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भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम

Lokesh Pal January 17, 2025 03:19 20 0

संदर्भ

16 जनवरी, 2025 को भारत स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के नौ वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएगा, जो एक परिवर्तनकारी यात्रा है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाया जाता है।

स्टार्टअप 

  • भारत में, स्टार्टअप को ऐसी इकाई के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसका मुख्यालय भारत में हो, जिसे 10 वर्ष से कम समय पहले खोला गया हो साथ ही जिसका वार्षिक कारोबार ₹100 करोड़ से कम हो।

  • अपवर्जन: मौजूदा व्यवसायों के विभाजन/पुनर्निर्माण द्वारा गठित संस्थाओं को स्टार्टअप नहीं माना जाता है।

स्टार्टअप वैल्यूएशन से संबंधित शर्तें

  • यूनिकॉर्न: यूनिकॉर्न एक स्टार्टअप है, जिसका मूल्यांकन $1 बिलियन से अधिक है। इस शब्द को वर्ष 2013 में ऐलीन ली ने गढ़ा था।
  • डेकाकॉर्न: डेकाकॉर्न एक स्टार्टअप को संदर्भित करता है, जिसका मूल्यांकन $10 बिलियन से अधिक है। ये कंपनियाँ यूनिकॉर्न की तुलना में कम सामान्य हैं और ऐसे स्टार्टअप का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिन्होंने महत्त्वपूर्ण विकास और बाजार प्रभुत्व हासिल किया है।
  • हेक्टोकॉर्न: हेक्टोकॉर्न एक अत्यंत दुर्लभ और प्रतिष्ठित शब्द है, जिसका उपयोग $100 बिलियन से अधिक के मूल्यांकन वाले स्टार्टअप का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
  • मिनकॉर्न: मिनकॉर्न एक कम प्रयोग किया जाने वाला शब्द है, जो $1 बिलियन से कम मूल्य वाले स्टार्टअप को संदर्भित करता है।
  • सूनीकॉर्न: सूनीकॉर्न एक स्टार्टअप को संदर्भित करता है, जो तीव्रता से बढ़ रहा है तथा निकट भविष्य में $1 बिलियन के मूल्यांकन तक पहुँचने की क्षमता रखता है।

भारत में स्टार्टअप्स की वर्तमान स्थिति

  • भारत अब दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप केंद्र बन गया है, जहाँ 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा चीन के बाद दूसरे स्थान पर है तथा उसके बाद यू.के. और जर्मनी का स्थान है।
  • कुल स्टार्टअप: DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या वर्ष 2016 में 500 से बढ़कर 15 जनवरी, 2025 तक 1,59,157 हो गई।

  • महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप: 73,151 स्टार्टअप में कम-से-कम एक महिला निदेशक शामिल हैं (31 अक्टूबर, 2024 तक)।
    • दिसंबर, 2023 तक 48% स्टार्टअप्स (1,17,254 में से 55,816) में कम-से-कम एक महिला निदेशक होंगी।

  • रोजगार सृजन: स्टार्टअप्स ने वर्ष 2016 से 31 अक्टूबर, 2024 के बीच 16.6 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए। 
  • टियर 2 तथा टियर 3 शहरों में उद्भव: दिसंबर, 2023 तक 50% से अधिक स्टार्टअप टियर 2 और 3 शहरों में शुरू किए गए हैं।

स्टार्टअप महाकुंभ 

  • स्टार्टअप महाकुंभ एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसमें स्टार्टअप, यूनिकॉर्न, सूनीकॉर्न, निवेशक, उद्योग के नेता और पारिस्थितिकी तंत्र के हितधारकों को एक साथ लाया जाता है।
  • पहला संस्करण (वर्ष 2019): 500 से अधिक स्टार्टअप, निवेशक तथा उद्योग के नेतृत्वकर्ताओं ने भाग लिया।
  • आगामी संस्करण: पाँचवाँ संस्करण 7-8 मार्च, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।

