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हाइब्रिड एरोजेल-आईपीकॉम्प-9

Lokesh Pal December 25, 2024 03:28 20 0

संदर्भ

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Science Education and Research- IISER) पुणे के शोधकर्ताओं ने एक हाइब्रिड एरोजेल आईपीकॉम्प-9  (Hybrid Aerogel-IPcomp-9) विकसित किया है, जो इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट से कुशलतापूर्वक स्वर्ण निकालने में सक्षम है।

ई-अपशिष्ट (E- waste) के बारे में

  • ई-अपशिष्ट से तात्पर्य इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों से है, जिसमें गैजेट, कंप्यूटर और घरेलू उपकरण जैसे उपकरण शामिल हैं।
  • ई-अपशिष्ट के घटक
    • धातुएँ: सोना, चाँदी, ताँबा, प्लेटिनम, एल्युमीनियम और पैलेडियम।
    • प्लास्टिक: आवरण एवं इन्सुलेशन में उपयोग किया जाता है।
    • काँच: स्क्रीन और मॉनिटर में पाया जाता है।
    • खतरनाक पदार्थ: सीसा, पारा, कैडमियम और अग्निरोधी।
    • अन्य सामग्री: बैटरी, सर्किट बोर्ड और छोटे यांत्रिक भाग।

भारत में बढ़ता ई-अपशिष्ट

  • वैश्विक ई-अपशिष्ट में भारत का योगदान 6.4% है।
  • ‘UN ट्रेड एंड डेवलपमेंट’ की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 से 2022 के बीच भारत में ई-अपशिष्ट उत्पादन में 131% की वृद्धि हुई है।
  • ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर, 2020 का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत का ई-अपशिष्ट 9.2 मिलियन टन से बढ़कर 74.7 मिलियन टन हो जाएगा।

हाइब्रिड एरोजेल आईपीकॉम्प-9 के बारे में

  • आईपीकॉम्प-9 एक नया हाइब्रिड एरोजेल है, जिसमें अनुकूलित सक्रिय साइटें हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट (ई-अपशिष्ट) और दूषित जल से चुनिंदा रूप से स्वर्ण के आयनों को अलग कर सकती हैं।

  • IISER के शोधकर्ताओं ने दो प्रकार के क्रिस्टलीय ठोस पदार्थों को सहसंयोजक रूप से जोड़कर आईपीकॉम्प-9 (IPcomp-9) को संश्लेषित किया, जिसमें एक जिरकोनियम से बना धातु-कार्बनिक पॉलीहेड्रल (Polyhedral) और एक 2D इमाइन-लिंक्ड सहसंयोजक कार्बनिक ढाँचा (2D imine-linked Covalent Organic Framework) शामिल है।
  • शोधकर्ताओं ने आयरन नाइट्रेट लवण का उपयोग करके दोनों सामग्रियों को सामान्य तापमान पर दो से पाँच मिनट रखकर दोनों को जोड़ने में सफलता प्राप्त की।
  • अवशोषण की क्रियाविधि: इमाइन समूह और धनात्मक रूप से आवेशित जिरकोनियम क्लस्टर मुख्य भाग हैं, जो नकारात्मक रूप से आवेशित स्वर्ण आयनों को आकर्षित करते हैं और उन्हें बाँधते हैं।
    • इसके बाद, जुड़े हुए आयन तेजी से धातु के स्वर्ण में परिवर्तित हो जाते हैं।
  • दक्षता: उन्होंने ई-अपशिष्ट से 99% तक स्वर्ण के आयन निकाले और सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में 1689 mg/g तथा नीली रोशनी में 2349 mg/g निष्कर्षण प्राप्त किया।
  • दोहरी प्रक्रिया: एरोजेल अवशोषण और कमी को सुगम बनाता है, जिससे यथोचित रूप से शुद्ध सोना प्राप्त होता है और आगे शुद्धिकरण की आवश्यकता कम हो जाती है।
  • संभावित अनुप्रयोग: यदि इसका विस्तार किया जाए, तो यह तकनीक ई-अपशिष्ट के प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और संधारणीय संसाधन पुनर्प्राप्ति को बढ़ावा दे सकती है।
  • विविध अनुप्रयोग: यह नदियों, झीलों, भूजल और समुद्री जल से भी बहुत अधिक मात्रा में स्वर्ण निष्कर्षण को सक्षम बना सकता है।
  • पुन: प्रयोज्यता: इसका पाँच बार तक प्रयोग किया जा सकता है और यह ई-अपशिष्ट के विलयन से प्रभावी ढंग से सोना निकालता है, जिससे जहरीले रसायनों के प्रभाव से भी बचा जा सकता है।
  • आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ: यह तकनीक ई-अपशिष्ट के प्रबंधन और खतरनाक खनन प्रथाओं पर निर्भरता को कम करने के लिए एक स्थायी तरीका प्रदान करती है, जिससे अपशिष्ट को धन में बदला जा सकता है।
    • पारंपरिक स्वर्ण निष्कर्षण विधियाँ, जैसे कि पायरोमेटेलर्जी, हाइड्रोमेटेलर्जी और साइनाइड निष्कर्षण, ऊर्जा-गहन, समय लेने वाली, जटिल और महंगी हैं।
    • वे हानिकारक रसायन भी उत्सर्जित करती हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं।

