हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के नामदफा नेशनल पार्क एवं टाइगर रिजर्व में एक नर हाथी को देखा गया है।
यह 12 वर्षों में पहली बार देखा गया है, इसकी आखिरी उपस्थिति वर्ष 2013 में दर्ज की गई थी।
संबंधित तथ्य
संरक्षण का महत्त्व: इस बारहाथी को जंगल के काफी अंदर देखा गया, जो पूर्व के वर्षों में सीमांत क्षेत्रों के पास देखे जाने के विपरीत है।
यह प्रवासन पैटर्न की संभावित पुनर्स्थापन का संकेत देता है एवं निरंतर संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
पारंपरिक प्रवास मार्ग: हाथियों ने ऐतिहासिक रूप से नामदफा राष्ट्रीय उद्यान के माध्यम से नामसाई (अरुणाचल प्रदेश) एवं म्याँमार के बीच प्रवास किया था।
इस मार्ग में बोगा पहाड़, बुलबुलिया, फर्मबेस, एम्बेयॉन्ग, 52वाँ माइल नाला, कोडबोई, म्याँमार (Boga Pahad-Bulbulia-Firmbase-Embeyong-52nd Mile Nallah-Kodboi-Myanmar) शामिल था।
नामदफा टाइगर रिजर्व के बारे में
अवस्थिति: चांगलांग जिले, अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। यह दक्षिण-पूर्व में म्याँमार की सीमा पर स्थित है एवं कमलांग वन्यजीव अभयारण्य के साथ एक सीमा साझा करता है। यह मिशमी पहाड़ियों (उत्तर-पूर्वी हिमालय) के ‘दफा बम’ पर्वतमाला एवं पटकाई पर्वतमाला के बीच स्थित है।
वन: विविध प्रकार के वन शामिल हैं:
उत्तरी उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन
उत्तर भारतीय उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन
पूर्वी हिमालयी आर्द्र शीतोष्ण वन
आर्द्र अल्पाइन झाड़ी वन
नदी प्रणाली: नामदफा नदी रिजर्व से उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। इस रिजर्व का नाम नामदफा नदी से लिया गया है।
नामदफा नदी अरुणाचल प्रदेश के ‘दफा बम’ ग्लेशियरों से निकलती है एवं दक्षिण की ओर बहती हुई ‘नोआ-दिहिंग’ नदी में मिल जाती है।
जैव-भौगोलिक महत्त्व: भारतीय उपमहाद्वीप एवं भारत-चीन जैव-भौगोलिक क्षेत्रों के जंक्शन पर स्थित है।
जीव-जंतु: हाथी, हिमालयी काले भालू एवं ‘सन बीयर’, हूलॉक गिब्बन (भारत का एकमात्र वानर) तथा स्लो लोरिस सहित विविध वन्यजीवों का क्षेत्र।
वनस्पतियाँ: अद्वितीय प्रजातियाँ जैसेपिनस मर्कुसी एवं एबिस डेलावी (पार्क के लिए विशेष); ब्लू वांडा, एक दुर्लभ तथा लुप्तप्राय आर्किड एवं मिशमी टीटा (कॉप्टिस टीटा), एक औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग स्थानीय जनजातियों द्वारा बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है।
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