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भारतीय संसद में व्हिप प्रणाली

Lokesh Pal January 28, 2025 03:35 47 0

संदर्भ

हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पार्टी व्हिप (Whip) के उपयोग की आलोचना करते हुए कहा कि यह राजनीतिक दल संबंधी दिशा-निर्देशों को लागू करके सांसदों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करते हैं।

व्हिप क्या है?

  • व्हिप, पार्टी सदस्यों को जारी किया गया एक लिखित निर्देश है, जिसमें उन्हें विशिष्ट मुद्दों पर मतदान करने का निर्देश दिया जाता है।

‘व्हिप’ शब्द की उत्पत्ति

  • शब्द ‘व्हिप’ की उत्पत्ति इंग्लैंड के शिकार क्षेत्रों से हुई है, जहाँ ‘व्हिपर-इन’ का कार्य शिकारी कुत्तों को नियंत्रण में रखना होता था।
  • राजनीति में, इस शब्द को आंग्ल-आयरिश राजनीतिज्ञ एडमंड बर्क ने लोकप्रिय बनाया, जिन्होंने इसका प्रयोग मतदान के लिए पार्टी सदस्यों को एकत्रित करने के प्रयासों का वर्णन करने के लिए रूपक के रूप में किया।

भारत में व्हिप प्रणाली की संवैधानिक स्थिति

  • भारत में सचेतक के पद का कोई सीधा संवैधानिक या वैधानिक आधार नहीं है।
  • इस पद का उल्लेख न तो भारत के संविधान में है, न ही सदन की प्रक्रिया के नियमों में, और न ही किसी संसदीय कानून में।
  • इसके बजाय सचेतक प्रणाली संसदीय सरकार की परंपराओं पर आधारित है।

भारत में व्हिप प्रणाली का इतिहास

  • भारत में व्हिप प्रणाली देश के संसदीय इतिहास से जुड़ी हुई है।
  • यह विशेषकर महत्त्वपूर्ण मतदान के दौरान पार्टी अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

व्हिप के प्रकार

1. वन-लाइन व्हिप (One-Line Whip)

  • विवरण: एक बार रेखांकित, यह व्हिप पार्टी के सदस्यों को आगामी मतदान के बारे में सूचित करने के लिए जारी किया जाता है।
  • लचीलापन: यदि सदस्य पार्टी लाइन का पालन नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें मतदान से दूर रहने की अनुमति है।
  • उद्देश्य: मुख्य रूप से सख्त निर्देश के बजाय एक अधिसूचना के रूप में कार्य करता है।

2. टू-लाइन व्हिप (Two-Line Whip)

  • विवरण: यह व्हिप पार्टी के सदस्यों को मतदान के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश देता है।
  • लचीलापन: हालाँकि यह उपस्थिति को अनिवार्य बनाता है, लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं करता कि सदस्यों को किस तरह मतदान करना चाहिए।
  • उद्देश्य: यह सुनिश्चित करता है कि सदस्य पार्टी का समर्थन करने के लिए उपस्थित हों, लेकिन मतदान में व्यक्तिगत विवेक के लिए कुछ छूट दी जाती है।

3. थ्री-लाइन व्हिप (Three-Line Whip)

  • विवरण: व्हिप का सबसे कठोर प्रकार, तीन बार रेखांकित, अविश्वास प्रस्ताव जैसे महत्त्वपूर्ण अवसरों पर उपयोग किया जाता है।
  • दायित्व: सदस्यों को पार्टी लाइन के अनुसार उपस्थित रहना और मतदान करना आवश्यक है।
  • परिणाम: यदि कोई सदस्य ‘थ्री-लाइन व्हिप’ का उल्लंघन करता है, तो पार्टी का प्रमुख, सदन के पीठासीन अधिकारी को उसकी अयोग्यता की सिफारिश कर सकता है।
    • दलबदल विरोधी कानून के अनुसार, थ्री-लाइन व्हिप के उल्लंघन के लिए अयोग्यता हो सकती है।
  • उद्देश्य: महत्त्वपूर्ण संसदीय निर्णयों के दौरान कठोर पार्टी अनुशासन एवं एकता सुनिश्चित करना।

व्हिप प्रणाली को कौन लागू करता है?

