100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

पशुधन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन

Lokesh Pal January 17, 2025 03:26 17 0

संदर्भ 

हाल ही में पशुपालन और डेयरी विभाग ने उद्यमियों को सशक्त बनाने तथा पशुधन क्षेत्र में विकास को गति देने के लिए पुणे में उद्यमिता विकास सम्मेलन का आयोजन किया।

संबंधित तथ्य

  • उद्देश्य: नीति निर्माताओं, महासंघों, सहकारी समितियों और उद्यमियों को एकजुट करना ताकि चुनौतियों का समाधान किया जा सके और पशुधन क्षेत्र में स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा सके।
  • यह हितधारकों को चुनौतियों पर चर्चा करने, समाधान साझा करने, उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, मूल्य संवर्द्धन और क्षेत्र के विकास को उत्प्रेरित करने के लिए स्थायी प्रथाओं को प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • उद्घाटन
    • परियोजना पारदर्शिता के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन – उद्यमिता विकास कार्यक्रम (NLM-EDP) डैशबोर्ड का शुभारंभ। 
      • डैशबोर्ड जनता को संपूर्ण परियोजना की प्रमुख जानकारी का एक व्यवस्थित सारांश उपलब्ध कराएगा।
    • AHIDF और NLM-EDP राष्ट्रीय पशुधन मिशन- उद्यमिता विकास कार्यक्रम (NLM – EDP) के तहत सहायता प्राप्त ₹545.04 करोड़ की 40 परियोजनाओं का शुभारंभ। 
    • राष्ट्रीय पशुधन मिशन परिचालन दिशा-निर्देश 2.0 और सफलता की कहानी वाली पुस्तिकाओं का विमोचन।
  • पैनल चर्चा: विषयों में ‘पशुधन क्षेत्र में विकास को गति देना’ और ‘पशुधन क्षेत्र और ऋण सुविधा में बैंकों तथा MSMEs की भूमिका’ शामिल हैं, जिसमें उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ता और वित्तीय संस्थान शामिल होंगे।

NLM 2.0 के प्रमुख घटक

  • उद्यमिता विकास
    • स्टार्टअप और किसानों के लिए वित्तीय सहायता।
    • पशुपालन और संबंधित क्षेत्रों में कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम।
  • नस्ल सुधार
    • पशुधन नस्लों के आनुवंशिक संवर्द्धन पर ध्यान केंद्रित करना।
    • देश भर में पशुधन प्रजनन अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना।
  • फूडर और चारा विकास
    • पौष्टिक चारा फसल की खेती को बढ़ावा देना।
    • साइलेज और चारा निर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए सहायता।
  • स्थायित्व पहल
    • एकीकृत कृषि पद्धतियों को अपनाना।
    • प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता।
  • क्षमता निर्माण
    • कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन।
    • उत्पादकता में सुधार के लिए उन्नत पशुपालन पद्धतियों पर जागरूकता अभियान।

पशुधन 

  • पशुधन क्षेत्र में मांस, डेयरी, ऊन और अन्य उत्पादों के लिए मवेशी, भेड़, बकरी तथा मुर्गी जैसे पशुओं का प्रजनन और पालन-पोषण शामिल है।
  • स्वदेशी पशुधन प्रजातियाँ: ICAR-NBAGR ने देश में स्वदेशी पशुधन प्रजातियों की दस नई नस्लों को पँजीकृत किया।
    • ये नस्लें हैं:-
      • कथानी मवेशी (महाराष्ट्र), सांचोरी मवेशी (राजस्थान) और मैसिलम मवेशी (मेघालय); पूर्णथडी भैंस (महाराष्ट्र); सोजत बकरी (राजस्थान), करौली बकरी (राजस्थान) और गुजरी बकरी (राजस्थान); बाँदा सूअर (झारखंड), मणिपुरी काला सूअर (मणिपुर) और वाक चाम्बिल सूअर (मेघालय)।

संक्षिप्त अवलोकन: भारत का पशुधन क्षेत्र

  • पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्त्वपूर्ण उपक्षेत्र है।
  • यह वर्ष 2014-15 से वर्ष 2020-21 (स्थिर मूल्यों पर) के दौरान 7.93 प्रतिशत की CAGR से बढ़ा है।
  • कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र GVA (स्थिर मूल्यों पर) में पशुधन का योगदान 24.32 प्रतिशत (वर्ष 2014-15) से बढ़कर 30.13 प्रतिशत (वर्ष 2020-21) हो गया है।
  • पशुधन क्षेत्र ने वर्ष 2020-21 में कुल GVA में 4.90 प्रतिशत का योगदान दिया।
  • पशुधन आबादी
    • 20वीं पशुधन गणना के अनुसार, देश में लगभग 303.76 मिलियन गोजातीय (गाय, भैंस, मिथुन और याक), 74.26 मिलियन भेड़, 148.88 मिलियन बकरियाँ, 9.06 मिलियन सूअर और लगभग 851.81 मिलियन मुर्गियाँ हैं।

