100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

सैन्य एवं रक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

Lokesh Pal January 15, 2025 02:25 41 0

संदर्भ

जैसे-जैसे दुनिया भर के देश अपनी सैन्य क्षमताओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को तेजी से शामिल कर रहे हैं, भारत इस तकनीकी परिवर्तन में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभरा है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) कंप्यूटर विज्ञान का एक व्यापक क्षेत्र है, जो ऐसे कार्यों को करने में सक्षम मशीनों के निर्माण पर केंद्रित है, जिनके लिए आमतौर पर मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है।

रक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का महत्त्व

  • उन्नत निर्णयन-प्रक्रिया: AI पूर्वानुमानित विश्लेषण और डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि के माध्यम से तीव्र और अधिक सटीक निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
    • USA के F-35 फाइटर जेट में AI-सक्षम सिस्टम वास्तविक समय में मिशन-महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में पायलटों की सहायता करते हैं।
  • मजबूत निगरानी और सुरक्षा: स्वायत्त ड्रोन और निगरानी उपकरण जैसी AI-संचालित प्रणालियाँ सीमा सुरक्षा और टोही संचालन को बढ़ाती हैं।
    • IBM Watson जैसी AI प्रणालियों का उपयोग सैन्य निर्णय-निर्माण में संचालन में जोखिमों का पूर्वानुमान करने के लिए किया जाता है।
  • साइबर सुरक्षा संवर्द्धन: AI पैटर्न का विश्लेषण करके, उल्लंघनों का पूर्वानुमान करके और प्रतिक्रियाओं को स्वचालित करके साइबर खतरों का पता लगाने और उन्हें रोकने में मदद करता है।
  • लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन: AI उपकरण रखरखाव आवश्यकताओं की भविष्यवाणी करके और इन्वेंट्री का प्रबंधन करके आपूर्ति शृंखलाओं को अनुकूलित करता है।
    • अमेरिकी वायु सेना समय और संसाधनों को बचाने के लिए विभिन्न विमानों में अपने AI-संचालित पूर्वानुमानित रखरखाव का उपयोग कर रही है।
  • खुफिया, निगरानी और टोही (ISR): AI उपग्रहों, ड्रोन और सेंसर जैसे कई स्रोतों से डेटा प्रोसेसिंग को गति देता है। यह पैटर्न की पहचान कर सकता है, खतरों का पता लगा सकता है और कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी प्रदान कर सकता है।
    • भारत में इंद्रजाल स्वायत्त ड्रोन सुरक्षा प्रणाली (Indrajaal Autonomous Drone Security System) UAV खतरों के विरुद्ध एक बहु-स्तरीय ड्रोन-आधारित परिधि रक्षा प्रदान करती है।

रक्षा क्षेत्र में AI के उपयोग में भारत की प्रगति

  • भारत का रक्षा बजट और AI आधुनिकीकरण पर ध्यान देना: भारत ने पिछले वर्ष अपने रक्षा बजट में 6.21 लाख करोड़ रुपये ($75 बिलियन) आवंटित किए, जिसमें अपनी सैन्य क्षमताओं के आधुनिकीकरण पर महत्त्वपूर्ण जोर दिया गया।
  • सैन्य अभियानों में AI की भूमिका पर सरकार का जोर: केंद्रीय रक्षा मंत्री ने सैन्य अभियानों में AI की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला है।
  • भारत के रक्षा क्षेत्र में AI नवाचार: भारत ने इंद्रजाल स्वायत्त ड्रोन सुरक्षा प्रणाली (Indrajaal Autonomous Drone Security System) जैसे AI-सक्षम सिस्टम विकसित करने और तैनात करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
    • इंद्रजाल प्रणाली हैदराबाद स्थित कंपनी ग्रीन रोबोटिक्स द्वारा विकसित एक AI-संचालित, स्वायत्त ड्रोन रक्षा प्रणाली है।
    • भारतीय सेना: भारतीय सेना ने पाकिस्तान और चीन के साथ अपनी सीमाओं पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) निगरानी प्रणाली तैनात की है।
    • वायु सेना: वायु सेना मिशन नियोजन एवं निष्पादन में सुधार के लिए AI को अपना रही है, जिसमें मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) और स्वायत्त प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
      • इसके अलावा, वायु सेना ने डिजिटाइजेशन, ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एप्लीकेशन नेटवर्किंग के लिए इकाई (Unit for Digitisation, Automation, Artificial Intelligence and Application Networking- UDAAN) पहल के तहत नई दिल्ली के राजोकरी वायु सेना स्टेशन पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए उत्कृष्टता केंद्र (Center of Excellence for Artificial Intelligence-CoEAI) की भी स्थापना की है।
    • भारतीय नौसेना: नौसेना समुद्री निगरानी एवं खतरे का पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके विभिन्न सेंसर एवं प्लेटफॉर्म से बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करने के लिए AI पर अनुसंधान कर रही है।
  • AI में विदेशी निवेश आकर्षित करना: भारत के AI पारिस्थितिकी तंत्र ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, जिससे महत्त्वपूर्ण विदेशी निवेश हुआ है:
    • माइक्रोसॉफ्ट की प्रतिबद्धता: कंपनी ने तेलंगाना में डेटा सेंटर बनाने के लिए लगभग 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जिससे भारत के AI बुनियादी ढाँचे को मजबूती मिली है।
  • AI विकास में अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत AI प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में सक्रिय रूप से भाग लेता है, विशेष रूप से सैन्य अनुप्रयोगों के लिए।
    • ये सहयोग सैन्य AI में वैश्विक विकास के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

