के लिए एनर्जी डिस्पर्सिव स्पेक्ट्रोस्कोपी (EDS) के साथ स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (SEM) शामिल है।
  • PCC का महत्त्व
    • आर्थिक प्रभाव: पारंपरिक हस्तशिल्प में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।
      • विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में कारीगरों तथा बुनकरों की आजीविका का समर्थन करता है।
    • वैश्विक बाजार विश्वसनीयता: राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रमाणित पश्मीना उत्पादों की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
    • संरक्षण योगदान: शहतूश ऊन अवैध व्यापार को हतोत्साहित करता है, तिब्बती मृग (चिरु) के संरक्षण में सहायता करता है।
      • IUCN के अनुसार, इस प्रजाति को वर्तमान में निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

पश्मीना के बारे में

  • पश्मीना अपनी असाधारण कोमलता, गर्माहट और शानदार अनुभव के लिए प्रसिद्ध है।
  • पश्मीना शब्द की उत्पत्ति स्थानीय भाषा में ‘पश्म’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है ‘नरम सोना’ और फारसी भाषा में अर्थ  ‘ऊन’ है। 
  • यह चांगथांगी बकरी के अंडरकोट से उत्पन्न होता है, जो भारत के लद्दाख जैसे क्षेत्रों में हिमालय के ऊँचे इलाकों में पाई जाने वाली एक नस्ल है।
  • GI टैग प्रमाण-पत्र: कश्मीर पश्मीना को भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणन प्राप्त हुआ है, जो इसकी अद्वितीय उत्पत्ति और गुणवत्ता को मान्यता देता है।
  • प्रयुक्त पशु: चांगथांगी (Changthangi) बकरी (कैप्रा एगेग्रस हिरकस-Capra aegagrus hircus), जिसे पश्मीना बकरी के नाम से भी जाना जाता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.