हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें वेतन आयोग की स्थापना को मंजूरी दी।
8वाँ वेतन आयोग
इस कदम का उद्देश्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और भत्तों में संशोधन करना है। यह 7वें वेतन आयोग (2016 में लागू) का स्थान लेने के लिए निर्धारित है।
नए आयोग का प्रभाव 49 लाख से अधिक कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा।
वेतन आयोग
परिचय: केंद्र सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के वेतन ढाँचे की समीक्षा करने और उसमें बदलाव की सिफारिश करने के लिए प्रत्येक दस वर्ष में एक वेतन आयोग का गठन किया जाता है।
नोडल एजेंसी: व्यय विभाग (वित्त मंत्रालय)।
वेतन आयोग की सिफारिशें निम्नलिखित पर लागू होती हैं:
केंद्र सरकार के कर्मचारी: भारत की संचित निधि से वेतन पाने वाले।
सिविल और सैन्य कर्मी: सभी केंद्रीय सिविल सेवाओं और रक्षा सेवाओं के कर्मचारी।
पेंशनभोगी: सरकार से पेंशन पाने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारी।
उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Undertakings- PSU) और स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को इससे बाहर रखा गया है। PSU कर्मचारी अपने संगठन के लिए अलग-अलग वेतनमान का पालन करते हैं।
महंगाई भत्ता (Dearness Allowance)
महंगाई भत्ता (DA) एक जीवन-यापन लागत समायोजन है, जो भारतीय केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मुद्रास्फीति की भरपाई करने और क्रय शक्ति बनाए रखने के लिए दिया जाता है।
मुद्रास्फीति मापदंड: DA की गणना औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index for Industrial Workers [CPI-IW]) के आधार पर की जाती है, जो मुद्रास्फीति के रुझान को मापता है।
DA वृद्धि प्रयोज्यता: DA वृद्धि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के मूल वेतन पर लागू होती है, जिसमें कोई भी भत्ता या अतिरिक्त सुविधाएँ शामिल नहीं होती हैं।
महंगाई भत्ते के लिए फॉर्मूला: आयोग केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में संशोधन के लिए भी फॉर्मूला सुझाता है, जिसका उद्देश्य मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करना है।
वेतन आयोग में शामिल हैं:
अध्यक्ष: वित्त या सार्वजनिक नीति में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी या विशेषज्ञ।
दो सदस्य: वित्त, लोक प्रशासन या कानून जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ।
सहायक कर्मचारी: डेटा संग्रह और विश्लेषण में सहायता करने के लिए प्रशासनिक और अनुसंधान कर्मी।
वेतन आयोग के निर्णयों को प्रभावित करने वाले कारक
आर्थिक स्थितियाँ: देश की राजकोषीय स्थिति, GDP वृद्धि, मुद्रास्फीति दर और राजस्व संग्रह आयोग की सिफारिशों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
कर्मचारियों की माँगें: यूनियन और एसोसिएशन प्रायः उच्च वेतन, बेहतर भत्ते और बेहतर कार्य स्थितियों का समर्थन करते हैं।
जीवनयापन की लागत: आयोग मुद्रास्फीति, आवास लागत और शिक्षा व्यय जैसे कारकों पर विचार करता है, जो सीधे कर्मचारी के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
वैश्विक तुलना: समान भूमिकाओं में अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ वेतन समानता को कभी-कभी ध्यान में रखा जाता है, खासकर रक्षा और विशेष पदों के लिए।
तकनीकी उन्नति: प्रौद्योगिकी पर बढ़ती निर्भरता और बढ़ती कौशल आवश्यकताएँ वेतन और भत्तों के संशोधन को प्रभावित करती हैं।
बजटीय बाधाएँ: कर्मचारी माँगों को संबोधित करते समय, आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सिफारिशें सरकार की राजकोषीय क्षमताओं के साथ संरेखित हों ताकि राजकोष पर अनावश्यक दबाव से बचा जा सके।
वेतन आयोग का प्रभाव
आर्थिक विकास: उच्च वेतन उपभोग में सुधार करते हैं, जिससे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे क्षेत्रों में माँग बढ़ती है।
सरकारी व्यय: सिफारिशों के कार्यान्वयन से अक्सर राजकोषीय बोझ बढ़ जाता है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक बजट योजना की आवश्यकता होती है।
कर्मचारी मनोबल: उचित और संशोधित वेतनमान कर्मचारी संतुष्टि और उत्पादकता को बढ़ाते हैं।
पेंशनभोगी कल्याण: संशोधित पेंशन सेवानिवृत्त लोगों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे उनकी गरिमा और जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
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