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एंटीवेनम

Lokesh Pal January 23, 2025 03:09 64 0

संदर्भ

भारत को विश्व में ‘सर्पदंश की राजधानी’ (Snakebite Capital) माना जाता है, जहाँ प्रतिवर्ष 58,000 से अधिक सर्पदंश से संबंधित मौतें होती हैं।

  • केंद्रीय स्वास्थ्य जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Health Investigation-CBHI) की रिपोर्ट (2016-2020) के अनुसार, भारत में सर्पदंश के मामलों की औसत वार्षिक आवृत्ति लगभग 3 लाख है और लगभग 2,000 मौतें सर्पदंश के कारण होती हैं।

‘साँप के काटने से फैलने वाला जहर’ या स्नेकबाइट एनवेमनिंग (Snakebite Envenoming) के बारे में 

  • सर्पदंश के बाद चिकित्सा संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो समय पर और उचित उपचार न मिलने पर मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता का कारण बन सकती हैं।
  • विषाक्त प्रोटीन का मिश्रण: साँप का जहर विषाक्त पदार्थों का एक मिश्रण है, जो मानव शरीर को निष्क्रिय कर देता है।
    • हेमोटॉक्सिन: यह रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है और थक्के जमने में अवरोध उत्पन्न करता है।
    • न्यूरोटॉक्सिन: यह तंत्रिका संकेतों को अवरुद्ध करता है और शरीर को लकवाग्रस्त कर देता है।
    • साइटोटॉक्सिन: यह काटने वाली जगह पर ऊतक को नष्ट कर देता है।
  • WHO के दिशा-निर्देश: इसने ‘साँप के काटने से फैलने वाले जहर’ (Snakebite Envenoming) को वैश्विक स्तर पर उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) के रूप में वर्गीकृत किया है और साँप के काटने के मामलों के प्रभावी प्रबंधन के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
    • सूजन होने पर हानि से बचने के लिए शरीर के काटे गए हिस्से के आस-पास से कोई भी कसी हुई चीज हटा देना।
    • व्यक्ति को पूरी तरह से स्थिर अवस्था में लिटा देना, अंग को स्थिर रखने के लिए उस पर पट्टी बाँध देना और व्यक्ति को शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य सुविधा केंद्र ले जाना।
    • कुछ मामलों में काटने वाली जगह पर दबाव डालना उपयुक्त हो सकता है।
    • घाव में चीरा लगाने या छाँटने, ‘काले पत्थरों’ के प्रयोग जैसी पारंपरिक प्राथमिक चिकित्सा विधियों या औषधीय दवाओं के प्रयोग से बचना।
    • व्यक्ति को उसके सिर को नीचे करके रिकवरी अवस्था में लिटा देना ताकि उल्टी होने पर उसका दम न घुटे।
    • वायुमार्ग और साँस की बारीकी से निगरानी करना और आवश्यकता पड़ने पर उसे होश में लाने के लिए तैयार रहना।
    • स्वास्थ्य सुविधाओं के अंतर्गत सभी सर्पदंश मामलों को आपात स्थिति के रूप में देखना चाहिए और इन रोगियों का आकलन करने और बिना देरी किए उपचार शुरू करने को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • लक्षण: रक्तस्राव संबंधी विकार, किडनी की विफलता, लकवा, ऊतक क्षति और अंग-विच्छेदन।
  • उपचार: सुरक्षित और प्रभावी एंटीवेनम को व्यापक रूप से उपलब्ध और सुलभ बनाना, साँप के काटने से फैलने वाले जहर के विरुद्ध सबसे प्रभावी उपचार है।
    • एंटीवेनम (Antivenoms) को विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया गया है तथा इसे किसी भी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पैकेज का हिस्सा होना चाहिए, जहाँ सर्पदंश की घटनाएँ होती हैं।

