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CBI को FIR दर्ज करने के लिए राज्य की सहमति की जरूरत नहीं: उच्चतम न्यायालय

Lokesh Pal January 06, 2025 06:06 27 0

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि CBI को किसी केंद्रीय कानून के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारी के विरुद्ध FIR दर्ज करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2023 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें संबंधित राज्य से सहमति नहीं मिलने के आधार पर भ्रष्टाचार के मामले में दो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ CBI जाँच को रद्द कर दिया गया था।

CBI को राज्य की सहमति 

  • कानूनी प्रावधान: CBI को किसी विशेष राज्य में अपराध की जाँच करने से पहले राज्य सरकारों की सहमति प्राप्त करना आवश्यक है, जैसा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (Delhi Special Police Establishment- DSPE) अधिनियम, 1946 की धारा 6 में निर्दिष्ट है।
    • सहमति की आवश्यकता से केंद्रशासित प्रदेश या रेलवे क्षेत्र बाहर हैं।
  • प्रकार: राज्य CBI को दो रूपों में अपनी सहमति दे सकता है:
    • केस-विशिष्ट: CBI को केस-दर-केस आधार पर सहमति के लिए आवेदन करना होता है और सहमति दिए जाने से पहले वह कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है।
    • सामान्य: यह आमतौर पर राज्यों द्वारा अपने राज्य में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की निर्बाध जाँच में CBI की मदद करने के लिए दिया जाता है क्योंकि उन्हें प्रत्येक बार अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • सामान्य सहमति वापस लेना: वर्तमान में पंजाब, झारखंड, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, मेघालय, तमिलनाडु और कर्नाटक सहित आठ राज्यों ने CBI को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है।
    • निहितार्थ: CBI उन राज्यों में नई जाँच शुरू नहीं कर सकती, जिन्होंने सहमति वापस ले ली है, जब तक कि उन्हें राज्य की मंजूरी न मिल जाए।
  • सामान्य सहमति का अपवाद: CBI को निम्नलिखित स्थितियों में राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं है, जब,
    • सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा आदेशित मामले।
    • अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में पंजीकृत मामले।
    • सहमति वापस लेने से पहले दर्ज मामले।

केंद्रीय अंवेषण ब्यूरो (CBI) 

  • CBI भारत में प्रमुख जाँच करने वाली घरेलू पुलिस एजेंसी है।
  • नोडल मंत्रालय: कार्मिक विभाग, कार्मिक, पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार
  • उत्पत्ति: रिश्वतखोरी तथा भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच करने के लिए एक केंद्रीय सरकारी एजेंसी के रूप में वर्ष 1943 में एक अध्यादेश के माध्यम से एक विशेष पुलिस बल का गठन किया गया था।
    • अध्यादेश को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।
    • स्थापना: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की स्थापना 1 अप्रैल, 1963 के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी।
  • प्रभाग: CBI के निम्नलिखित प्रभाग हैं:-
    • भ्रष्टाचार निरोधक प्रभाग, आर्थिक अपराध प्रभाग, विशेष अपराध प्रभाग, अभियोजन निदेशालय, प्रशासन प्रभाग, नीति एवं समन्वय प्रभाग, केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला।
  • अधीक्षण: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत अपराधों की जाँच के लिए अधीक्षण का कार्य केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास है।
    • तथा भारत सरकार के कार्मिक, पेंशन एवं शिकायत मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के साथ अन्य मामलों में सहयोग करना।
  • प्रमुख: CBI का नेतृत्व CBI निदेशक करते हैं जो पुलिस महानिदेशक के पद का एक आईपीएस अधिकारी होता है।
    • नियुक्ति: CBI निदेशक की नियुक्ति दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (Delhi Special Police Establishment- DSPE) अधिनियम, 1946 के तहत गठित एक समिति द्वारा की जाती है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
      • प्रधानमंत्री (समिति की अध्यक्षता करते हैं); लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश या मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
    • कार्यकाल सुरक्षा: CBI निदेशक का कार्यकाल न्यूनतम दो वर्ष (केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) अधिनियम, 2003 द्वारा अनिवार्य) होता है, जिसे अधिकतम पाँच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
      • दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अधिनियम, 2021 CBI निदेशक के कार्यकाल को अधिकतम पाँच वर्ष तक बढ़ाने की अनुमति देता है।
  • क्षेत्राधिकार (Jurisdiction)
    • दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 2, CBI को केवल केंद्र शासित प्रदेशों में अपराधों की जाँच करने का अधिकार देती है।
    • धारा 3: CBI को केवल उन मामलों की जाँच करने का अधिकार है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किया जाता है।
    • धारा 5(1): केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार की पूर्व सहमति से रेलवे क्षेत्रों और राज्यों सहित अन्य क्षेत्रों में भी CBI का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है।
    • धारा 6: राज्य सरकार अधिनियम की धारा 6 के तहत सहमति प्रदान करती है।

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