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भारत-कुवैत रणनीतिक साझेदारी

Lokesh Pal December 27, 2024 05:01 98 0

संदर्भ 

भारतीय प्रधानमंत्री ने कुवैत की अपनी पहली यात्रा की। इससे पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1981 में कुवैत की यात्रा की थीं।

संबंधित तथ्य 

  • भारत और कुवैत अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।

यात्रा के मुख्य बिंदु

  • ‘ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’: प्रधानमंत्री मोदी को कुवैत के नाइटहुड ऑर्डर, ‘ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ से सम्मानित किया गया।
    • यह सम्मान राष्ट्राध्यक्षों, विदेशी शासकों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
  •  सहयोग पर संयुक्त आयोग (JCC): दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण परिदृश्य की समीक्षा और निगरानी के लिए एक संस्थागत तंत्र।
    • इसकी अध्यक्षता दोनों देशों के विदेश मंत्री करेंगे।

  • नए संयुक्त कार्य समूह (JWGs): व्यापार, निवेश, शिक्षा और कौशल विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और आतंकवाद-निरोध, कृषि और संस्कृति के क्षेत्रों में हमारे द्विपक्षीय सहयोग को और अधिक विस्तारित करना।
    • उदाहरण: स्वास्थ्य, जनशक्ति और हाइड्रोकार्बन पर संयुक्त कार्यसमूह पहले से ही मौजूद हैं।
  • रक्षा पर समझौता ज्ञापन: यह द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए आवश्यक ढाँचा प्रदान करेगा।
    • उदाहरण: संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा कार्मिकों का प्रशिक्षण, तटीय रक्षा, समुद्री सुरक्षा, रक्षा उपकरणों का संयुक्त विकास और उत्पादन।
  • आतंकवाद: दोनों पक्षों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की स्पष्ट रूप से निंदा की।
    • उदाहरण: सीमा पार आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क एवं सुरक्षित पनाहगाहों को बाधित करना तथा आतंकी बुनियादी ढाँचे का उन्मूलन।
  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन: भारतीय पक्ष ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का सदस्य बनने के कुवैत के निर्णय का स्वागत किया।
  • सांस्कृतिक विनियमन: उन्होंने वर्ष 2025-2029 के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (CEP) के नवीनीकरण का स्वागत किया, जो कला, संगीत और साहित्य उत्सवों में अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा। 
  • खेल के क्षेत्र में सहयोग पर कार्यकारी कार्यक्रम: वर्ष 2025-2028 के लिए खेल के क्षेत्र में सहयोग पर कार्यक्रम हेतु हस्ताक्षर, जो खेल के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करेगा।
    • उदाहरण: दोनों देशों के बीच खिलाड़ियों का आपसी आदान-प्रदान और दौरा, कार्यशालाओं, सेमिनारों तथा सम्मेलनों का आयोजन, खेल प्रकाशनों का आदान-प्रदान।]

  • विजन 2035:  प्रधानमंत्री मोदी ने कुवैत की ‘विजन 2035’ विकास योजना की सराहना की और दोनों नेताओं ने साझा उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहयोग बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति

  • ऊर्जा: कुवैत भारत का एक प्रमुख ऊर्जा साझेदार है, जो भारत के कच्चे तेल के आयात का 3% प्रदान करता है और भारत के लिए कच्चे तेल का छठा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता और पेट्रोलियम गैस का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
    • यह भारत की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 3.5% भाग पूर्ण करता है।
  • व्यापार: भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय व्यापार एक नई ऊँचाई पर पहुँच गया है, जिसमें भारतीय निर्यात पहली बार 2 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।
    • कुवैत भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
    • वर्ष 2023-24 के दौरान कुल द्विपक्षीय व्यापार 10.479 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
    • निवेश: भारत में कुवैत निवेश प्राधिकरण (KIA) का निवेश 10 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जो मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
  • प्रवासी: कुवैत में विशाल भारतीय प्रवासी समुदाय कुवैत की जनसंख्या का 21% है तथा देश की अर्थव्यवस्था और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

रणनीतिक साझेदारी के प्रभाव

  • ऊर्जा सुरक्षा: प्रमुख तेल उत्पादक कुवैत के साथ सहयोग बढ़ाने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और इसके ऊर्जा स्रोतों में विविधता आएगी।
  • आर्थिक विकास: कुवैत से व्यापार और निवेश प्रवाह में वृद्धि से भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है और भारतीय व्यवसायों के लिए नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
  • क्षेत्रीय प्रभाव: कुवैत के साथ मजबूत साझेदारी से खाड़ी क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ेगा, जो रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
    • उदाहरण: भारत, व्यापार की मात्रा को बढ़ाने के लिए भारत-जीसीसी मुक्त व्यापार समझौते को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो 184.46 बिलियन डॉलर (वर्ष 2022-23) तक पहुँच गया है।
  • रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग: रक्षा और आतंकवाद निरोध में सहयोग से भारत की सुरक्षा मजबूत होगी और क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान मिलेगा।
    • उदाहरण: संयुक्त सैन्य अभ्यास, संयुक्त आतंकवाद विरोधी मिशन।
  • प्रवासी कल्याण: कुवैत के साथ मजबूत संबंध वहाँ के विशाल भारतीय प्रवासी समुदाय के कल्याण एवं सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
    • उदाहरण: लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम।

आगे की राह

  • नियमित द्विपक्षीय परामर्श: प्रमुख क्षेत्रों में समझौतों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना। उदाहरण: रक्षा, व्यापार एवं ऊर्जा।
  • वैश्विक स्तर पर सहयोग को सुदृढ़ बनाना: दोनों देशों को संयुक्त राष्ट्र एवं GCC जैसे बहुपक्षीय मंचों पर अपने सहयोग को मजबूत करना चाहिए।
    • इसके लिए क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने, आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने एवं वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों, विशेषकर आतंकवाद से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  •  आर्थिक सहयोग बढ़ाना: निवेश के लिए एक स्थिर और पूर्वानुमानित ढाँचा प्रदान करने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत में तेजी लाना और उसे अंतिम रूप देना।
    • इसके अलावा, एक-दूसरे की क्षमता का लाभ उठाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय और कुवैत की कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यमों को प्रोत्साहित करना।
  •  रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को गहन करना: रक्षा में अंतर-संचालनीयता और सहयोग बढ़ाने के लिए नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित करना।
    • रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास और उत्पादन के अवसरों का पता लगाना।
  • लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करना: दोनों देशों के बीच यात्रा एवं आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए वीजा प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
    • उदाहरण: बेहतर समझ एवं लोगों-से-लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान, छात्र आदान-प्रदान तथा पर्यटन को बढ़ावा देना।
  •  उच्च स्तरीय वार्ताओं को बढ़ावा देना: संबंधों में गति बनाए रखने और रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए उच्च स्तरीय राजनीतिक यात्राएँ और वार्ताएँ जारी रखना।
    • दोनों देशों के विधायी निकायों के बीच बेहतर समझ एवं सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सांसदों के बीच आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।

निष्कर्ष 

द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय जुड़ाव के लिए ये उन्नत तंत्र भारत-कुवैत रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेंगे, जिससे आपसी समृद्धि तथा क्षेत्रीय सुरक्षा में इसका स्थायी योगदान सुनिश्चित होगा।

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