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भारत UN-CEBD में शामिल हुआ

Lokesh Pal January 15, 2025 05:24 47 0

संदर्भ

भारत आधिकारिक सांख्यिकी के लिए ‘बिग डेटा एवं डेटा साइंस पर संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों की समिति’ (UN Committee of Experts on Big Data and Data Science for Official Statistics- UN-CEBD) का सदस्य बन गया है, जो वैश्विक सांख्यिकीय समुदाय में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

UN-CEBD में भारत के शामिल होने की मुख्य विशेषताएँ

  • भारत का योगदान: भारत आधिकारिक आँकड़ों में बिग डेटा एवं डेटा साइंस  का लाभ उठाने के लिए वैश्विक मानकों तथा प्रथाओं को आकार देने में मदद करेगा।
    • सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) ने डेटा साइंस  में नवीन समाधानों को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका पर जोर दिया।
  • फोकस क्षेत्र: यह पहल साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने एवं वैश्विक सांख्यिकीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डेटा तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

‘बिग डेटा एवं डेटा साइंस पर संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों की समिति’ (UN-CEBD)  के बारे में

  • उत्पत्ति: इस समीति की स्थापना वर्ष 2014 में की गई थी तथा ऑस्ट्रेलिया ने इसकी  सर्वप्रथम अध्यक्षता की।
  • आधिकारिक आँकड़ों के लिए बिग डेटा पर एक वैश्विक कार्यक्रम के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण एवं समन्वय प्रदान करने के लिए बनाया गया।

  • उद्देश्य: बिग डेटा को आधिकारिक सांख्यिकीय प्रणालियों में एकीकृत करने के लिए एक रणनीतिक दिशा प्रदान करना।
    • सतत् विकास के लिए वर्ष 2030 एजेंडा के लिए संकेतकों के विकास का समर्थन करना।
  • सदस्यता: इसमें भारत सहित 31 सदस्य देश एवं 16 अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हैं।
  • शक्तियाँ एवं कार्य
    • बिग डेटा का एकीकरण: बिग डेटा को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों में शामिल करना।
      • गैर-पारंपरिक डेटा स्रोतों, जैसे IoT डिवाइस, सैटेलाइट इमेजरी एवं निजी क्षेत्र डेटा का उपयोग करना।
    • क्षमता निर्माण: सांख्यिकीविदों को उनके कौशल को बढ़ाने के लिए डेटा साइंस  तकनीकों में प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • रूपरेखा विकास: सीमा पार डेटा साझाकरण के लिए रूपरेखा स्थापित करना एवं डेटा उपयोग में नैतिक प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • UN-CEBD  का उद्देश्य
    • आधिकारिक आँकड़ों में बिग डेटा के लाभों एवं चुनौतियों का अन्वेषण करना।
    • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) पर निगरानी एवं रिपोर्टिंग में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना।
    • वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए डेटा-संचालित नीति निर्माण की सिफारिश करना।

भारत के लिए शामिल होने का महत्त्व

  • सांख्यिकीय क्षमताओं को बढ़ाना: IoT, सैटेलाइट इमेजरी एवं निजी क्षेत्र के डेटा स्रोतों को अपनाकर डेटा प्रक्रियाओं का आधुनिकीकरण करना।
  • वैश्विक सहयोग: डेटा इनोवेशन लैब जैसे भारत के नवाचारों को साझा करना एवं अन्य देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना।
  • बेहतर निर्णय लेने की क्षमता: साक्ष्य आधारित निर्णयों का समर्थन करने के लिए नीति निर्माताओं के लिए वास्तविक समय की अंतर्दृष्टि सक्षम करना।
    • उन्नत डेटा टूल के साथ प्रमुख सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करना।

बिग डेटा के बारे में

  • परिभाषा: बिग डेटा का तात्पर्य पैटर्न, रुझान एवं कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि को उजागर करने के लिए बड़ी मात्रा में संरचित, असंरचित तथा मिश्रित डेटा को एकत्रित करना एवं विश्लेषण करना है।
  • डेटा के प्रकार
    • संरचित डेटा: संगठित डेटा, जैसे इन्वेंट्री डेटाबेस या वित्तीय लेन-देन सूची।
    • असंरचित डेटा: अपरिष्कृत डेटा, जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट या वीडियो शामिल हैं।
    • मिश्रित डेटा सेट: संरचित एवं असंरचित डेटा का संयोजन, अक्सर लार्ज लैंग्वेज  मॉडल जैसे AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

बिग डेटा एनालिटिक्स के अनुप्रयोग

  • शासन: उपयोगिता प्रबंधन, कानून प्रवर्तन एवं शिक्षा को बढ़ाता है।
    • जोखिम शमन, साइबर हमले की रोकथाम एवं आपदा प्रभाव में कमी के लिए पूर्वानुमानित विश्लेषण का समर्थन करता है।
  • अर्थव्यवस्था: बीमा, बैंकिंग, कराधान एवं मनी-लॉण्ड्रिंग गतिविधियों  लागू।
    • ग्राहक सेवा, जोखिम प्रबंधन, वित्तीय विश्लेषण में सुधार करता है एवं कर चोरी या शैल कंपनियों की पहचान करता है।
  • स्वास्थ्य देखभाल: वैयक्तिकृत उपचार सक्षम बनाता है, रोगी परिणामों में सुधार करता है, एवं बीमारी के फैलने का पूर्वानुमान करता है।
    • नैदानिक ​​​​परीक्षणों को अनुकूलित करता है एवं अस्पताल प्रबंधन तथा रोगी निगरानी को बढ़ाता है।
  • कृषि: फसल की उपज में सुधार एवं पौधों की बीमारियों का पूर्वानुमान करने के लिए डेटा-संचालित खेती की सुविधा प्रदान करता है।
    • आपूर्ति शृंखलाओं को अनुकूलित करता है, पशुधन की निगरानी करता है एवं जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन में सहायता करता है।
  • डिजिटल स्पेस: दूरसंचार को अनुकूलित करता है एवं व्यक्तिगत सामग्री प्रदान करता है।
    • प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए AI-संचालित उपकरणों एवं पहनने योग्य तकनीक को शक्ति प्रदान करता है।
  • रक्षा: साइबर सुरक्षा को मजबूत करता है एवं मिशन योजना में सुधार करता है।
    • विभिन्न प्रकार के खतरों का विश्लेषण करता है, हथियार प्रणाली के विकास का समर्थन करता है एवं वॉर सिमुलेशन के माध्यम से प्रशिक्षण में सहायता करता है।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी: पर्यावरणीय परिवर्तनों पर नजर रखता है एवं मिशन ट्रेजेक्टरी को अनुकूलित करता है।
    • अंतरिक्ष मलबे का प्रबंधन करता है, एक्सोप्लैनेट की खोज करता है, एवं जीवन समर्थन प्रणालियों की दक्षता सुनिश्चित करता है।

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