भारत के स्टार्टअप सेक्टर में वृद्धि

  • सहायक सरकारी नीतियाँ: स्टार्टअप इंडिया पहल ने कर लाभ प्रदान करके, अनुपालन को आसान बनाकर तथा ₹10,000 करोड़ के कोष के साथ स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (FFS) जैसी वित्तीय सहायता प्रदान करके एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • DPIIT द्वारा 1.52 लाख से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई है, जो रोजगार सृजन और नवाचार में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
  • डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार: डिजिटल इंडिया जैसी पहल तथा यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को अपनाने से, जिसके कारण वर्ष 2024 में 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ, एक निर्बाध डिजिटल आधार प्रदान किया गया है।
    • भारत वर्ष 2023 में दुनिया में सबसे कम डेटा लागत 6.7 रुपये प्रति जीबी होने का दावा करता है, जिससे स्टार्टअप्स को व्यापक दर्शकों तक पहुँचने में मदद मिलेगी।
  • बड़ा उपभोक्ता बाजार: भारत की 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, जो स्टार्टअप्स के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता आधार प्रदान करती है।
    • अकेले ई-कॉमर्स क्षेत्र का मूल्य वर्ष 2025 तक 188 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
  • संपन्न प्रतिभा पूल: प्रतिवर्ष 1.5 मिलियन से अधिक इंजीनियरिंग स्नातकों और उद्यमिता पर जोर देने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जैसी नीतियों के साथ, भारत कुशल पेशेवरों की एक मजबूत शृंखला प्रदान करता है।
  • उद्यम पूँजी और वित्तपोषण लचीलापन: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत के तकनीकी स्टार्टअप ने H1 वर्ष 2024 में $4.1 बिलियन जुटाए, जिससे यह वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे अधिक वित्तपोषित पारिस्थितिकी तंत्र बन गया।
    • माइक्रोसॉफ्ट वेंचर्स एक्सेलेरेटर और समृद्ध जैसे घरेलू उद्यम, पूँजी तथा एक्सेलेरेटर कार्यक्रम स्टार्टअप्स को मार्गदर्शन एवं वित्तपोषण प्रदान करते हैं।
  • टियर-2 तथा टियर-3 शहरों का उदय: देश के लगभग 50 प्रतिशत स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों से आते हैं, जिनमें इंदौर, जयपुर और अहमदाबाद जैसे उभरते हुए शहर भी शामिल हैं।
    • क्षेत्रीय नीतियाँ और प्रोत्साहन मेट्रो हब से परे नवाचार को प्रोत्साहित कर रहे हैं तथा विकेंद्रीकृत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं।

भारत में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

  • स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के बारे में
    • 16 जनवरी, 2016 को उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा लॉन्च किया गया।
    • इसने उद्यमियों को समर्थन देने, एक मजबूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने और भारत को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी सृजकों के देश में बदलने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।
    • स्टार्टअप इंडिया के तहत कार्यान्वित प्रमुख योजनाएँ
      • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS), 2021: भारत में शुरुआती चरण के स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
      • स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (CGSS), 2022: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, NBFC और SEBI-पँजीकृत AIF द्वारा दिए गए ऋणों के लिए क्रेडिट गारंटी के माध्यम से स्टार्टअप को संपार्श्विक-मुक्त फंडिंग प्रदान करें।
      • स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स (FFS) योजना, 2016: उद्यम पूँजीपतियों के माध्यम से स्टार्टअप को फंडिंग सहायता प्रदान करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ स्थापित किया गया।
        • वर्ष 2024 तक, 99 वैकल्पिक निवेश कोषों (Alternative Investment Funds- AIF) के लिए ₹7,980 करोड़ की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
      • भारत स्टार्टअप नॉलेज एक्सेस रजिस्ट्री (Bharat Startup Knowledge Access Registry-BHASKAR) 2024:  भारत के उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर अंतःक्रियाओं को केंद्रीकृत तथा सुव्यवस्थित करना।
        • स्टार्टअप के लिए नवाचार, सहयोग और विकास को बढ़ावा देना।
  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister’s Employment Generation Programme- PMEGP) 
    • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME)
    • सब्सिडी: ग्रामीण क्षेत्रों में 25%, शहरी क्षेत्रों में 15%; एससी/एसटी/ओबीसी/महिलाएँ (35% ग्रामीण, 25% शहरी)।
    • वर्ष 2008-09 से 9.69 लाख सूक्ष्म उद्यमों को सहायता प्रदान की गई, जिससे ~79 लाख नौकरियाँ पैदा हुईं।
    • विस्तार के लिए दूसरी ऋण योजना: विनिर्माण में ₹1 करोड़, सेवाओं में ₹25 लाख।
  • स्टार्टअप विलेज उद्यमिता कार्यक्रम (Startup Village Entrepreneurship Program – SVEP)
    • ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा DAY-NRLM (दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) का उप-घटक
      • 3,02,825 उद्यमों को सहायता प्रदान की गई, 6,26,848 नौकरियाँ सृजित की गईं।
  • प्रौद्योगिकी इनक्यूबेशन और उद्यमियों का विकास (Technology Incubation and Development of Entrepreneurs- TIDE 2.0) (MeitY)
    • उभरती हुई तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना: AI, IoT, ब्लॉकचेन।
    • 51 इनक्यूबेटर स्थापित किए गए; 1,235 स्टार्टअप को समर्थन दिया गया।
  • नवोन्मेषी स्टार्टअप्स के लिए अगली पीढ़ी का समर्थन (Gen-Next Support for Innovative Startups- GENESIS) (MeitY)
    • 5 वर्षों के लिए ₹490 करोड़ का परिव्यय; टियर-II तथा टियर-III शहरों में 1,500 से अधिक स्टार्टअप को समर्थन।
  • अटल नवाचार मिशन (Atal Innovation Mission- AIM): नीति आयोग के तहत, AIM स्टार्टअप्स को भौतिक अवसंरचना और सहायता प्रदान करने के लिए अटल इन्क्यूबेशन सेंटर (Atal Incubation Centers-AIC) की स्थापना करता है।

