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भारतीय प्रवासी

Lokesh Pal January 11, 2025 03:00 21 0

संदर्भ

प्रधानमंत्री ने 9 जनवरी, 2025 को ओडिशा के भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस वर्ष का थीम है:- “विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान” (Diaspora’s contribution to a Viksit Bharat)

प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) 

  • प्रारंभ: भारत सरकार द्वारा वर्ष 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शुरू किया गय।
  • आवृत्ति: 9 जनवरी को द्विवार्षिक रूप से मनाया जाता है।
  • तिथि का महत्त्व
    • वर्ष 1915 में महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने की याद दिलाता है।
    • भारत के विकास और स्वतंत्रता संग्राम में प्रवासी भारतीयों के योगदान का प्रतीक है।
  • प्रवासी भारतीय दिवस के प्राथमिक लक्ष्य हैं:
    • भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को याद करना।
    • विदेशों में भारत के बारे में बेहतर समझ उत्पन्न करना।
    • भारत के उद्देश्यों का समर्थन करना और दुनिया भर में स्थानीय भारतीय समुदायों के कल्याण के लिए कार्य करना।
    • प्रवासी भारतीयों को अपनी पैतृक भूमि की सरकार और लोगों के साथ जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करना।
  • प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार: कार्यक्रम के हिस्से के रूप में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार नामक एक पुरस्कार दिया जाता है।
    • यह किसी अनिवासी भारतीय, भारतीय मूल के व्यक्ति अथवा उनके द्वारा स्थापित एवं संचालित किसी संगठन या संस्था को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
  • वर्ष 2025 में प्रमुख पहल
    • प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना: भारत की विरासत को देखने के लिए प्रवासी पर्यटकों के लिए विशेष रेलगाड़ियाँ।
    • प्रवासी विरासत का दस्तावेजीकरण: प्रवास की कहानियों को संरक्षित करने के प्रयास (जैसे, मांडवी से मस्कट)।
    • प्रौद्योगिकी पर जोर: तकनीकी नवाचारों में प्रवासी योगदान को उजागर करना।
    • सांस्कृतिक पहुँच: रामायण, ओडिशा की विरासत और तमिल सांस्कृतिक संबंधों (जैसे, तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र) पर जोर।

प्रवासी/डायस्पोरा (Diaspora) 

  • शब्द ‘डायस्पोरा’ ग्रीक शब्दों डाया (जिसका अर्थ है “के माध्यम से”) और स्पोरा (जिसका अर्थ है “बिखरना”) से लिया गया है, जिसका अर्थ है फैलाव या बिखराव।
  • शुरू में, इस शब्द का प्रयोग विशेष रूप से यहूदी लोगों के फैलाव के लिए किया जाता था, लेकिन अब यह किसी भी ऐसे समूह पर लागू होता है, जो अलग-अलग क्षेत्रों में बिखरे होने के बावजूद सांस्कृतिक पहचान बनाए रखता है।
  • डायस्पोरा के प्रमुख तत्त्वों में सामूहिक स्मृति, सांस्कृतिक प्रतिधारण, मेजबान समाजों में एकीकरण और मातृभूमि से जुड़ाव की निरंतर भावना शामिल है।

