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यूजीसी : स्नातक स्तर के छात्रों के लिए दो नवीन डिग्री कार्यक्रम

Lokesh Pal January 08, 2025 05:30 15 0

संदर्भ:

हाल ही में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें स्नातक स्तर के छात्रों के लिए दो नवीन डिग्री कार्यक्रम – त्वरित और विस्तारित डिग्री कार्यक्रम – शुरू करना शामिल है।

त्वरित और विस्तारित डिग्री कार्यक्रम:

  • त्वरित डिग्री कार्यक्रम: यह कार्यक्रम छात्रों को पारंपरिक अवधि की तुलना में कम समय में अपनी स्नातक डिग्री पूरी करने की अनुमति देता है।
    • उद्देश्य: यह संरचनात्मक परिवर्तन उन छात्रों के लिए है जो शीघ्र कार्यबल में प्रवेश करना चाहते हैं, शीघ्र पेशेवर अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं, या ट्यूशन फीस बचाना चाहते हैं।
  • विस्तारित डिग्री कार्यक्रम: इसके विपरीत, विस्तारित डिग्री कार्यक्रम छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए अधिक समय प्रदान करता है। 
    • यह विकल्प विशेषज्ञता, अनुसंधान और इंटर्नशिप एवं यात्रा जैसे व्यावहारिक अनुभवों के लिए अधिक अवसर प्रदान करता है।
    • उद्देश्य: यह शैक्षणिक और व्यक्तिगत जीवन के बीच बेहतर संतुलन बनाने में भी मदद करता है, जिससे यह अतिरिक्त प्रतिबद्धताओं वाले छात्रों के लिए उपयुक्त विकल्प बन जाता है।    

शिक्षा में लचीलेपन के लाभ:

  • उच्च शिक्षा में वैश्विक मानक: यूजीसी सुधार स्नातक शिक्षा को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाते हैं, तथा एक लचीली क्रेडिट प्रणाली प्रदान करते हैं, जो छात्रों को उनकी शैक्षणिक अवधि को व्यक्तिगत और कैरियर लक्ष्यों के अनुरूप ढालने में सक्षम बनाती है।
    • उन्नत गतिशीलता: क्रेडिट विकल्प गतिशीलता प्रदान करते हैं, जिससे एक विश्वविद्यालय में क्रेडिट अर्जित करने वाले छात्र को अपनी डिग्री की प्रगति को खोए बिना किसी अन्य विश्वविद्यालय में स्थानांतरित होने की सुविधा मिलती है।
  • बहुविषयक शिक्षण: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के सिद्धांतों का पालन करते हुए, नई संरचना बहुविषयक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती है।
    • कौशल विकास: इस परिवर्तन से छात्रों के सीखने के क्षितिज का विस्तार होता है, जिससे उन्हें न केवल अपने चुने हुए क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने में मदद मिलती है, बल्कि रचनात्मक, व्यावहारिक और समस्या-समाधान कौशल भी विकसित होते हैं, जो अंततः नवाचार को बढ़ावा देते हैं।

चुनौतियाँ और चिंताएँ:

  • इंजीनियरिंग शिक्षा पर संभावित प्रभाव: गणित, भौतिकी और उन्नत इंजीनियरिंग सिद्धांतों जैसे विषयों में  गहन सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता के कारण इंजीनियरिंग शिक्षा को त्वरित डिग्री कार्यक्रमों के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • समय-सीमा के परिणामस्वरूप सतही समझ: संकुचित समय-सीमा छात्रों की आवश्यक तकनीकी दक्षताओं में महारत हासिल करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकती है, विशेष रूप से तब जब उनके पास व्यावहारिक परियोजनाओं, इंटर्नशिप और प्रयोगशाला कार्य के लिए सीमित समय हो।
  • डिग्री के मूल्य में कमी : यदि कोई छात्र अपनी डिग्री पूरी करने में अधिक समय लेता है तो उसकी डिग्री का मूल्य कम हो सकता है।
  • छात्रों के लिए आर्थिक निहितार्थ: हालांकि विस्तारित डिग्री विकल्प विशेषज्ञता और अनुसंधान के लिए अधिक समय प्रदान करता है, लेकिन इससे, विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि वाले छात्रों पर वित्तीय बोझ बढ़ने की संभावना है।
  • पाठ्यक्रम पुनर्गठन: त्वरित और विस्तारित डिग्री की ओर बदलाव के लिए पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धतियों के महत्वपूर्ण पुनर्गठन की आवश्यकता है।
  • डिजिटल विभाजन: इन सुधारों का समर्थन करने के लिए शिक्षा में अधिक डिजिटलीकरण की शुरूआत से मौजूदा डिजिटल विभाजन विशेष रूप से ग्रामीण या वंचित पृष्ठभूमि के ऐसे छात्रों के लिए और अधिक बढ़ सकता है, जिनके पास विश्वसनीय इंटरनेट और प्रौद्योगिकी तक पर्याप्त पहुंच नहीं है।
  • वंचित छात्रों के लिए सहायता: नई प्रणाली वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है, जिन्हें उचित मार्गदर्शन और सहायता के बिना परिवर्तनों को समझने में कठिनाई हो सकती है।
  • संकाय विकास और प्रशिक्षण: इन सुधारों के सफल कार्यान्वयन के लिए, शिक्षकों को लचीले और अंतःविषयक पाठ्यक्रम की मांगों के अनुकूल होने के लिए व्यावसायिक विकास से गुजरना होगा।

आगे की राह:

  • नए दिशानिर्देशों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, विश्वविद्यालयों को रणनीतिक योजना बनाने, समय पर संकाय की भर्ती करने, तथा  इन नए शैक्षणिक ढांचों का प्रबंधन करने के लिए सक्षम प्रशासनिक प्रणालियों के विकास में निवेश करने की आवश्यकता होगी ।

निष्कर्ष:

यदि इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जाता है, तो सुधार अधिक गतिशील और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी उच्च शिक्षा प्रणाली की नींव रख सकते हैं। यह परिवर्तन अंततः वर्ष 2047 तक “विकसित भारत” बनने के भारत के दृष्टिकोण में योगदान देने में सक्षम होगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: यूजीसी के नए दिशा-निर्देश लचीले डिग्री कार्यक्रमों की ओर बल दे रहे हैं, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में क्रांति लाना है। हालांकि यह स्वायत्तता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है, लेकिन इसे कार्यान्वयन, समानता और गुणवत्ता में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। भारत की शिक्षा प्रणाली पर सुधारों के संभावित प्रभाव और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और विकसित भारत विजन के साथ इसके संरेखण का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। 

(15 अंक, 250 शब्द)

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