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सुपर-एडिंगटन ब्लैकहोल की खोज

Lokesh Pal January 24, 2025 04:30 118 0

संदर्भ

‘LID-568’ नामक एक ब्लैकहोल सुपर-एडिंगटन एक्रीशन (Super -Eddington Accretion) गुणों को दर्शाते हुए, लगभग 40 गुना अधिक तेजी से आसपास के पदार्थ का स्वयं में समावेशन करते हुए कैप्चर किया गया।

अनुसंधान के बारे में

  • विषय: इस अध्ययन का विषय ‘LID-568’ के एडिंगटन सीमा से अधिक होने के कारण उसके आसपास पड़ने वाले प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण करना था।
    • LID-568 एक कम द्रव्यमान वाला सुपरमैसिव ब्लैकहोल है, जो बिग बैंग के ठीक 1.5 अरब वर्ष बाद से अस्तित्व में है।
  • संचालनकर्ता: यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय जेमिनी वेधशाला/एनएसएफ नोइरलैब (NSF NOIRLab) के खगोलशास्त्री ह्येवोन सुह (Hyewon Suh) के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किया गया था।
  • सैटेलाइट डेटा: ब्लैकहोल से आने वाले कुल प्रकाश और उसके द्रव्यमान को नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) और चंद्रा एक्स-रे वेधशाला के अवलोकनों का उपयोग करके मापा गया। 
    • ‘LID-568’ को पहली बार चंद्रा एक्स-रे वेधशाला के माध्यम से देखा गया था, क्योंकि यह एक्स-रे में असाधारण रूप से चमकीला था।
  • अनुसंधान
    • असाधारण फीडिंग दर: ‘LID-568’ ब्लैकहोल ऊपरी एडिंगटन सीमा से लगभग 40 गुना अधिक पदार्थ के आसपास के पदार्थ का स्वयं में समावेशन कर रहा था।
      • अब तक, सुपर एडिंगटन अभिवृद्धि देखी गई थी और अधिकतम दो या तीन के कारक तक सीमित थी।
    • दूरी: LID-568 अब तक का सबसे दूर का सुपर-एडिंगटन ब्लैकहोल है, जो पाया गया है। इससे पहले इन अन्य ब्लैकहोल में से सबसे दूर का ब्लैकहोल पृथ्वी से लगभग 2.3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर था।
    • आकाशगंगा बहिर्प्रवाह: LID-568 की आकाशगंगा में कुछ ही नए तारे बन रहे थे क्योंकि बहिर्वाह के कारण पदार्थ इतनी मात्रा में एकत्रित नहीं हो पा रहा था कि नए तारे का निर्माण हो सकें।
      • बहिर्वाह ब्लैक सुपरमैसिव होल के केंद्र से बाहर की ओर शक्तिशाली पदार्थ की धाराओं के संचालित होने का परिणाम है।
  • महत्त्व: यह खोज अतिविशाल ब्लैकहोल्स की उत्पत्ति एवं विकास के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है, क्योंकि यह सुझाव देती है कि बड़े ब्लैकहोल्स ने तेजी से समावेशन करने की अल्पकालिक घटनाओं के दौरान अपने वजन के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से में वृद्धि की होगी।