प्रवासी भारतीयों का ऐतिहासिक विकास

  • प्राचीन प्रवास: भारत से पहला दर्ज प्रवास, पहली शताब्दी के दौरान राजस्थान से पूर्वी यूरोप में रोमानी लोगों का प्रवास था।
    • लगभग 500 ई. में, चोल साम्राज्य ने दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रवास को सुगम बनाया, जिसका प्रभाव इंडोनेशिया, मलेशिया और कंबोडिया जैसे क्षेत्रों पर पड़ा।
  • औपनिवेशिक युग (19वीं-20वीं सदी): पुराना प्रवास वर्ष 1833 में दास प्रथा के उन्मूलन के बाद 19वीं सदी की शुरुआत में शुरू हुआ और 20वीं सदी के मध्य तक चला।
    • गिरमिटिया मजदूरी प्रणाली के तहत भारतीयों को मॉरीशस, त्रिनिदाद, फिजी और सूरीनाम जैसे उपनिवेशों में चीनी और रबर के बागानों में कार्य करने के लिए ले जाया जाता था। इस प्रणाली को वर्ष 1916 में समाप्त कर दिया गया था, लेकिन तब तक 1.5 मिलियन से अधिक भारतीय पलायन कर चुके थे।
  • नया प्रवासी (1960 के दशक के बाद): नया प्रवासी दौर 1960 के दशक के बाद शुरू हुआ और इसमें कुशल पेशेवरों की माँग के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में प्रवास शामिल था।
    • अमेरिका में हार्ट-सेलर अधिनियम (Hart-Celler Act) (1965) और कनाडा में पॉइंट्स सिस्टम (1968) जैसी नीतियों ने कुशल आप्रवासन को सुगम बनाया। 
  • खाड़ी क्षेत्र में प्रवासी (वर्ष 1970 के बाद): खाड़ी प्रवासी 1970 के दशक में क्रूड तेल की माँग के दौरान उभरे, जिसमें अर्द्ध-कुशल और अकुशल श्रमिक अस्थायी संविदात्मक योजनाओं के तहत खाड़ी देशों में चले गए।
    • इस समूह को मेजबान देशों में सीमित अधिकारों और कोई प्रकृतिकरण संबंधी नीतियों का सामना करना पड़ा।
  • आधुनिक काल: वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी में प्रगति ने कुशल प्रवास को बढ़ावा दिया।
    • 1990 के दशक में भारत के आईटी बूम ने अमेरिका जैसे देशों में भारतीयों के प्रवास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

भारतीय प्रवासियों की श्रेणियाँ

भारतीय प्रवासियों को कानूनी परिभाषाओं और भारत से उनके संबंध के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे- अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indians- NRIs), भारतीय मूल के व्यक्ति (Persons of Indian Origin-PIOs) और भारत के विदेशी नागरिक (Overseas Citizens of India-OCIs)

  • अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indian- NRI)
    • परिभाषा: एक भारतीय नागरिक जो अनिश्चित अवधि के लिए रोजगार, व्यवसाय या किसी अन्य उद्देश्य से भारत से बाहर रहता है।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • भारतीय पासपोर्ट रखता हो।
      • मतदान का अधिकार और भारत में संपत्ति खरीदने की क्षमता (कृषि भूमि को छोड़कर) का लाभ उठाता है।
      • कर देयता भारत में उनके प्रवास की अवधि पर निर्भर करती है (NRI स्थिति बनाए रखने के लिए एक वित्तीय वर्ष में 182 दिनों से कम)।
  • भारतीय मूल के व्यक्ति (Persons of Indian Origin-PIO)
    • परिभाषा: कोई विदेशी नागरिक (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, ईरान, भूटान, श्रीलंका और नेपाल को छोड़कर) जो:
      • किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट धारण किया हो, या
      • किसी भारतीय नागरिक का बच्चा, पोता या परपोता हो, या
      • किसी भारतीय नागरिक या PIO का जीवनसाथी हो।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • वर्ष 2015 में PIO का दर्जा OCI के साथ मिला दिया गया; अब सभी PIO कार्डधारकों को OCI माना जाता है।
      • इससे पहले, PIO को OCI की तुलना में भारत-विशिष्ट लाभों तक सीमित पहुँच थी।
  • भारत के विदेशी नागरिक (Overseas Citizens of India-OCI)
    • परिभाषा: भारतीय मूल का एक विदेशी नागरिक जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7A के तहत OCI कार्डधारक के रूप में पंजीकृत है।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • OCI कार्डधारकों को भारत में वीजा-मुक्त यात्रा और संपत्ति स्वामित्व (कृषि भूमि को छोड़कर) जैसे अन्य लाभ मिलते हैं।
      • भारत में वोट नहीं दे सकते, सार्वजनिक पद नहीं सँभाल सकते या सरकारी नौकरी नहीं कर सकते।
      • विशेषाधिकारों को सुव्यवस्थित करने के लिए वर्ष 2015 में PIO योजना के साथ विलय कर दिया गया।

NRI, PIO और OCI की तुलना

पहलू

NRI

PIO (OCI में विलय)

