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भारत और कुवैत द्विपक्षीय संबंध

Lokesh Pal December 26, 2024 05:45 17 0

संदर्भ :

भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत यात्रा वर्ष 1981 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है, जो  भारत की खाड़ी कूटनीति में एक मील का पत्थर साबित हुई है । इससे पहले कुवैत के प्रधानमंत्री ने लगभग 12 वर्ष पूर्व भारत की यात्रा की थी। कुवैत, GCC (खाड़ी सहयोग परिषद) का एक प्रमुख सदस्य, मजबूत व्यापारिक संबंधों और एक बड़े भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है।

ऐतिहासिक और आर्थिक संदर्भ

  • कुवैत में लगभग पाँच लाख भारतीय रहते हैं, जो देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।
  • औपनिवेशिक युग : यह मजबूत उपस्थिति ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित है, जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के युग के दौरान पश्चिम एशिया में भारत के व्यापारिक मार्गों में एक प्रवेश द्वार के रूप में कुवैत की भूमिका शामिल है।
  • कुवैत में भारतीय रुपया : वर्ष 1961 तक, जब कुवैत को स्वतंत्रता मिली, तब तक भारतीय रुपया देश में वैध मुद्रा के रूप में भी प्रयोग किया जाता था।
  • द्विपक्षीय संबंध : वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिसका व्यापार मूल्य $10 बिलियन से अधिक है।
    • कुवैत भारत की ऊर्जा सुरक्षा में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है | कच्चे तेल का छठा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता और LPG का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता राष्ट्र होने के साथ कुवैत भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 3% भाग पूर्ण करता है।

रणनीतिक और रक्षा सहयोग अंतराल में कमी 

  • अवरोध : मजबूत व्यापार और मानव संबंधों के बावजूद, भारत-कुवैत संबंधों में सामरिक और रक्षा सहयोग में कम विकास हुआ है, सद्दाम हुसैन के इराक के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों के कारण अवरोध बने हुए हैं। प्रधानमंत्री की यात्रा का मुख्य उद्देश्य इन अंतरालों को कम करना था।

सद्दाम हुसैन के कुवैत पर आक्रमण के प्रति भारत की सतर्क प्रतिक्रिया ने इराक के साथ भारत के सुदृढ़ ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाया, किन्तु इसके परिणामस्वरूप कुवैत के साथ संबंध नकरात्मक गए।

  • रक्षा के लिए समझौता ज्ञापन : दोनों देशों ने रक्षा सहयोग को संस्थागत बनाने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के साथ ही रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
  • प्रधानमंत्री मोदी के लिए कुवैत का सर्वोच्च सम्मान : इस यात्रा को कुवैत के सर्वोच्च सम्मान “ऑर्डर ऑफ मुबारक अल-कबीर” से प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित करके और भी महत्त्वपूर्ण बनाया गया, जिसने इस यात्रा के महत्त्व को रेखांकित किया।

क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण क्षण

  • पश्चिम एशिया संघर्ष :  पश्चिम एशियाई क्षेत्र में व्यापक अस्थिर भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए इस यात्रा का समय महत्त्वपूर्ण था।
    • गाजा, यमन और लेबनान में संघर्ष : गाजा में चल रहे संघर्ष ने, लेबनान और यमन में हिंसा के साथ मिलकर, इस क्षेत्र को और अधिक अस्थिर कर दिया है तथा शांति प्रयासों को और भी दूर कर दिया है।
    • सीरियाई संकट : सीरिया में इस्लामी कट्टरपंथियों के उदय तथा संघर्ष ने क्षेत्रीय अस्थिरता में योगदान दिया है।
  • भारत के लिए चुनौती : इस संदर्भ में भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

ऊर्जा, कनेक्टिविटी और नागरिक कल्याण

भारत की महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय पहलें भी विद्यमान अस्थिरता से प्रभावित हो सकती हैं, जो निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट है : 

  • क्षेत्रीय पहल : I2U2 (भारत, इज़राइल, यूएई और यू.एस.) और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री आर्थिक गलियारा (IMEC) जैसी परियोजनाएँ कनेक्टिविटी और सहयोग बढ़ाने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन क्षेत्र में सुरक्षा स्थितियों के मद्देनजर इसमें देरी हो सकती है।
  • विश्व नेतृत्व में शून्यता : वर्तमान ट्रम्प प्रशासन का घरेलू मुद्दों पर ध्यान, साथ ही रूस-यूक्रेन संघर्ष पर यूरोप का ध्यान, नेतृत्व शून्यता पैदा कर सकता है, जिससे कई अन्य वैश्विक संकट वाले क्षेत्र लंबित रह जाएंगे ।
  • नागरिक कल्याण : इसके अतिरिक्त भारत को खाड़ी क्षेत्र में रहने और कार्य करने वाले आठ मिलियन से अधिक भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा करना जारी रखना चाहिए। 

निष्कर्ष

स्पष्ट है कि भारत और कुवैत के द्विपक्षीय संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सहयोग पर आधारित हैं। कुवैत भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार है, जबकि भारत कुवैत के लिए एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक और श्रमिक स्रोत है। दोनों राष्ट्रों के मध्य व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बढ़ता सहयोग, इनके संबंधों को और मजबूत बनाता है। यह साझेदारी परस्पर लाभ और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने में सहायक है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

खाड़ी क्षेत्र में भारत की पहुँच के संदर्भ में भारत-कुवैत संबंधों के महत्त्व पर चर्चा कीजिए । बताइए कि यह संबंध भारत के ऊर्जा और रणनीतिक हितों के साथ किस प्रकार संरेखित है?

(10 अंक, 150 शब्द)

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