रक्षा क्षेत्र में AI को अपनाने में सरकार की पहल

  • AI के कार्यान्वयन के लिए टास्क फोर्स (2018): राष्ट्रीय सुरक्षा में AI के निहितार्थों का अध्ययन करने के लिए वर्ष 2018 में एन चंद्रशेखरन टास्क फोर्स की स्थापना की गई थी।
    • चंद्रशेखरन टास्क फोर्स की अनुशंसाओं के आधार पर, रक्षा AI परिषद (Defence AI Council- DAIC) और रक्षा AI परियोजना एजेंसी (Defence AI Project Agency- DAIPA) का गठन किया गया। 
  • रक्षा AI परिषद (Defence AI Council- DAIC): इसका प्राथमिक लक्ष्य भारतीय रक्षा बलों के भीतर AI-संचालित परिवर्तन के लिए रणनीतिक दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करना है।
  • रक्षा AI परियोजना एजेंसी (Defence AI Project Agency- DAIPA):  रक्षा संगठनों में AI अपनाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और कार्यान्वयन ढाँचा प्रदान करने के लिए DAIPA की स्थापना की गई थी।
    • यह भारतीय सेना में AI परियोजनाओं और पहलों के लिए केंद्रीय निष्पादन निकाय के रूप में कार्य करता है।
  • रक्षा संगोष्ठी में AI: जुलाई 2022 में, भारत ने स्वचालन, स्वायत्त प्रणालियों, साइबर सुरक्षा और परिचालन विश्लेषण पर केंद्रित 75 AI-सक्षम उत्पाद लॉन्च किए।
  • डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज: डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज, इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) कार्यक्रम का हिस्सा है, जो भारतीय रक्षा बलों के लिए उन्नत तकनीक विकसित करने वाले स्टार्टअप को फंडिंग प्रदान करता है।
  • DRDO में AI अनुसंधान एवं विकास
    • सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR), बंगलूरू: रक्षा प्रणालियों के लिए AI में DRDO वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित करता है और नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देकर स्टार्ट-अप का समर्थन करता है। 
    • DRDO युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ (DYSL)
      • DYSL-AI: AI से संबंधित अनुसंधान और अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
      • DYSL-CT (संज्ञानात्मक प्रौद्योगिकी): रक्षा के लिए संज्ञानात्मक प्रौद्योगिकी उन्नति पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान (Defence Institute of Advanced Technology-DIAT): AI और मशीन लर्निंग में प्रमाणित पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
  • रक्षा उत्पादन विभाग (Department of Defence ProductionDDP) ने सशस्त्र बलों के लिए AI परियोजनाओं के लिए प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं।

रक्षा क्षेत्र में AI के उपयोग में भारत के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

इस प्रगति के बावजूद, कई चुनौतियाँ भारत के रक्षा क्षेत्र में AI के पूर्ण उपयोग में बाधा डालती हैं:

  • डेटा और फंडिंग: AI सिस्टम को प्रशिक्षित करने के लिए सीमित डिजिटाइज्ड डेटा और डेटा सेंटर की उच्च लागत महत्त्वपूर्ण बाधाएँ उत्पन्न करती हैं।
  • नीतिगत अंतराल: हालाँकि भारत ने जिम्मेदार AI के लिए राष्ट्रीय AI रणनीतियों और सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार की है, सैन्य AI परिनियोजन और विनियमन के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देशों का अभाव है।
  • अंतर-सेवा अंतर-संचालन संबंधी मुद्दे: भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के अलग-अलग सिद्धांत, प्रणालियाँ और संचार अभ्यास अंतर-संचालन संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं और संयुक्त अभियानों के लिए प्रणालियों की खरीद को जटिल बनाते हैं।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSU) पर अत्यधिक निर्भरता: हालाँकि PSU एक भूमिका निभाते हैं, रक्षा खरीद को मुख्य रूप से उन तक सीमित रखने से निजी कंपनियों और स्टार्टअप द्वारा विकसित उन्नत प्रणालियों तक नवाचार और पहुँच में बाधा आती है।
    • निजी क्षेत्र के स्टार्टअप और उद्यम, जो अत्याधुनिक AI समाधान विकसित करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हैं, कम उपयोग किए जाते हैं।
  • साइबर सुरक्षा संबंधी कमजोरियाँ एवं हैकिंग जोखिम: AI सिस्टम साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जैसे डेटा उल्लंघन, प्रतिकूल इनपुट और हैकिंग प्रयास।
  • नैतिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: विशेष रूप से घातक परिणामों वाले निर्णयों के संदर्भ में, स्वायत्त AI सिस्टम जवाबदेही के मुद्दे चिह्नित करते हैं।
    • AI सिस्टम में पूर्वाग्रह और मानवाधिकारों पर उनके प्रभाव के बारे में नैतिक प्रश्नों का अभी पूरी तरह से समाधान किया जाना शेष है।
  • आतंकवादी समूहों द्वारा जनरेटिव AI का दुरुपयोग: आतंकवादी समूहिक भावनाओं में परिवर्तन करने और व्यवहार को प्रभावित करने के लिए नकली चित्र/वीडियो संदेश प्रसारित करने के लिए AI का उपयोग कर सकते हैं।
    • हाल ही में हमास से जुड़े समूहों ने गाजा संघर्ष में गलत सूचना फैलाने के लिए AI-जनरेटेड छवियों का उपयोग किया है।

सेना में AI के उपयोग में नैतिक चुनौतियाँ

  • जीवन और मृत्यु संबंधी निर्णय: मशीनों को स्वायत्त रूप से लक्ष्य चुनने एवं हमला करने की शक्ति प्रदान करना मानवीय गरिमा एवं अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के बारे में नैतिक मुद्दे को इंगित करता है।
  • निर्णय और सहानुभूति का अभाव: मशीनों/कंप्यूटरों में आवश्यक मानवीय गुणों का अभाव है, जिससे नागरिक क्षति एवं संघर्ष बढ़ने का जोखिम है।
  • उत्तरदायित्व एवं जिम्मेदारी: यदि कोई स्वायत्त हथियार युद्ध अपराध करता है, तो यह स्पष्ट नहीं है कि किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। जवाबदेही की यह कमी न्याय एवं निवारण के सिद्धांतों को कमजोर करती है।
  • प्रशिक्षण डेटा में पूर्वाग्रह: AI भेदभाव को कायम रख सकता है, जिससे लोगों के कुछ समूहों को अनुचित या हानिकारक रूप से लक्षित किया जा सकता है।
  • पारदर्शिता और व्याख्या की कमी: कई AI प्रणाली ‘ब्लैक बॉक्स’ (Black Boxes) हैं, जिसका अर्थ है कि यह समझना मुश्किल है कि वे अपने निर्णय कैसे लेते हैं। पारदर्शिता की यह कमी पूर्वाग्रहों को पहचानना और उन्हें ठीक करना मुश्किल बनाती है।
  • प्रसार एवं हथियारों की प्रतिस्पर्द्धा: AI उन्नत हथियार प्रौद्योगिकी को गैर-राज्य समूहों और आतंकवादियों सहित व्यापक श्रेणी के लोगों के लिए अधिक सुलभ बना सकता है।