भारत में स्टार्टअप्स के विकास की चुनौतियाँ

  • विनियामक बाधाएँ: जटिल अनुपालन आवश्यकताएँ और विनियामक अस्पष्टताएँ बाधाएँ उत्पन्न करती हैं।
    • उदाहरण के लिए, मोटर वाहन अधिनियम के तहत ऐप-आधारित कैब सेवाओं (जैसे ओला और उबर) के वर्गीकरण पर बहस ने परिचालन अनिश्चितताओं को जन्म दिया है।
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2024, हालाँकि यह आवश्यक नहीं है, उपयोगकर्ता डेटा को सँभालने वाले स्टार्टअप के लिए अनुपालन बोझ को शामिल करता है।
  • फंडिंग तक पहुँच: फंडिंग चुनिंदा क्षेत्रों और सेक्टरों तक ही सीमित है, जिससे टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्टार्टअप्स को कम फंडिंग मिल रही है।
    • केवल 149 महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप को AIF जैसी सरकारी योजनाओं के तहत फंडिंग मिली है, जो असमानता को उजागर करता है।
    • वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, जैसे कि वर्ष 2023 में फंडिंग में मंदी, ने भी पूँजी उपलब्धता को प्रभावित किया है।
  • प्रतिभा प्रतिधारण: स्टार्टअप को स्थापित निगमों और अंतरराष्ट्रीय अवसरों से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है, जिससे प्रतिभा पलायन होता है।
    • वर्ष 2023 के एक अध्ययन से पता चला है कि 60% भारतीय तकनीकी पेशेवर विदेश में स्थानांतरित होने के लिए तैयार थे।
    • प्रतिस्पर्द्धी वेतन और विकास के अवसर प्रदान करने में चुनौतियाँ इस मुद्दे को और बढ़ा देती हैं।
  • बाजार संतृप्ति और अति-प्रतिस्पर्द्धा: एडटेक और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्र अत्यधिक भीड़भाड़ वाले हैं, जिससे लाभ मार्जिन कम हो रहा है और नकदी की बर्बादी की स्थिति पैदा हो रही है।
    • BYJU’s और Unacademy जैसी कंपनियों को अति-संतृप्ति के कारण अपने आकार में काफी कमी करनी पड़ी है।
  • बुनियादी ढाँचे की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच केवल 37% है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 69% है, जिससे डिजिटल स्टार्टअप की बाजार पहुँच सीमित हो जाती है। 
    • कृषि प्रौद्योगिकी या ग्रामीण सेवाओं पर केंद्रित स्टार्टअप, जैसे कि डीहाट, सीमित बुनियादी ढाँचे और कनेक्टिविटी के कारण विस्तार करने में संघर्ष करते हैं।
  • सीमित भौगोलिक विस्तार: भारत में तीन मुख्य स्टार्टअप क्लस्टर हैं- बंगलूरू, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और मुंबई।
    • बंगलूरू, जिसे भारत की सिलिकॉन वैली के रूप में भी जाना जाता है, उच्च विकास वाले स्टार्टअप के लिए भारत का शीर्ष शहर है, जहाँ देश के 40% से अधिक यूनिकॉर्न हैं।
  • अनुसंधान एवं विकास पर कम खर्च और डीप टेक इनोवेशन: भारत का अनुसंधान एवं विकास खर्च GDP का केवल 0.7% है, जबकि अमेरिका में यह 3.5% है। यह सेमीकंडक्टर और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में डीप-टेक स्टार्टअप के विकास को रोकता है।
    • कमजोर उद्योग-अकादमिक सहयोग नवाचार को और बाधित करता है, क्योंकि 1% से भी कम उच्च शिक्षा संस्थान सक्रिय रूप से अनुसंधान में शामिल हैं।
  • मापनीयता संबंधी चुनौतियाँ: लगभग 90% स्टार्टअप परिचालन अक्षमताओं और स्केल करने में असमर्थता के कारण पहले पाँच वर्षों में विफल हो जाते हैं।
    • विकास के चरणों में नेविगेट करने में अनुभव की कमी, सीमित मार्गदर्शन और बाजार तक पहुँच के साथ, इन मुद्दों को और बढ़ा देते हैं।