एरोजेल (Aerogels) क्या हैं?

  • एरोजेल अत्यंत कम घनत्व और उच्च छिद्रता वाले अल्ट्रालाइट पदार्थों का एक वर्ग है।
  • वे जेल से प्राप्त होते हैं, जहाँ तरल घटक को महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक हानि के बिना गैस से बदल दिया जाता है।
  • सिलिका एरोजेल में ठोस घटक छोटे, तीन-आयामी, आपस में जुड़े हुए समूहों से बना होता है, जो आयतन का केवल 3% होता है और सूक्ष्म छिद्रों में वायु एरोजेल के आयतन का शेष 97% बनाती है, जिससे यह बहुत खराब चालक बन जाता है।
  • इस वायु में घूमने के लिए बहुत कम जगह होती है, जिससे संवहन एवं गैस-चरण चालन दोनों बाधित होते हैं। ये विशेषताएँ एरोजेल को दुनिया का सबसे कम घनत्व वाला ठोस और सबसे प्रभावी थर्मल इंसुलेटर बनाती हैं।

एरोजेल के प्रकार

  • सिलिका एरोजेल: सबसे सामान्य प्रकार, सिलिका से प्राप्त होता है।
  • कार्बन एरोजेल: कार्बनिक पूर्ववर्तियों से निर्मित, उच्च विद्युत चालकता के लिए जाना जाता है।
  • धातु ऑक्साइड एरोजेल: एलुमिना और आयरन ऑक्साइड जैसे धातु ऑक्साइड से व्युत्पन्न।
  • पॉलिमर एरोजेल: कार्बनिक पॉलिमर पर आधारित, लचीलापन और ट्यूनेबल गुण प्रदान करता है।
  • हाइब्रिड एरोजेल: ये मिश्रित सामग्रिया हैं, जो अपनी संरचना में दो या दो से अधिक विभिन्न प्रकार की सामग्रियों को जोड़ती हैं।

एरोजेल के अनुप्रयोग

  • थर्मल इन्सुलेशन: उनकी उच्च छिद्रता और कम तापीय चालकता के कारण उत्कृष्ट इन्सुलेटर। अंतरिक्ष अन्वेषण, क्रायोजेनिक्स और निर्माण सामग्री में उपयोग किया जाता है।
  • उत्प्रेरण: उच्च सतह क्षेत्र रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए सक्रिय स्थल प्रदान करता है, जिससे वे उत्प्रेरक के रूप में उपयोगी होते हैं।
  • ध्वनि अवशोषण: अपनी छिद्रपूर्ण संरचना के कारण प्रभावी ध्वनि अवशोषक। ध्वनिक पैनलों और शोर में कमी में उपयोग किया जाता है।
  • सेंसर: तापमान, दबाव और आर्द्रता में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील, जो उन्हें सेंसर अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाता है।
  • दवा वितरण: उनके उच्च सतह क्षेत्र और जैव-संगतता (Biocompatibility) के कारण दवा वितरण के लिए वाहक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  • एयरोस्पेस: अपने हल्के वजन और उच्च शक्ति-से-भार अनुपात के कारण अंतरिक्ष यान घटकों में इसका उपयोग किया जाता है।

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