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अमेरिका का WHO से पीछे हटना तथा उसके भारतीय निहितार्थ

Lokesh Pal January 23, 2025 05:30 210 0

संदर्भ :

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से हटने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) वैश्विक स्वास्थ्य पर कार्य करने वाला संयुक्त राष्ट्र निकाय है। यह देशों के साथ मिलकर उनकी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के लिए कार्य करता है, इसके दिशा-निर्देश सरकारी नीतियों को निर्माण करने में मदद करते हैं तथा यह विशिष्ट बीमारियों से निपटने के लिए कार्यक्रमों को व्यवस्थित करने में मदद करता है।

कार्यकारी आदेश की मुख्य बातें

  • वित्त पोषण पर रोक : WHO को अमेरिका द्वारा दिए जाने वाले सभी वित्तपोषण और संसाधनों को रोक दिया जाएगा।
  • अमेरिकी कर्मियों को वापस बुलाया जाएगा : WHO से जुड़े सभी अमेरिकी सरकारी कर्मियों या ठेकेदारों को वापस बुलाया जाएगा।
  • वैकल्पिक भागीदारी : अमेरिका घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर विश्वसनीय, पारदर्शी भागीदारों की पहचान करेगा, जो पहले WHO द्वारा प्रबंधित गतिविधियों को संभालेंगे।
  • महामारी संधि वार्ता से बाहर निकलना : अमेरिका WHO की महामारी संधि के लिए वार्ता में अपनी भागीदारी बंद कर देगा। संधि को निम्नलिखित उद्देश्य से बनाया गया है:
    • वैश्विक महामारी की तैयारियों को बढ़ाना।
    • महामारी के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
    • टीकों और दवाओं जैसे चिकित्सा संसाधनों के न्यायसंगत बँटवारे के लिए तंत्र विकसित करना।
    • कार्यकारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस संधि के तहत कोई भी कार्रवाई अमेरिका को बाध्य नहीं करेगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की वित्त पोषण संरचना

  • मूल्यांकित योगदान : यह WHO के कुल बजट का 20% से भी कम कवर करता है, क्योंकि सदस्य राष्ट्रों का योगदान स्थिर रहा है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका : 22.5% (USD 578 मिलियन में से USD 138 मिलियन) का भुगतान करता है।
    • चीन : 15% (USD 87.6 मिलियन) का भुगतान करता है।
  • स्वैच्छिक योगदान : यह देशों तथा विभिन्न संगठन आदि से जुटाया जाता है। यह WHO के अधिकांश वित्त को कवर करता है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका: 13% (2023 में USD 356.3 मिलियन)।
    • चीन: 0.14% (USD 3.9 मिलियन)।
    • बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन: दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता।
    • अमेरिकी चुनावों को लेकर अनिश्चितता के कारण 2024 के वित्त पोषण राउंड में स्वैच्छिक योगदान में वृद्धि देखी गई। ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और स्पेन जैसे देशों ने $1.7 बिलियन देने का वादा किया।
  • बेहतर वित्तीय स्थिति : डब्ल्यूएचओ ने 2025-28 के लिए आवश्यक $7.1 बिलियन के बजट का 53% प्राप्त कर लिया, जबकि 2020-24 के लिए यह केवल 17% था।

भारत पर प्रभाव

  • स्वास्थ्य कार्यक्रम : WHO भारत में कई स्वास्थ्य कार्यक्रमों का समर्थन करता है, जिसमें उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग, एचआईवी, मलेरिया और तपेदिक पहल, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) और टीकाकरण कार्यक्रम शामिल हैं, जिसमें वैक्सीन निगरानी भी शामिल है।
    • वित्त पोषण में कटौती से WHO की इन कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने की क्षमता में बाधा आएगी ।
  • दिशा-निर्देशों पर प्रभाव : साक्ष्य-आधारित विशेषज्ञ समितियों के माध्यम से विकसित WHO के दिशा-निर्देश, अमेरिकी विशेषज्ञों की अनुपस्थिति से प्रभावित हो सकते हैं।
    • महामारी की तैयारी, बीमारियों के प्रबंधन और अन्य स्वास्थ्य पहलों के लिए रूपरेखाएँ अपनी व्यापक प्रकृति खो सकती हैं।
  • अमेरिकी CDC के साथ सहयोग : WHO और अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के बीच संबंधों का विच्छेद अंतर्राष्ट्रीय रोग निगरानी और वैश्विक स्वास्थ्य खतरों के लिए समन्वित प्रतिक्रियाओं को बाधित करेगा।

WHO से अलग होने के प्रावधान

  • डब्ल्यूएचओ संविधान : विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान के तहत इससे अलग होने का कोई प्रावधान नहीं है।
  • अलग होने के लिए अमेरिका की शर्त : जब 1948 में अमेरिका डब्ल्यूएचओ में शामिल हुआ था, तो अमेरिकी कांग्रेस ने एक शर्त रखी थी कि अगर एक वर्ष का नोटिस दिया जाए और चालू वर्ष के लिए वित्तीय दायित्वों को पूरा किया जाए, तो संगठन से अलग हुआ जा सकता है।

आगे की राह 

  • अमेरिका की कमी को पूर्ण करना : अमेरिका के पीछे हटने के बाद, चीन और भारत सहित वैश्विक दक्षिण के देशों से बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद है। यूरोप, एक अन्य संभावित दावेदार, रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अपने ध्यान के कारण संसाधनों की कमी से जूझ रहा है।
  • परोपकारी योगदान : अमेरिका द्वारा योगदान में कमी को बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) जैसे संगठनों द्वारा आंशिक रूप से भरा जा सकता है।
  • भारत की भूमिका : समग्र स्वास्थ्य पर भारतीय प्रधानमंत्री ने वैश्विक उदाहरण स्थापित किया है। भारत ने स्वयं को वैश्विक दक्षिण के लिए एक अग्रणी नेता के रूप में स्थापित किया है, जो समान वैश्विक स्वास्थ्य पहलों की वकालत करता है।
    • भारत, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ, वैश्विक दक्षिण में अन्य देशों के उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

निष्कर्ष 

स्पष्टतः डब्ल्यूएचओ से अमेरिका का हटना, भारत और वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों जैसे राष्ट्रों से मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका का बाहर होना वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन, भू-राजनीतिक गतिशीलता और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की वित्तीय स्थिरता के बीच के अंतर्सम्बन्ध को उजागर करता है। विश्लेषण कीजिए  कि यह घटनाक्रम वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व में भारत की भूमिका को कैसे प्रभावित करता है तथा बहुपक्षीय संस्थाओं में वैश्विक दक्षिण के उभरते प्रभाव के लिए इसके द्वारा प्रस्तुत अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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