एडिंगटन सीमा के बारे में

  • एडिंगटन सीमा वह अधिकतम चमक है, जो कोई वस्तु विकिरण के बल के गुरुत्वाकर्षण पर नियंत्रण पाने से पहले उत्सर्जित कर सकती है।
    • यह वह दर है, जिस पर एक ब्लैकहोल पदार्थ का स्वयं में समावेशित करता है।
  • एडिंगटन सीमा तारों, एक्रीशन डिस्क और अंतरिक्ष में अन्य वस्तुओं पर लागू होती है।
  • नामकरण: इस सीमा का नाम अंग्रेजी खगोलशास्त्री आर्थर स्टेनली एडिंगटन के नाम पर रखा गया है और यह इस बात से संबंधित है कि एक ब्लैकहोल कितनी प्रकाशीय सीमा से चमक सकता है।
  • हाइड्रोस्टेटिक संतुलन: एडिंगटन सीमा विकिरण के बाहरी बल और गुरुत्वाकर्षण के आंतरिक बल के बीच संतुलन है। इस संतुलन को हाइड्रोस्टेटिक संतुलन (Hydrostatic Equilibrium) कहा जाता है।
  • अवधारणा
    • पदार्थ ब्लैकहोल के चारों ओर एकत्रित होता है और डिस्क में संगृहीत हो जाता है, यह गर्म हो जाता है और विकिरण उत्सर्जित करता है, विशेष रूप से एक्स-रे।
    • विकिरण का बल एक बाहरी दबाव उत्पन्न करता है, जो ब्लैकहोल के गुरुत्वाकर्षण बल का प्रतिकार करने में सक्षम है।
    • जब यह विकिरण दबाव गुरुत्वाकर्षण बल को संतुलित करता है, तो ब्लैकहोल पदार्थ को संगृहीत करना बंद कर देगा।
  • सुपर-एडिंगटन एक्रीशन: जब कोई वस्तु अपनी एडिंगटन सीमा को पार कर जाती है, तो विकिरण दबाव पदार्थ को उसमें समाहित होने देने के बजाय उससे दूर धकेल देता है।
    • कारण: एक तारकीय वस्तु सुपर-एडिंगटन एक्रीशन दर्शा सकती है, जब:- 
      • गैर-वृत्ताकार ज्यामिति संरचना: तारे या ब्लैकहोल की ज्यामिति के कारण यह एडिंगटन सीमा से आगे निकल सकता है।
      • अस्थिरताएँ: तारे या ब्लैकहोल में अस्थिरता के कारण यह एडिंगटन सीमा को पार कर सकता है।
    • सिद्धांत: कुछ सिद्धांत यह समझाने का प्रयास करते हैं कि ब्लैकहोल एडिंगटन सीमा को कैसे पार कर सकते हैं, जिनमें ज्यामितीय रूप से मोटी एक्रीशन डिस्क, शक्तिशाली ब्लैकहोल जेट और ब्लैक-होल विलय शामिल हैं।

ब्लैकहोल के बारे में

  • ब्लैकहोल एक अत्यंत सघन खगोलीय वस्तु है, जिसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है कि कुछ भी, यहाँ तक कि प्रकाश भी, इससे बच नहीं सकता है, वह उसे अपनी ओर आकर्षित कर लेगा। 
    • पहला खोजा गया ब्लैकहोल सिग्नस-X1 था।
  • इवेंट होराइजन (Event Horizon): यह ब्लैकहोल की सीमा है, जहाँ से बाहर निकलने के लिए आवश्यक वेग प्रकाश की गति से अधिक है, जो ब्रह्मांड की गति सीमा है। पदार्थ और विकिरण अंदर आते हैं, लेकिन वे बाहर नहीं निकल पाते हैं।
  • कैप्चर किया गया: ब्लैकहोल को पहली बार वर्ष 2019 में इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (EHT) द्वारा कैप्चर किया गया था।
    • पृथ्वी से 55 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर M87 आकाशगंगा के केंद्र में स्थित ब्लैकहोल को कैप्चर किया गया था।
  • प्रकार: ब्लैकहोल को उनके द्रव्यमान के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है, इसके दो स्थापित प्रकार हैं,
    • तारकीय ब्लैकहोल (Stellar Black Hole): इसका निर्माण तब होता है, जब किसी तारे के कोर में मौजूद परमाणु ईंधन समाप्त हो जाता है और उस तारे का पतन हो जाता है, जिससे सुपरनोवा विस्फोट होता है।
      • यदि नष्ट किए गए कोर में सूर्य के द्रव्यमान से तीन गुना अधिक द्रव्यमान है, तो यह एक ब्लैकहोल बन जाएगा।
    • सुपरमैसिव ब्लैकहोल (Supermassive Blackhole): वे एक आकाशगंगा के केंद्र में पाए जाते हैं, जिससे पता चलता है कि इनका निर्माण आकाशगंगा के निर्माण के एक भाग के रूप में हुआ है। ये ब्लैकहोल कैसे बने, यह अभी तक पता नहीं चल पाया है।

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