OCI

परिभाषा विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक। भारतीय मूल का विदेशी नागरिक। OCI के रूप में पंजीकृत विदेशी नागरिक।
नागरिकता भारतीय पासपोर्ट धारक। विदेशी नागरिकता और PIO कार्ड धारक। विदेशी नागरिकता; OCI कार्डधारक।
मतदान अधिकार हाँ नहीं नहीं
सरकारी नौकरियाँ हाँ नहीं नहीं
वीजा की आवश्यकता आवश्यक नहीं पहले आवश्यक था; अब OCI में विलय कर दिया गया है। भारत में वीजा-मुक्त आजीवन प्रवेश।
नागरिकता के लिए पात्रता पहले से ही भारतीय नागरिक हैं। भारत में 7 वर्ष का निवास। 5 वर्ष OCI के रूप में तथा 1 वर्ष निवास के रूप में।

प्रवासी भारतीयों का महत्त्व

125 देशों में फैले 35 मिलियन से अधिक प्रवासी भारतीय, भारत के वैश्विक प्रभाव, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • आर्थिक योगदान
    • प्रेषण: भारत को वर्ष 2024 में 129.1 बिलियन डॉलर (वैश्विक प्रेषण का 14.3%) प्रेषण प्राप्त हुआ, जो किसी एक वर्ष में किसी देश के लिए अब तक का सबसे अधिक था।
      • अमेरिका, UAE और यू.के. जैसे देशों से आने वाले धन से भारत में गरीबी कम करने, शिक्षा के लिए धन जुटाने और बुनियादी ढाँचे को समर्थन देने में मदद मिलती है, विशेषकर केरल और पंजाब जैसे राज्यों में।
    • व्यापार और निवेश: प्रवासी सदस्य भारत में व्यापार को सुगम बनाते हैं और निवेश को बढ़ावा देते हैं।
      • सुंदर पिचई (गूगल) और सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट) जैसे भारतीय-अमेरिकी उद्यमी भारत की तकनीकी साझेदारी और वैश्विक ब्रांडिंग में योगदान देते हैं।
    • श्रम शक्ति और विदेशी मुद्रा: खाड़ी में कार्य करने वाले लोग भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
      • उदाहरण: खाड़ी प्रवासी, मुख्य रूप से केरल और तमिलनाडु से, प्रतिवर्ष अरबों डॉलर धन भेजते हैं।
  • सांस्कृतिक कूटनीति
    • भारतीय संस्कृति का प्रचार: प्रवासी समुदाय सक्रिय रूप से भारतीय परंपराओं, भाषाओं, त्योहारों, योग और आयुर्वेद को दुनिया भर में संरक्षित और बढ़ावा देता है।
      • उदाहरण: इंडोनेशिया में रामलीला प्रदर्शन, यू.के. संसद में दिवाली समारोह और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को उजागर करते हैं।
    • वैश्विक मान्यता: प्रवासी योगदान ने भारतीय प्रथाओं को मान्यता प्रदान की है।
      • उदाहरण: यूनेस्को द्वारा योग को विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में शामिल करना।
    • कला और साहित्य में प्रतिनिधित्व: भारतीय मूल के कलाकार और लेखक भारत की सांस्कृतिक छवि को निखारते हैं।
      • उदाहरण: सलमान रुश्दी और झुंपा लाहिड़ी जैसे लेखक भारतीय आख्यानों को वैश्विक मंच पर लाने में प्रमुख भोमिका निभाई है।
  • राजनीतिक प्रभाव
    • भारत के हितों की पैरवी करना: प्रवासी समुदाय मेजबान सरकारों पर भारत के अनुकूल नीतियों के लिए पैरवी करता है।
      • उदाहरण: भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने वर्ष 2008 में अमेरिका-भारत परमाणु समझौते की वकालत की।