भारत- विश्व की सर्पदंश राजधानी

  • भारत में साँपों की 300 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 60 से अधिक प्रजातियाँ विषैली होती हैं, जिनका प्रभाव हल्का से लेकर बहुत अधिक होता है।
  • आँकड़े: वर्ष 2020 के एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2001 से वर्ष 2014 के बीच भारत में लगभग 1.2 मिलियन मौतें सर्पदंश से हुईं और स्थायी दिव्यांगता के तीन गुना मामले सामने आए।
    • अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 250 भारतीयों में से एक को 70 वर्ष की आयु से पहले सर्पदंश से मृत्यु का जोखिम बना हुआ है।
  • कारण
    • ग्रामीण: कृषि श्रमिक, किसान, आदिवासी आदि साँप के काटने के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील होते हैं, विशेषकर मानसून के दौरान, जब साँप अधिक सक्रिय हो जाते हैं।
    • शहरी: तेजी से, अक्सर अनियोजित शहरीकरण, खराब अपशिष्ट प्रबंधन और शहरी बाढ़ ने मनुष्यों एवं साँपों के बीच टकराव को बढ़ा दिया है, जिससे शहर में रहने वाले लोग भी असुरक्षित हो गए हैं।
  • साँप के काटने के कारण उच्च मृत्यु दर 
    • आसानी से उपलब्ध नहीं: दूरदराज के इलाकों में समय पर चिकित्सा देखभाल एक बड़ी चुनौती है क्योंकि लोगों को अक्सर एंटीवेनम से संबद्ध स्वास्थ्य सेवा सुविधा तक पहुँचने के लिए लंबी दूरियाँ तय करनी पड़ती हैं।
    • समावेशी नहीं: उपचार की वर्तमान विधि अर्थात् पॉलीवेलेंट एंटीवेनम (Polyvalent antivenoms-PVAs) अन्य कम ज्ञात लेकिन विषैले साँपों जैसे कि किंग कोबरा, मोनोकल्ड कोबरा, बैंडेड क्रेट, सोचुरेक सॉ-स्केल्ड वाइपर (Sochurek’s Saw-scaled Viper), हंप-नोज्ड वाइपर और पिट वाइपर की कई प्रजातियों के जहर पर प्रभावी नहीं है।
    • लॉजिस्टिक संबंधी मुद्दे: एंटीवेनम को प्रायः कोल्ड स्टोरेज में ले जाने की आवश्यकता होती है और भारत के ग्रामीण इलाकों में सहायक बुनियादी ढाँचे और विद्युत आपूर्ति की कमी है।
    • उपचार में देरी: अंधविश्वास, सांस्कृतिक प्रथाएँ और पारंपरिक चिकित्सा को उपचार की पहली पंक्ति के रूप में उपयोग करने से उचित उपचार में देरी होती है।
    • अपर्याप्त सुविधाएँ: सहायक बुनियादी ढाँचे की कमी या एंटीवेनम के उचित संचालन के कारण वे भंडारण में खराब हो सकते हैं और अप्रभावी हो सकते हैं।
    • असमान पहुँच: एंटीवेनम के निर्माण की उच्च लागत आर्थिक रूप से वंचित लोगों के लिए पहुँच को सीमित करती है।

एंटीवेनम के बारे में

  • एंटीवेनम जीवन रक्षक दवाएँ हैं, जिनका उपयोग साँप के काटने के उपचार के लिए किया जाता है। भारत दुनिया में एंटीवेनम का सबसे बड़ा उत्पादक एवं उपभोक्ता है।
  • एंटीवेनम विषों से विशेष रूप से जुड़कर उन्हें अप्रभावी बनाते हैं, जिससे शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली समय के साथ उन्हें सुरक्षित रूप से स्वच्छ कर देती है।
  • उत्पादन प्रक्रिया: पहला एंटीवेनम 1890 के दशक में फ्राँसीसी चिकित्सक अल्बर्ट कैलमेट द्वारा घोड़ों पर प्रयोग करके बनाया गया था।
    • घोड़ों में साँप के जहर की थोड़ी मात्रा इंजेक्ट करके एंटीवेनम का उत्पादन किया जाता है, जो फिर उनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में एंटीबॉडी का उत्पादन करता है।
    • ये एंटीबॉडी घोड़े के खून से निकाले जाते हैं और शुद्ध करके एंटीवेनम के रूप में तैयार किए जाते हैं।
    • तमिलनाडु की इरुला जनजाति को साँप के जहर को इकट्ठा करने में महारत हासिल है, जिसे फिर फार्मा कंपनियों को एंटीवेनम बनाने के लिए आपूर्ति की जाती है।

  • भारत में भारत सीरम एंड वैक्सीन्स, हाफकाइन बायो-फार्मास्यूटिकल कॉरपोरेशन और वीआईएनएस बायोप्रोडक्ट्स सहित कई कंपनियाँ इस तरह से एंटीवेनम का उत्पादन करती हैं।
  • भारत में वर्तमान स्थिति: भारत में वर्तमान में पॉलीवेलेंट एंटीवेनम (PVAs) का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह सर्पदंश से होने वाली सर्वाधिक मौतों के लिए जिम्मेदार ‘बिग फोर’ को लक्षित करता है।
    • बिग फोर: भारतीय कोबरा (नाजा नाजा), कॉमन क्रेट (बंगारस कैर्यूलस), रसेल वाइपर (डाबोइया रसेली) और सॉ-स्केल्ड वाइपर (जीनस इचिस) से निकाले गए जहर का उपयोग भारत में PVAs बनाने के लिए किया जाता है।
  • एंटीवेनम विकास में भावी अनुसंधान
    • सिंथेटिक एंटीवेनम: पुनः संयोजक डीएनए प्रौद्योगिकी का उपयोग प्रयोगशाला में तैयार सिंथेटिक एंटीवेनम बनाने के लिए किया जा रहा है, जो पशु के व्युत्पन्न प्रोटीन से मुक्त हैं और अधिक सुरक्षा और प्रभावकारिता प्रदान करते हैं।
      • उदाहरण: वर्ष 2024 के नोबेल पुरस्कार विजेता डेविड बेकर के नेतृत्व में किए गए एक शोध में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके सिंथेटिक एंटीवेनम को सफलतापूर्वक डिजाइन करने की सूचना दी गई।
    • क्षेत्र-विशिष्ट एंटीवेनम: विष में क्रॉस-प्रजाति और भौगोलिक परिवर्तनशीलता पर शोध करते हुए, वैज्ञानिक क्षेत्र-विशिष्ट एंटीवेनम विकसित कर रहे हैं।
    • अनुकूलित एंटीवेनम: विषाक्त पदार्थों की संरचना का मानचित्रण करके, वैज्ञानिक अनुरूपित एंटीवेनम बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे अधिक उचित उपचार की संभावना है।

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