  • मुख्य सचेतक: किसी राजनीतिक दल के मुख्य सचेतक के पास सचेतक प्रणाली को लागू करने की सबसे महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है।
    • कार्य: वे सुनिश्चित करते हैं कि पार्टी के सदस्यों को महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी के रुख के बारे में जानकारी हो और वे मतदान के दौरान मौजूद रहें।
  • अतिरिक्त सचेतक: मुख्य सचेतक के अलावा, अतिरिक्त सचेतक भी होते हैं, जो पार्टी अनुशासन को प्रबंधित करने और सदस्यों के अनुपालन को सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं। 
  • संसदीय कार्य मंत्री: संसदीय कार्य मंत्री लोकसभा में सरकार के मुख्य सचेतक के रूप में कार्य करते हैं। 
    • वह सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर सभी दलों के नेताओं से अनुरोध कर सकते हैं कि वे अपने सदस्यों को ‘थ्री-लाइन व्हिप’ जारी करें, ताकि महत्त्वपूर्ण मतदान के दौरान उनकी उपस्थिति एवं पार्टी लाइन का पालन सुनिश्चित हो सके।
  • संसदीय कार्य राज्य मंत्री: राज्यसभा में संसदीय कार्य राज्य मंत्री सरकार के मुख्य सचेतक के रूप में कार्य करते हैं।
    • लोकसभा की तरह ही यह मंत्री यह सुनिश्चित करता है कि महत्त्वपूर्ण मतदान के दौरान सत्तारूढ़ दल या गठबंधन के सदस्य पार्टी लाइन का पालन करें।

‘व्हिप प्रणाली’ का महत्त्व

  • संसदीय कार्यप्रणाली: ‘व्हिप प्रणाली’ यह सुनिश्चित करती है कि महत्त्वपूर्ण मतदान के दौरान पार्टियाँ अपनी क्षमता एवं एकता बनाए रख सकें।
    • सत्तारूढ़ दलों या गठबंधनों के लिए, मत विभाजन (मतदान) के दौरान पूर्ण उपस्थिति और अनुपालन को उनकी बहुमत शक्ति के संकेतक के रूप में देखा जाता है।
    • इसे प्रदर्शित करने में विफलता अविश्वास प्रस्तावों को जन्म दे सकती है।
  • पार्टी अनुशासन को बढ़ावा देना: व्हिप प्रणाली यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि पार्टी के सदस्य पार्टी के निर्णयों के प्रति वफादार रहें, जिससे एक सुसंगत विधायी एजेंडा बनाने में योगदान मिलता है।
  • पार्टी विचारधारा को लागू करना: व्हिप प्रणाली राजनीतिक दलों के लिए यह सुनिश्चित करने का एक साधन है कि उनके सांसद या विधायक पार्टी की विचारधाराओं तथा नीतियों के अनुरूप मतदान करें।
  • प्रभावी विधान: एक मजबूत व्हिप प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि महत्त्वपूर्ण कानून आसानी से पारित हो, विशेषकर जब सत्तारूढ़ पार्टी के पास कम बहुमत हो और उसे अपने सदस्यों की पूरी भागीदारी की आवश्यकता हो।

व्हिप प्रणाली की आलोचना

  • व्यक्तिगत पसंद को दबाना: आलोचकों का तर्क है कि व्हिप प्रणाली सांसदों की अंतरात्मा की स्वतंत्रता को कमजोर करती है, उन पर उनके व्यक्तिगत या क्षेत्रीय हितों के विपरीत तरीके से मतदान करने का दबाव डालती है।
  • राजनीतिक दबाव में वृद्धि: निलंबन या निष्कासन सहित अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का डर सांसदों या विधायकों पर अनुचित दबाव डाल सकता है, जिससे उन्हें पार्टी के निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, भले ही वे पार्टी के रुख से असहमत हों।
  • अलोकतांत्रिक तत्त्व: कुछ लोगों का मानना ​​है कि व्हिप प्रणाली व्यक्तिगत विचारों के आधार पर प्रभावी चर्चा एवं निर्णय लेने को बढ़ावा देने के बजाय राजनीतिक अनुरूपता की संस्कृति में योगदान देती है।

अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन

  • अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन, जो वर्ष 1952 में शुरू हुआ था, एक मंच के रूप में कार्य करता है, जहाँ पूरे भारत से पार्टी सचेतक विचार और रणनीतियों को साझा करने के लिए एकत्र होते हैं, तथा संसदीय प्रक्रियाओं में बेहतर समन्वय को बढ़ावा देते हैं।
  • संसदीय कार्य मंत्रालय भारत के संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मदद के लिए इस सम्मेलन का आयोजन करता है:
    • विभिन्न क्षेत्रों और दलों के सचेतकों के बीच अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को सुगम बनाना।
    • संसदीय दक्षता में सुधार और अनुशासन बनाए रखने के तरीकों पर चर्चा करना।
    • विधानसभा सत्रों के दौरान दलों के बीच बेहतर समन्वय के लिए रणनीति विकसित करना।
    • संसदीय प्रक्रियाओं और प्रथाओं पर आम सहमति बनाना।

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