    • मेज़बान देशों में प्रतिनिधित्व: भारतीय मूल के नेता प्रमुख राजनीतिक पदों पर हैं, जो भारत के प्रभाव को दर्शाते हैं।
      • उदाहरण: कमला हैरिस (यू.एस.ए), ऋषि सुनक (यू.के.), और एंटोनियो कोस्टा (पुर्तगाल)।
    • राजनयिक पुल: प्रवासी समुदाय मेजबान देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाता है।
      • उदाहरण: कनाडा में, भारतीय प्रवासी समुदाय मजबूत व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों में योगदान देता है।
  • सामाजिक और ज्ञान योगदान
    • मानव पूँजी और विशेषज्ञता: कुशल भारतीय पेशेवर वैश्विक उद्योगों को बढ़ावा देते हैं, जबकि प्रतिभा के लिए भारत की प्रतिष्ठा को मजबूत करते हैं।
      • उदाहरण: भारतीय डॉक्टर और नर्स यू.के. और यू.एस.ए. में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों का अभिन्न अंग हैं।
    • ज्ञान हस्तांतरण: प्रवासी सदस्य भारत में विशेषज्ञता साझा करते हैं और नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
      • उदाहरण: ग्लोबल इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी अलायंस विदेशों में भारतीय मूल के पेशेवरों और भारत में स्टार्टअप के बीच ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • परोपकार और शिक्षा: प्रवासी संगठन भारत में सामाजिक कल्याण और शैक्षिक पहलों को वित्तपोषित करते हैं।
      • उदाहरण: अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन (AIF) भारत में शैक्षिक कार्यक्रमों और आपदा राहत का समर्थन करता है।
  • वैश्विक छवि निर्माण
    • भारत की सॉफ्ट पॉवर को बढ़ाना: प्रवासी समुदाय की सफलता की कहानियाँ नवाचार और संस्कृति में वैश्विक नेता के रूप में भारत की क्षमता को उजागर करती हैं।
      • उदाहरण: सुंदर पिचाई और इंद्रा नूई (पेप्सिको) जैसे भारतीय मूल के सीईओ भारत की वैश्विक छवि को बेहतर बनाते हैं।
    • रूढ़िवादिता का मुकाबला करना: प्रवासी समुदाय विकासशील राष्ट्र के रूप में भारत की पुरानी धारणाओं को चुनौती देते हैं।
      • उदाहरण: अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय समुदाय की आर्थिक और सामाजिक उपलब्धियाँ भारत की आधुनिक पहचान को मजबूत करती हैं।
  • सामरिक और कूटनीतिक महत्त्व
    • वैश्विक गठबंधनों को मजबूत करना: प्रवासी समुदाय भारत की विदेश नीति के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
      • उदाहरण: अफ्रीकी संघ की G20 सदस्यता के लिए भारत के समर्थन में प्रवासी समुदाय की पैरवी ने योगदान दिया।
    • संकट सहायता: संकट के दौरान प्रवासी भारतीयों का योगदान भारत के साथ एकजुटता दर्शाता है।
      • उदाहरण: कोविड-19 के दौरान, विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के समुदायों ने चिकित्सा आपूर्ति, ऑक्सीजन सांद्रता और वित्तीय सहायता भेजी।
    • रणनीतिक उपस्थिति: अमेरिका, UAE और यू.के. जैसे देशों में बड़े भारतीय समुदाय भारत की वैश्विक भागीदारी में मूल्यवान संपत्ति के रूप में कार्य करते हैं।

