हॉथोर्न प्रभाव एक ऐसा व्यवहारपरक सिद्धांत है जो बताता है कि कैसे कर्मचारी अपने व्यवहार को बदल सकते हैं, अपनी उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं, या अपनी कार्य क्षमताओं व आदतों को बदल सकते हैं, विशेषकर तब जब उन्हें पता चलता है कि उन पर नज़र रखी जा रही है।
ब्रेक के समय के संदर्भ में, हॉथोर्न प्रभाव यह सुझाव देता है कि जब कर्मचारियों को अधिक ब्रेक मिलते हैं तो वे अधिक उत्पादक हो सकते हैं, लेकिन बहुत अधिक ब्रेक उनके प्रवाह को बाधित कर सकते हैं और उत्पादकता को भी कम या बाधित कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए: जब श्रमिकों की निगरानी की जा रही थी, तो पाया गया कि जिम्मेदारी की भावना के विकास के कारण उनके प्रदर्शन और उत्पादकता में वृद्धि हुई थी।
जब छात्रों पर ध्यान दिया जाता है तो वह शिक्षण संबंधी दैनिक कार्य करने के लिए स्वयं को अधिक रुचिकर व प्रेरित महसूस करते हैं।
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