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की दिशा में आगे की राह

  • सुव्यवस्थित विनियमन और अनुपालन: विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्टअप के लिए कर और श्रम अनुपालन को सरल बनाना।
    • एडटेक, हेल्थटेक और क्लीनटेक जैसे क्षेत्रों में विनियामक सैंडबॉक्स का विस्तार करना, ताकि नियंत्रित वातावरण में नवाचार को प्रोत्साहित किया जा सकता।
  • वित्तपोषण तक बेहतर पहुँच: घरेलू उद्यम पूँजी कोष को मजबूत करना और स्टार्टअप में निजी निवेश को प्रोत्साहित करना।
    • टियर-2 तथा टियर-3 शहर के स्टार्टअप और महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों के लिए लक्षित वित्तपोषण सहायता प्रदान करना।
  • उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देना: स्टार्टअप तथा शैक्षणिक संस्थानों के बीच संयुक्त अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना।
    • डीप-टेक स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट अनुसंधान तथा नवाचार केंद्र स्थापित करना।
  • डिजिटल और भौतिक अवसंरचना विकास: एग्रीटेक तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप को सक्षम करने के लिए शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन को पाटना।
    • उभरते शहरों में इनक्यूबेटर, सहकार्य स्थान और मार्गदर्शन सहायता के साथ समर्पित स्टार्टअप केंद्र विकसित करना।
  • कौशल विकास और उद्यमिता शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) के माध्यम से उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में उद्यमिता प्रशिक्षण को एकीकृत करना।
    • AI, IoT, ब्लॉकचेन और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लक्षित कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करना।
  • सरकारी खरीद और बाजार पहुँच: MSME नीतियों के समान, स्टार्टअप्स के लिए सरकारी खरीद का एक प्रतिशत अनिवार्य किया जाना चाहिए।
    • वैश्विक बाजार तक पहुँच और वित्तपोषण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्टार्टअप सेतुओं तथा सहयोगों का विस्तार करना।

निष्कर्ष

भारत अनुकूल नीतियों, नवाचार की संस्कृति तथा क्रॉस-सेक्टर सहयोग से प्रेरित होकर स्टार्टअप इकोसिस्टम में वैश्विक नेतृत्वकर्ताओं के रूप में उभरने के लिए तैयार है। जैसा कि राष्ट्र वर्ष 2047 तक विकसित भारत की कल्पना करता है, स्टार्टअप आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, रोजगार पैदा करने और भारत को एक नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगे।

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