किसानों की अर्थव्यवस्था में पशुधन की भूमिका

  • आय: भारत में कई परिवारों के लिए पशुधन सहायक आय का स्रोत है, विशेषतः उन गरीब परिवारों के लिए जो कुछ ही पशु रखते हैं। भेड़ और बकरी जैसे पशु विवाह, बीमार व्यक्तियों के उपचार, बच्चों की शिक्षा, घरों की मरम्मत आदि जैसी आपातकालीन स्थितियों में आय के स्रोत के रूप में काम आते हैं।
  • रोजगार: भारत में बहुत से लोग कम साक्षर और अकुशल होने के कारण अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। लेकिन कृषि मौसमी प्रकृति की होने के कारण वर्ष में अधिकतम 180 दिन रोजगार प्रदान कर सकती है। भूमिहीन और कम भूमि वाले लोग कम कृषि मौसम के दौरान अपने श्रम का उपयोग करने के लिए पशुधन पर निर्भर हैं।
  • भोजन: पशुधन उत्पाद जैसे दूध, मांस और अंडे पशुपालकों के सदस्यों के लिए पशु प्रोटीन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। वर्ष 2022-23 के दौरान दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता लगभग 459 ग्राम दिन है; अंडे की उपलब्धता 101/वर्ष है।
  • मसौदा: बैल भारतीय कृषि की रीढ़ हैं। भारतीय कृषि कार्यों में यांत्रिक शक्ति के उपयोग में बहुत अधिक प्रगति के बावजूद, भारतीय किसान, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, विभिन्न कृषि कार्यों के लिए अभी भी बैलों पर निर्भर हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा: पशु समाज में उनकी स्थिति के संदर्भ में मालिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हैं। जिन परिवारों, विशेष रूप से भूमिहीनों के पास पशु हैं, वे उन परिवारों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं, जिनके पास पशु नहीं हैं। देश के विभिन्न भागों में विवाह के दौरान पशुओं को उपहार में देना एक बहुत ही सामान्य घटना है।

पशुधन क्षेत्र में सरकारी पहल

  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund-AHIDF)
    • इसका उद्देश्य पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण, कोल्ड चेन और मूल्य संवर्द्धन के लिए बुनियादी ढाँचे के निर्माण में निजी क्षेत्र के निवेश को समर्थन देना है।
  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission-NLM)
    • इस योजना का फोकस रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास, प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे तथा ऊन के उत्पादन में वृद्धि पर है।
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन
    • सरकार द्वारा इसकी शुरुआत देशी नस्लों के विकास एवं संरक्षण तथा गोजातीय पशुओं के आनुवंशिक उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ की गई है।
  • पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Livestock Health and Disease Control Programme-LHDCP)
    • इसका कार्यान्वयन पशुधन रोगों के समाधान और पशु चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिए किया गया है।
  • भारत पशुधन लाइवस्टोक डेटा स्टैक (Bharat Pashudhan Livestock Data Stack)
    • पशुधन क्षेत्र में उत्पादकता और पता लगाने की क्षमता बढ़ाने के लिए वास्तविक समय पशुधन डेटा संग्रह और प्रबंधन के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म।
  • दुग्ध सहकारी समितियों और दुग्ध उत्पादक कंपनियों के डेयरी किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)
    • 15.11.2024 तक, AHD किसानों के लिए 41.66 लाख से अधिक नए KCC स्वीकृत किए गए।
  • राष्ट्रीय गोजातीय उत्पादकता मिशन (National Mission on Bovine Productivity) 
    • आनुवंशिक सुधार, पोषण और स्वास्थ्य पहल के माध्यम से देशी मवेशियों और भैंसों की उत्पादकता में सुधार करने की एक योजना।
  • राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (National Artificial Insemination Programme)
    • गोजातीय पशुओं के लिए कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को बढ़ावा देने, आनुवंशिक वृद्धि और बेहतर दूध उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी पहल।

