सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 (Dam Safety Act, 2021) को पूरी तरह से लागू नहीं किया है।
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अधिनियम की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘कागजों पर ही मौजूद है’, क्योंकि केरल ने तर्क दिया था कि बाँध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति (National Committee on Dam Safety- NCDS) के गठन सहित कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
बाँध सुरक्षा अधिनियम 2021
उद्देश्य: बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 का उद्देश्य बाँधों की विफलताओं को रोकने के लिए निर्दिष्ट बाँधों की उचित निगरानी, संचालन तथा रखरखाव सुनिश्चित करना है।
बाँध मालिकों का दायित्व: बाँध मालिक बाँधों के सुरक्षित निर्माण, संचालन, रखरखाव और पर्यवेक्षण के लिए जिम्मेदार हैं।
प्रत्येक बाँध में निरीक्षण के लिए एक बाँध सुरक्षा इकाई होनी चाहिए।
मानसून के मौसम से पहले और बाद में।
भूकंप, बाढ़, आपदाओं या संकट के किसी भी संकेत के दौरान और बाद में अनिवार्य निरीक्षण।
बाँध सुरक्षा के लिए 4-स्तरीय संस्थागत तंत्र
राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा समिति (National Committee on Dam Safety- NCDS)
गठित: केंद्र सरकार।
अध्यक्षता: केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष (पदेन अध्यक्ष)।
अधिदेश: बाँध सुरक्षा मानकों में वृद्धि के लिए नीतियाँ तैयार करना तथा विनियमों की सिफारिश करना।
राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण (National Dam Safety Authority- NDSA)
गठित: केंद्र सरकार।
अध्यक्ष: भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे का अधिकारी नहीं।
अधिकार: NCDS द्वारा तैयार की गई नीतियों, दिशा-निर्देशों तथा मानकों को लागू करने के लिए एक नियामक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
बाँध सुरक्षा पर राज्य समिति (State Committee on Dam Safety- SCDS)
गठित: राज्य सरकारें।
अधिकार: राज्य स्तरीय बाँध पुनर्वास कार्यक्रमों की निगरानी करना, SDSO के काम की समीक्षा करना और बाँध सुरक्षा उपायों की प्रगति की निगरानी करना।
राज्य बाँध सुरक्षा संगठन (State Dam Safety Organisations- SDSO)
गठित: राज्य सरकारें।
अधिदेश: बाँधों की सतत् निगरानी, निरीक्षण और निगरानी करना।
भारत में प्रमुख बाँध
बाँध
स्थान
उद्देश्य
भाखड़ा नांगल बाँध
हिमाचल प्रदेश, सतलुज नदी
बिजली उत्पादन और सिंचाई
हीराकुंड बाँध
ओडिशा, महानदी नदी
बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली
टिहरी बाँध
उत्तराखंड, भागीरथी नदी
बिजली उत्पादन और जल आपूर्ति
सरदार सरोवर बाँध
गुजरात, नर्मदा नदी
सिंचाई, पेयजल और बिजली
नागार्जुन सागर बाँध
तेलंगाना/आंध्र प्रदेश, कृष्णा नदी
सिंचाई और पेयजल
इंदिरा सागर बाँध
मध्य प्रदेश, नर्मदा नदी
बिजली उत्पादन और सिंचाई
मुल्लापेरियार बाँध
केरल, मुल्लायार और पेरियार नदियाँ
सिंचाई के लिए जल मोड़ना
बाँध सुरक्षा की आवश्यकता
बड़े बाँध उच्च जोखिम युक्त संरचनाएँ हैं, क्योंकि उनकी संरचनात्मक और/या परिचालन विफलता से अनियंत्रित और अचानक जल प्रस्फुटन की संभावना होती है और इससे विशेष रूप से बाँध के निचले क्षेत्रों में जनजीवन, संपत्ति और पारिस्थितिकी विनाश के परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
हाल के वर्षों में, भारत में पुराने बाँधों की संरचनात्मक और भूकंप सुरक्षा के बारे में चिंता बढ़ रही है।
देश भर में बाँध सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन में उच्च मानकों और एक समान नीति सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय संसद ने बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 अधिनियमित किया है।
भारत में बाँधों को विनियमित करने का प्रावधान
बाँध विनियमन: भारत में बाँध सुरक्षा के लिए विभिन्न नियम और दिशा-निर्देश हैं, जिनमें केंद्रीय जल आयोग और अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए नियम और दिशा-निर्देश शामिल हैं। इनमें डिजाइन, निर्माण, संचालन और रख-रखाव जैसे पहलू शामिल हैं।
बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP): इसका उद्देश्य भारत में मौजूदा बाँधों की सुरक्षा और परिचालन प्रदर्शन में सुधार करना है। संरचनात्मक उन्नयन, उपकरण और संस्थागत सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है।
बाँधों की भूकंप सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय केंद्र: यह बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की एक पहल है।
भूकंपीय क्षेत्रों में बाँधों की भूकंप रोधी डिजाइन, निर्माण और रखरखाव पर अनुसंधान करने एवं तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है।
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