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18वीं द्विवार्षिक वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR-2023)

Lokesh Pal December 25, 2024 06:00 19 0

संदर्भ :

हाल ही में भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा प्रकाशित 18वीं द्विवार्षिक वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR-2023) भारत के वन और वृक्षावरण के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण  दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है।

ISFR-2023 का अवलोकन

  • वृक्षों की संख्या और वनों में वृद्धि : रिपोर्ट में 2021 से वनावरण में 156 वर्ग किलोमीटर की मामूली वृद्धि और वृक्षावरण में 1,289 वर्ग किलोमीटर की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
  • भारत का हरित आवरण : पहली बार भारत का कुल हरित आवरण 25% की सीमा को पार कर गया है, जो 8,27,357 वर्ग किलोमीटर तक पहुँच गया है | यह  देश के कुल भूमि क्षेत्र का 25.17% है। 
    • इसमें 21.76% वनावरण (4,10,175 वर्ग किलोमीटर) और 3.41% वृक्षावरण शामिल हैं।

भारत में वन और वनों का संरक्षण

  • वनों का महत्त्व : वन केवल वृक्ष नहीं हैं, ये विभिन्न जीव-जंतुओं को जीवन, आश्रय, भोजन, आजीविका और सुरक्षा प्रदान करने हेतु महत्त्वपूर्ण घटक हैं।
    • इनका सांस्कृतिक महत्त्व भी है, यथा कई जनजातियाँ वनों को पवित्र मानते हुए उनका सम्मान भी करती हैं।
  • औपनिवेशिक युग और उसके पश्चात् : ब्रिटिश शासन के तहत लकड़ी के लिए वनों का दोहन किया जाता था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद “वन संरक्षण अधिनियम, 1980” पारित किया गया, जिसने विकास के लिए अनियंत्रित भूमि उपयोग को सीमित कर दिया | परिणामस्वरूप वनों के संधारणीय उपयोग हेतु एक नियामक तंत्र की आवश्यकता थी।
  • वन अधिकार अधिनियम, 2006 : इस अधिनियम ने ग्रामीण समुदायों के वनों तक पहुँचने और उनका प्रबंधन करने के साथ-साथ लघु वन उपज के स्वामित्व और बिक्री अधिकारों को मान्यता दी।
  • संतुलन निर्माण : औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है।
    • वन और जैव विविधता में गिरावट : विकास परियोजनाओं के कारण पश्चिमी घाट, नीलगिरि और पूर्वोत्तर वन जैसे पारिस्थितिक तंत्र में गिरावट आ रही है, जबकि तटीय विकास के कारण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मैंग्रोव क्षेत्र कम हो रहे हैं।

वृक्षारोपण द्वारा सघन वनों का निर्माण

  • कार्बन सिंक : महासागर और जंगल जैसे कार्बन सिंक वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को अवशोषित करते हैं और वायु में इसकी सांद्रता को कम करते हैं।
  • वृक्षारोपण या वनों में वृद्धि : 2023 की रिपोर्ट में वृक्षारोपण के सघन वनों में बदलने पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें 2021 से 1,420 वर्ग किलोमीटर वृक्षारोपण क्षेत्र सघन वनों के रूप में वर्गीकृत हो रहे हैं।
    • संबंधित चिंताएँ : हालाँकि, विशेषज्ञों ने वृक्षारोपण पर बढ़ती निर्भरता के बारे में चिंता जताई है, क्योंकि उनमें अक्सर प्राकृतिक वनों की तुलना में जैव विविधता और पारिस्थितिक कार्य की कमी होती है।
  • कार्बन पृथक्करण : प्राकृतिक वनों से वृक्षारोपण की ओर परिवर्तन ने कार्बन पृथक्करण संबंधी चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
    • प्राकृतिक वन अपने बायोमास और मृदा दोनों में वृक्षारोपण की तुलना में कहीं अधिक कार्बन संगृहीत करते हैं |
    • आलोचकों का तर्क है, कि वृक्षारोपण की तीव्र वृद्धि परिपक्व, प्राकृतिक वनों के कार्बन स्टॉक स्तर से एकजुट नहीं हो सकती है, जो भारत द्वारा निर्धारित दीर्घकालिक जलवायु लक्ष्यों को कमजोर करती है।
  • वृक्षारोपण दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सकता : जबकि वृक्षारोपण अपनी तीव्र वृद्धि के कारण अल्पकालिक कार्बन लक्ष्यों को पूरा करने में योगदान दे सकता है, किन्तु इनका तीव्र गति से उन्मूलन (वनोन्मूलन) लंबे समय में इनके लाभों का प्रतिकार कर सकता है।

वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023

  • कुछ प्रकार की भूमि में छूट : उदाहरण के लिए, धारा 1A(2)(a) में निम्नलिखित प्रकार की भूमि को छूट दी गई है: 
    • सरकार द्वारा अनुरक्षित रेल लाइन या सार्वजनिक सड़क के किनारे स्थित ऐसी वन भूमि, जो किसी बस्ती या रेल और सड़क के किनारे की सुविधा प्रदान करती है, प्रत्येक मामले में अधिकतम 0.10 हेक्टेयर तक।
    • यह अधिनियम अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के 100 किमी. के भीतर “राष्ट्रीय महत्त्व और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित” सभी रणनीतिक रैखिक परियोजनाओं को भी छूट देता है।
  • अनुमत गतिविधियों का विस्तार : यह केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट वन-संवर्द्धन कार्य (silvicultural operations), वन्यजीव सफारी और पारिस्थितिक पर्यटन की सुविधा प्रदान करता है। 

निष्कर्ष

आगे बढ़ते हुए, प्राकृतिक वनों के संरक्षण और पुनर्स्थापन के साथ वृक्षारोपण के विकास को संतुलित करना पारिस्थितिक अखंडता को बनाए रखने और जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने हेतु महत्त्वपूर्ण होगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

18वीं द्विवार्षिक वन स्थिति रिपोर्ट, 2023 के आलोक में भारत में वनावरण तथा वृक्षावरण संबंधी प्रमुख आँकड़ों पर चर्चा कीजिए, साथ ही पर्यावरण संरक्षण में इसकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए |

(10 अंक, 150 शब्द)  

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