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दूरसंचार नियम, 2024

Lokesh Pal December 25, 2024 03:13 34 0

संदर्भ 

केंद्र सरकार ने दूरसंचार (प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय, संदेशों के कानूनी इंटरसेप्शन के लिए) नियम, 2024 [Telecommunications (Procedures and Safeguards for Lawful Interception of Messages) Rules, 2024] को अधिसूचित किया है।

मैसेज इंटरसेप्शन (Message Interception) क्या है?

  • यह दो या दो से अधिक लोगों के बीच भेजे गए संदेशों को उनकी अनुमति के बिना गुप्त रूप से एक्सेस करने या कैप्चर करने का कार्य है।
  • ‘मैसेज इंटरसेप्शन’ के बारे में नए नियम का उद्देश्य संभावित गोपनीयता के अधिकार के उल्लंघन पर चिंताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
    • यह भारतीय टेलीग्राफ नियम, 1951 के नियम 419A को प्रतिस्थापित करता है।

नए नियमों की मुख्य विशेषताएँ

  • उद्देश्य: अधिकृत एजेंसियों को विशिष्ट कारणों से और सीमित अवधि के लिए संदेशों को रोकने की अनुमति देना।
  • यह मौजूदा कॉल इंटरसेप्शन प्रोटोकॉल पर आधारित है।
  • अवधि: अधिकतम छह महीने के लिए इंटरसेप्शन की अनुमति है।
  • अनुमोदन के लिए सक्षम प्राधिकारी
    • संघ स्तर: गृह सचिव।
    • राज्य स्तर: मुख्य सचिव।
    • अत्यावश्यक मामले: संयुक्त सचिव या महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी अंतरिम आदेश जारी कर सकते हैं, जो तीन कार्य दिवसों के भीतर सक्षम प्राधिकारी द्वारा पुष्टि के अधीन है।
    • 7 कार्य दिवसों के भीतर पुष्टि न करने पर इंटरसेप्शन समाप्त कर दिया जाएगा तथा एकत्रित डेटा को साक्ष्य के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

इंटरसेप्ट की गई बातचीत पर न्यायपालिका का दृष्टिकोण

  • आर. एम. मलकानी बनाम महाराष्ट्र राज्य (1973): यह वाद इस प्रश्न पर आधारित है कि किसी व्यक्ति के विरुद्ध केवल टेलीफोन पर हुई बातचीत के आधार पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं।
  • टेलीफोन पर हुई बातचीत की स्वीकार्यता: इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि यदि रिकॉर्ड की गई बातचीत प्रासंगिक है और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian evidence act- IEA) के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करती है, तो उसे साक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। 
    • हालाँकि, इसे इस तरह दर्ज किया जाना चाहिए ताकि सटीकता को सत्यापित किया जा सके।

नए नियमों और ‘नियम 419A’ के मध्य अंतर

आधार

नियम 419A

नया नियम

‘आकस्मिक मामलों’ की शर्त में छूट केवल आकस्मिक मामलों में ही इंटरसेप्शन की अनुमति दी गई।

‘दूरस्थ क्षेत्रों’ या ‘परिचालन कारणों’ को शामिल करने के लिए दायरा बढ़ाया गया।

प्राधिकृत अधिकारियों की सीमाएँ

राज्य स्तर पर महानिरीक्षक स्तर के अधिकारियों की संख्या पर कोई सीमा नहीं है।

केवल अधिकृत एजेंसी का प्रमुख या दूसरा वरिष्ठतम अधिकारी ही इंटरसेप्शन आदेश जारी कर सकता है।

इंटरसेप्शन आदेशों का सत्यापन कोई विशिष्ट सत्यापन समयसीमा नहीं

सात दिनों के भीतर पुष्टि न किए गए ऑर्डर अमान्य हो जाते हैं तथा एकत्रित डेटा का उपयोग नहीं किया जा सकता।

मुख्य चिंताएँ

  • दुरुपयोग की संभावना: ऐसी चिंताएँ हैं कि इन नियमों का अधिकारियों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है, जिससे नागरिकों की अनुचित निगरानी हो सकती है।
  • गोपनीयता का उल्लंघन: ये नियम व्यक्तियों की गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं।

संदेश अवरोधन के लिए पुराना ढाँचा 

  • भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885: भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 ने सरकार को सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कारणों से संदेशों को रोकने की शक्ति प्रदान की।
  • नियम 419A (2007): इसे PUCL बनाम भारत संघ (1996) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद वर्ष 2007 में प्रस्तुत किया गया था।
    • PUCL के फैसले में संविधान के अनुच्छेद-21 के अंतर्गत व्यक्ति के निजता के अधिकार की रक्षा के महत्त्व पर जोर दिया गया।
    • नियम 419A के तहत प्रस्तुत किए गए प्रमुख प्रावधान
      • अवरोधन के लिए स्पष्ट अनुमोदन प्रक्रिया।
      • कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए जवाबदेही तंत्र।
      • वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निगरानी सुनिश्चित करना कि अवरोधन का दुरुपयोग न हो।

मैसेज इंटरसेप्शन (Message Interception) कैसे होता है?

  • मैन-इन-द-मिडल (Man In The Middle- MITM) अटैक: हैकर्स संदेशों को कैप्चर करने के लिए स्वयं को प्रेषक एवं रिसीवर के बीच रखते हैं।
  • नेटवर्क स्निफिंग (Network Sniffing): डेटा चुराने के लिए सार्वजनिक वाई-फाई जैसे असुरक्षित नेटवर्क की निगरानी करना।
  • मैलवेयर: संदेशों तक पहुँचने या उन्हें पुनर्निर्देशित करने के लिए दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
  • मैन-इन-द-मिडल (MITM) अटैक
    • सिम स्वैपिंग (SIM Swapping): हैकर SIM संदेशों और कॉल को रोकने के लिए सिम कार्ड की नकल करते हैं।
    • फिशिंग: संचार तक पहुँचने के लिए नकली ईमेल या वेबसाइटों के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को लॉगिन क्रेडेंशियल प्राप्त करना।
    • सॉफ्टवेयर संबंधी लूपहोल का प्रयोग: संदेशों तक अनधिकृत पहुँच प्राप्त करने के लिए पुराने या दोषपूर्ण सॉफ्टवेयर का उपयोग करना।
  • ऐसा क्यों किया जाता है?
    • व्यक्तियों या संगठनों पर जासूसी करना।
    • पासवर्ड या बैंक विवरण जैसी संवेदनशील सूचनाओं को चुराना।
    • सरकार या एजेंसी की निगरानी के लिए।
  • प्रभाव
    • गोपनीयता का उल्लंघन।
    • व्यक्तिगत या संवेदनशील डेटा की हानि।
    • कानूनी और नैतिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।
  • इसे कैसे रोकें?
    • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन वाले ऐप या प्लेटफॉर्म का उपयोग करना।
    • महत्त्वपूर्ण संचार के लिए सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करने से बचाना।
    • अपने सॉफ्टवेयर और डिवाइस को अपडेट रखना।
    • मजबूत पासवर्ड का उपयोग करना और अपने खातों को सुरक्षित रखना।

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