प्रवासी भारतीयों के समक्ष चुनौतियाँ

  • सामाजिक चुनौतियाँ
    • भेदभाव और नस्लवाद: कई प्रवासी सदस्यों को मेजबान देशों में नस्लीय पूर्वाग्रह और ज़ेनोफ़ोबिया का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों ने वर्ष 2009-2010 में नस्लीय रूप से प्रेरित हमलों का अनुभव किया।
    • एकीकरण के मुद्दे: सांस्कृतिक मतभेद और रूढ़िवादिता मेजबान समाज में एकीकरण में बाधा डालती है।
      • उदाहरण: यूरोप में प्रवासी समुदायों को अक्सर भाषा और परंपराओं के कारण स्थानीय संस्कृतियों के साथ घुलने-मिलने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
    • पहचान का संकट: युवा पीढ़ी अक्सर अपने मेजबान देश की संस्कृति के साथ अपनी भारतीय विरासत को संतुलित करने के लिए संघर्ष करती है।
      • उदाहरण: यूएसए में भारतीय मूल के युवा कभी-कभी अपनी भारतीय परवरिश और अमेरिकी जीवनशैली के बीच पहचान के संघर्ष का अनुभव करते हैं।
  • राजनीतिक और कानूनी चुनौतियाँ
    • राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अभाव: कई देशों में, भारतीयों के पास सामुदायिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए पर्याप्त राजनीतिक आवाज नहीं है।
      • उदाहरण: खाड़ी देशों में, भारतीय श्रमिकों के पास कोई मतदान अधिकार या राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं है।
    • प्रतिबंधात्मक आव्रजन नीतियाँ: मेजबान देश समय-समय पर वीजा और आव्रजन कानूनों को सख्त करते हैं।
      • उदाहरण: अमेरिका ने H-1B वीजा कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे कुशल भारतीय पेशेवर प्रभावित हुए हैं।
    • कानूनी प्रतिबंध: खाड़ी देशों में भारतीय मूल के व्यक्तियों को संपत्ति के स्वामित्व या नागरिकता प्राप्त करने के सीमित अधिकारों का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण: सऊदी अरब में प्रवासी नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते, चाहे वे कितने भी समय तक वहाँ रहें।
  • भू-राजनीतिक चुनौतियाँ
    • वैश्विक संघर्षों का प्रभाव: भू-राजनीतिक संकटों के दौरान प्रवासी समुदायों को अक्सर मेजबान देशों में शत्रुता का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण: रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन में भारतीय छात्रों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें वहाँ से निकालना पड़ा।
    • मेज़बान देशों में ध्रुवीकरण: पश्चिमी देशों में बढ़ते राष्ट्रवाद और विदेशी लोगों के प्रति घृणा, जैसा कि ब्रेक्सिट-युग के यू.के. या यू.एस.-चीन व्यापार युद्ध के दौरान देखा गया, ने भारतीय मूल के समुदायों के लिए चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
  • आर्थिक चुनौतियाँ
    • रोजगार में शोषण: विशेष रूप से खाड़ी देशों में रहने वाले प्रवासी कामगारों को खराब कामकाजी परिस्थितियों, कम वेतन और सीमित नौकरी सुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण: कतर में निर्माण श्रमिकों ने कफाला प्रणाली के तहत शोषणकारी प्रथाओं की रिपोर्ट की है।
    • प्रतिभा पलायन: विदेशों में प्रवास करने वाले कुशल पेशेवरों के कारण भारत के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कमी हो रही है।
      • उदाहरण: डॉक्टरों और नर्सों के विकसित देशों में प्रवास के कारण भारत को स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
  • सांस्कृतिक चुनौतियाँ
    • विरासत का क्षरण: युवा प्रवासी पीढ़ी अक्सर भारतीय संस्कृति, भाषा और परंपराओं से संपर्क खो देती है।
      • उदाहरण: त्रिनिदाद और फिजी में भारतीय मूल के समुदाय हिंदी और तमिल भाषाओं को संरक्षित करने में चुनौतियों की रिपोर्ट करते हैं।
    • सांस्कृतिक संघर्ष: मेजबान समुदाय कभी-कभी भारतीय सांस्कृतिक प्रथाओं को विदेशी या पुराना मानते हैं।
      • उदाहरण: अरेंज मैरिज और शाकाहार जैसी प्रथाएँ पश्चिमी समाजों में गलतफहमियाँ पैदा कर सकती हैं।
  • भारत के समक्ष चुनौतियाँ
    • सीमित सरकारी सहायता: विदेश में स्थित भारतीय मिशनों की कभी-कभी संकटग्रस्त प्रवासी सदस्यों को अपर्याप्त सहायता देने के लिए आलोचना की जाती है।
      • उदाहरण: कोविड-19 महामारी के दौरान, खाड़ी देशों से फँसे भारतीय श्रमिकों को वापस लाने में देरी हुई।
    • असंगत नीतिगत ढाँचे: प्रवासी भारतीयों की आवश्यकताओं को पूरा करने और उनके निवेश या योगदान को सुव्यवस्थित करने के लिए स्पष्ट नीतियों का अभाव।
      • उदाहरण: वर्ष 2015 में विलय से पहले PIO और OCI योजनाओं ने भ्रम उत्पन्न किया था।
    • प्रेषण हस्तांतरण की उच्च लागत: भारत में प्रेषण संबंधी विनिमय शुल्क, खासकर कम आय वाले श्रमिकों के लिए उच्च बना हुआ है।