पशुधन क्षेत्र में चुनौतियाँ

  • कम उत्पादकता: अपर्याप्त चारा, पोषण और नस्ल सुधार के कारण भारतीय पशुधन उत्पादकता वैश्विक मानकों की तुलना में कम है।
    • उदाहरण: भारतीय मवेशियों की औसत वार्षिक दूध उपज 1,172 किलोग्राम है, जो वैश्विक औसत का केवल 50 प्रतिशत है।
  • अपर्याप्त प्रसंस्करण अवसंरचना: आधुनिक बूचड़खानों, कोल्ड चेन और मूल्य-संवर्द्धन सुविधाओं की कमी लाभप्रदता को प्रभावित करती है।
  • रोग नियंत्रण: फुट-एंड-माउथ डिजीज (FMD) और ब्रुसेलोसिस (Brucellosis) जैसी बीमारियों के प्रकोप से पशुधन की उत्पादकता में कमी आ रही है।
  • बाजार तक पहुँच संबंधी मुद्दे: छोटे किसानों को बाजार तक पहुँचने और अपनी उपज के लिए उचित मूल्य पाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • पादप-स्वच्छता (Phyto-Sanitary) शर्तों का पालन न करना: पादप-स्वच्छता शर्तों और गुणवत्ता मानकों का पालन न करने के कारण, पशुधन उत्पादों के निर्यात की वास्तविक क्षमता का एहसास नहीं हो पाता है।
  • ऋण तक पहुँच
    • केवल 30% पशुपालकों के पास संस्थागत ऋण तक पहुँच है, जिससे बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी में निवेश सीमित हो जाता है।
    • एम. के. जैन समिति की रिपोर्ट के अनुसार, पशुपालकों को पारंपरिक कृषि किसानों की तुलना में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर ऋण और पशुधन बीमा प्राप्त करने में।
  • चारे की कमी: विश्व के मात्र 2.29 प्रतिशत भूमि क्षेत्र के साथ भारत में लगभग 10.70 प्रतिशत पशुधन है तथा इसकी कृषि योग्य भूमि का मात्र 5 प्रतिशत ही चारा उत्पादन के अंतर्गत आता है।
  • संस्थागत सहायता
    • पशुपालन उत्पादों के लिए कोई MSP समर्थन नहीं है और फसल आधारित वस्तुओं की तरह उनके विपणन का अभाव है।
    • उदाहरण: कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर कुल सार्वजनिक व्यय का लगभग 12% अपर्याप्त वित्तपोषण, जो कृषि सकल घरेलू उत्पाद में इसके योगदान से अनुपातहीन रूप से कम है।
  • बीमा: वर्तमान में, केवल 6% पशुपालकों (मुर्गी को छोड़कर) को बीमा कवर प्रदान किया जाता है।
  • अपर्याप्त प्रसंस्करण और मूल्य संवर्द्धन: आवश्यक बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण भैंस के मांस की प्रसंस्करण दर लगभग 21 प्रतिशत और मुर्गीपालन के लिए 6 प्रतिशत है।

वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • ब्राजील का कृषि ऋण मॉडल
    • ब्राजील अपने प्रोनाफ कार्यक्रम (Pronaf Program) के अंतर्गत पशुधन किसानों को सब्सिडीयुक्त ऋण प्रदान करता है, जिसका ध्यान उत्पादकता वृद्धि एवं निर्यात वृद्धि पर केंद्रित है।
  • न्यूजीलैंड की डेयरी सहकारी समितियाँ
    • वित्तीय सहायता के साथ डेयरी सहकारी समितियों के एक मजबूत नेटवर्क ने पशुधन क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दिया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका का पशुधन बीमा
    • पशुधन जोखिम संरक्षण (Livestock Risk Protection-LRP) जैसी बीमा योजनाएँ बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण किसानों की आय में होने वाली हानि को कम करने में मदद करती हैं।
  • यूरोपीय संघ की हरित खेती पहल
    • यूरोपीय संघ पर्यावरण अनुकूल तकनीकों और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करके सतत् पशुपालन प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
  • ऑस्ट्रेलिया के डिजिटल पशुधन उपकरण
    • RFID टैगिंग और पशुधन निगरानी प्रणाली जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियाँ उत्पादकता एवं बाजार तत्परता को बढ़ाती हैं।

आगे की राह

  • ऋण विस्तार: पशुपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जैसी पहल को मजबूत करना और पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund- AHIDF) के तहत सब्सिडी वाले ऋणों का विस्तार करना।
  • उद्यमिता समर्थन: ग्रामीण युवाओं को नवीन पशुधन प्रथाओं में प्रशिक्षित करने के लिए नाबार्ड जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर इनक्यूबेशन सेंटर विकसित करना।
  • रोग मुक्त क्षेत्र: पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Livestock Health and Disease Control Programme-LHDC) के तहत प्रभावी टीकाकरण अभियान के माध्यम से रोग मुक्त क्षेत्र स्थापित करना।
  • प्रसंस्करण और निर्यात: APEDA योजनाओं के तहत प्रसंस्करण संयंत्रों में निजी निवेश को प्रोत्साहित करना और पशुधन उत्पाद निर्यात का समर्थन करना।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण: पशु स्वास्थ्य, पोषण और प्रजनन सेवाओं के लिए ई-गोपाला ऐप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग को प्रोत्साहित करना।

निष्कर्ष

उद्यमिता विकास सम्मेलन भारत के पशुधन क्षेत्र की पूरी क्षमता को साकार करने की दिशा में एक कदम है। संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करके, उद्यमिता को बढ़ावा देकर और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखकर, भारत अपनी पशुधन अर्थव्यवस्था को बदल सकता है। यह सतत्, समावेशी और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्र बन जाएगा।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.