सैन्य एवं रक्षा में AI का वैश्विक उपयोग

  • संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रोजेक्ट मावेन (Project Maven): इस पहल का उद्देश्य सैन्य अभियानों में बड़े डेटा और मशीन लर्निंग के एकीकरण को गति देना है, विशेष रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों में पूर्ण गति वीडियो विश्लेषण के लिए।
  • चीन: चीन ने भविष्य के युद्ध में AI के महत्त्व पर जोर दिया है, जिसका लक्ष्य ऐसी प्रणालियाँ विकसित करना है, जो न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ कार्य कर सकें।
  • इजरायल: इजरायल सीमा निगरानी के लिए AI का उपयोग करता है, अपनी सीमाओं पर संभावित खतरों का पता लगाने और उनका जवाब देने के लिए सेंसर, कैमरे और मशीन लर्निंग का उपयोग करता है।

रक्षा क्षेत्र में AI को विनियमित करने के लिए प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कदम

  • घातक स्वायत्त हथियार प्रणाली (Lethal Autonomous Weapons Systems-LAWS) पर कुछ पारंपरिक हथियारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (CCW)-सरकारी विशेषज्ञों का समूह (GGE) पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन:
    • वर्ष 2016 में स्थापित।
    • अधिकार: घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना, जिसमें AI शामिल है।
  • संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण अनुसंधान संस्थान (UNIDIR) दिशा-निर्देश (अक्टूबर 2024): सुरक्षा एवं रक्षा में AI पर राष्ट्रीय रणनीतियों के लिए दिशा-निर्देश विकसित किए गए।
    • उद्देश्य: सैन्य AI के संबंध में राष्ट्रों को अपनी स्वयं की नीतियाँ एवं नियम विकसित करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करना।
  • रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति (International Committee of the Red Cross-ICRC): AI से जड़ी स्वायत्त हथियार प्रणालियों के विकास और उपयोग के लिए मानदंडों एवं नियमों के एक व्यापक तथा कानूनी रूप से बाध्यकारी सेट की सक्रिय रूप से सिफारिश करती है।

आगे की राह 

  • AI उपयोग संबंधी मजबूत फ्रेमवर्क विकसित करना: सैन्य AI परिनियोजन एवं नैतिक उपयोग के लिए विशेष रूप से स्पष्ट नीतियाँ एवं विनियम स्थापित करना।
  • अंतर-सेवा सहयोग को बढ़ावा देना: अंतर-संचालन और प्रभावी संयुक्त संचालन सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों के बीच अलगाव को समाप्त करना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करना: नवाचार को बढ़ावा देने और अत्याधुनिक तकनीकों तक पहुँच बनाने के लिए निजी कंपनियों और स्टार्टअप के साथ सहयोग को बढ़ावा देना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
    • अंतरराष्ट्रीय संवादों में भाग लेना: सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और आम चुनौतियों का समाधान करने के लिए रक्षा में AI पर अंतरराष्ट्रीय चर्चाओं एवं सहयोगों में भाग लेना।
  • अनुसंधान एवं विकास (R&D) को बढ़ावा देना
    • अनुसंधान एवं विकास निधि में वृद्धि: रक्षा क्षेत्र में AI अनुसंधान एवं विकास के लिए अधिक संसाधन आवंटित करना।
    • शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देना: अनुसंधान संस्थानों, निजी कंपनियों और रक्षा संगठनों के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने के लिए मंच बनाना।
    • स्वदेशी AI विकास को बढ़ावा देना: विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करने और रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी AI प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित करना।
  • नैतिक विचारों पर जोर देना
    • सैन्य AI के लिए नैतिक दिशा-निर्देश विकसित करना: घातक स्वायत्त हथियारों के उपयोग सहित सैन्य अनुप्रयोगों में AI के विकास एवं तैनाती के लिए स्पष्ट नैतिक सिद्धांत और दिशा-निर्देश स्थापित करना।
    • मानवीय निगरानी सुनिश्चित करना: विशेष रूप से सैन्य बल के उपयोग से जुड़े निर्णयों पर मानवीय नियंत्रण बनाए रखना ।
    • पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना: AI प्रणालियों के विकास एवं तैनाती में पारदर्शिता सुनिश्चित करना और जवाबदेही के लिए तंत्र स्थापित करना।

निष्कर्ष

भारत रक्षा में AI की क्षमता को अपना रहा है, इसलिए नैतिक एवं परिचालन चुनौतियों का समाधान करते हुए नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले वातावरण को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। सशस्त्र बलों में AI प्रौद्योगिकियों का एकीकरण न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने का वादा करता है, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा परिदृश्य में एक हितधारक के रूप में भी स्थापित करता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.