प्रवासी भारतीयों से संबंधित भारत सरकार की प्रमुख पहल

  • भारत को जानो कार्यक्रम (KIP): इसका उद्देश्य शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रवासी युवाओं (18-30 वर्ष) को उनकी भारतीय जड़ों से जोड़ना है।
  • प्रवासी भारतीयों का भारत विकास फाउंडेशन (IDF-OI): भारत में सामाजिक और विकास परियोजनाओं के लिए प्रवासी समुदाय से परोपकारी योगदान को प्रोत्साहित करता है।
  • ई-माइग्रेट पोर्टल: भारतीय श्रमिकों के लिए विदेशों में रोजगार को सरल और विनियमित करता है, विशेष रूप से खाड़ी देशों में।
  • वंदे भारत मिशन (VBM): कोविड-19 महामारी के दौरान विदेशों में फँसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एक व्यापक प्रत्यावर्तन पहल।
  • प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना: भारत में महत्त्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की यात्रा करने के लिए प्रवासी समुदाय के वृद्ध सदस्यों के लिए तीर्थ यात्राएँ आयोजित करती है।
  • अंतर-सरकारी श्रम प्रवास समझौते: ये समझौते श्रम और जनशक्ति मुद्दों पर सहयोग के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करते हैं।
    • इनमें एक संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से कार्यान्वयन के प्रावधान भी शामिल हैं, जहाँ समय-समय पर बैठकों में श्रमिकों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
  • प्रवासी भारतीय बीमा योजना (PBBY): यह भारत से प्रवास करने वाले सभी भारतीय श्रमिकों के लिए उपलब्ध एक बीमा योजना है, जिसके लिए बीमा कंपनियों को नाममात्र प्रीमियम का भुगतान करना होता है।

प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ाव को मजबूत करने के लिए आगे की राह

  • कांसुलर सहायता को मजबूत करना: विशेषकर खाड़ी देशों में काम करने वालों के लिए भारतीय दूतावासों के माध्यम से सेवाओं को बढ़ाना, ताकि शोषण और आपात स्थितियों जैसे मुद्दों का समाधान किया जा सके।
  • प्रवासी निवेश को बढ़ावा देना: भारत में प्रवासी-नेतृत्व वाले निवेशों के लिए प्रोत्साहन और सुव्यवस्थित प्रक्रियाएँ बनाना, विशेष तौर पर बुनियादी ढाँचे और स्टार्टअप में।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक पहुँच: युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और विरासत में शामिल करने के लिए भारत को जानो कार्यक्रम (KIP) और भारत को जानो क्विज जैसे कार्यक्रमों का विस्तार करना।
  • नीतिगत संरेखण: उनकी जरूरतों को पूरा करने, OCI से संबंधित मुद्दों को सरल बनाने और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक प्रवासी नीति विकसित करना।
  • सॉफ्ट पॉवर का लाभ उठाना: भारत के वैश्विक प्रभाव और सॉफ्ट पॉवर को बढ़ाने के लिए आईटी, स्वास्थ्य सेवा और राजनीति जैसे क्षेत्रों में प्रवासी समुदाय की उपलब्धियों का उपयोग करना।
  • कौशल विकास में सहयोग: प्रवासी समुदाय को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्द्धी बनाए रखने के लिए कौशल विकास पहलों के लिए मेजबान देशों के साथ भागीदारी करना।

निष्कर्ष 

भारतीय प्रवासी भारत और विश्व के बीच एक महत्त्वपूर्ण सेतु हैं, जो आर्थिक विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और वैश्विक प्रभाव में योगदान देते हैं। प्रवासी भारतीय दिवस 2025, “विकसित भारत” को आकार देने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका का जश्न मनाते हुए, उनके अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए, अपने वैश्विक समुदाय के साथ जुड़ने की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

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