हाल ही में उपभोक्ता मामलों के विभाग के लीगल मेट्रोलॉजी डिवीजन द्वारा ड्राफ्ट लीगल मेट्रोलॉजी (भारतीय मानक समय) नियम, 2025 प्रकाशित किए गए है।
मसौदा 14.02.2025 तक सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया है।
ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताएँ
ये नियम एक सरकारी परियोजना का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य IST को मिलीसेकंड से माइक्रोसेकंड सटीकता के साथ प्रसारित करके ‘वन नेशन, वन टाइम’ प्राप्त करना है।
इस परियोजना का लक्ष्य संपूर्ण भारत में पाँच विधिक मेट्रोलॉजी प्रयोगशालाओं से IST का प्रसार करने के लिए प्रौद्योगिकी एवं बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना है।
लक्ष्य: नियमों का लक्ष्य एकरूपता एवं सटीकता सुनिश्चित करते हुए सभी क्षेत्रों में भारतीय मानक समय (IST) को अनिवार्य समय संदर्भ के रूप में स्थापित करना है।
उद्देश्य: नियमों में समन्वयन के लिए प्रक्रिया, कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश और सटीकता के लिए मानक निर्धारित किए गए हैं, ताकि IST के साथ राष्ट्रव्यापी संरेखण सुनिश्चित किया जा सके और बेहतर प्रशासन, साइबर सुरक्षा तथा परिचालन दक्षता की सुविधा मिल सके।
तैयार: नियम सचिव (उपभोक्ता मामले) की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा तैयार किए जाते हैं, समिति में ये भी शामिल हैं,
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL), ISRO, IIT कानपुर, NIC, CERT-In, SEBI और रेलवे, दूरसंचार और वित्तीय सेवाओं जैसे प्रमुख सरकारी विभागों के प्रतिनिधि।
समय का संदर्भ: कानूनी, प्रशासनिक और आधिकारिक दस्तावेजों में समय के सभी संदर्भों को केवल भारतीय मानक समय (IST) के संदर्भ में माना जाएगा।
सिंक्रनाइजेशन अनिवार्य: IST के साथ कानूनी, प्रशासनिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों का सिंक्रनाइजेशन अनिवार्य है।
लीगल मेट्रोलॉजी
मेट्रोलॉजी माप का वैज्ञानिक अध्ययन है एवं लीगल मेट्रोलॉजी (विधिक माप विज्ञान) माप तथा माप उपकरणों के लिए कानूनी आवश्यकताओं का अनुप्रयोग है।
लीगल मेट्रोलॉजी सार्वजनिक सुरक्षा, पर्यावरण, ग्राहकों और व्यापारियों की सुरक्षा भी करती है और निष्पक्ष व्यापार के लिए आवश्यक है।
विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009: विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के अनुसार, भारत में सभी पैकेज्ड सामान, जैसे निर्यात सामान, खाद्य पदार्थ एवं उपभोक्ता उत्पादों की बिक्री या वितरण के लिए उपभोक्ता मामलों के मेट्रोलॉजी विभाग से लीगल मेट्रोलॉजी प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है।
प्राधिकरण: लीगल मेट्रोलॉजी निदेशक, विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के तहत पूर्व-पैकेज्ड वस्तुओं सहित वजन एवं माप के अंतर-राज्यीय व्यापार एवं वाणिज्य से संबंधित एक वैधानिक प्राधिकरण है।
प्रवर्तन: यह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, राज्य सरकारों द्वारा विधिक माप विज्ञान नियंत्रक एवं अन्य विधिक माप विज्ञान अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
अपवाद: वैज्ञानिक, खगोलीय एवं नेविगेशन आदि जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए वैकल्पिक टाइमस्केल (GMT, आदि) के उपयोग की अनुमति है, लेकिन पूर्व सरकारी अनुमोदन के साथ IST का उपयोग करने से छूट दी गई है।
सार्वजनिक संस्थानों के लिए: सरकारी कार्यालयों एवं सार्वजनिक संस्थानों को नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (NTP) एवं प्रिसिजन टाइम प्रोटोकॉल (PTP) जैसे सिंक्रोनाइजेशन प्रोटोकॉल को अपनाना आवश्यक है।
विश्वसनीयता: साइबर अटैक या व्यवधानों के दौरान लचीलापन एवं विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए साइबर सुरक्षा उपाय तथा वैकल्पिक संदर्भ तंत्र निर्धारित किए गए हैं।
अनुपालन एवं निगरानी: उल्लंघनों के लिए लगाए गए दंड के साथ सभी क्षेत्रों में अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए समय-सीमा का समय-समय पर ऑडिट किया जाएगा।
महत्त्व
व्यापक ढाँचा: यह विभिन्न क्षेत्रों में सटीक और एकसमान समय पालन प्राप्त करेगा, जैसे,
नेविगेशन, दूरसंचार, पॉवर ग्रिड, बैंकिंग, डिजिटल प्रशासन एवं अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान, जिसमें गहन अंतरिक्ष नेविगेशन तथा गुरुत्वाकर्षण तरंग का पता लगाना शामिल है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक: अभी IST को सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSPs) एवं इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) द्वारा अनिवार्य रूप से नहीं अपनाया गया है, जिनमें से कई GPS जैसे विदेशी समय स्रोतों पर निर्भर हैं।
रियल टाइम अनुप्रयोग: यह रणनीतिक, गैर-रणनीतिक, औद्योगिक और सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए एकीकृत तथा सटीक समय-निर्धारण ढाँचा प्रदान करेगा।
महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे का सुचारू संचालन: ये नियम संचार नेटवर्क, बैंकिंग, तकनीकी बुनियादी ढाँचे, उभरती प्रौद्योगिकियों (5G प्रौद्योगिकियाँ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, IoT) और सार्वजनिक सेवाओं को समन्वित करते हैं, जिससे निर्बाध बातचीत संभव होती है और आर्थिक दक्षता बढ़ती है।
औद्योगिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता: नियम उद्योगों को सटीक वित्तीय लेन-देन, कुशल विनिर्माण, तकनीकी एकीकरण एवं वैश्विक व्यापार इंटरैक्शन को बढ़ाने की सुविधा प्रदान करेंगे।
प्रशासनिक प्रभावशीलता: यह आपातकालीन प्रतिक्रिया समन्वय का समर्थन करने एवं सार्वजनिक परिवहन के लगातार शेड्यूल को सुनिश्चित करने जैसी सटीक एवं समन्वित प्रवर्तन गतिविधियों को संचालित करने की सरकार की क्षमता को बढ़ाएगी।
भारतीय मानक समय (IST)
भारतीय मानक समय (IST) को ब्रिटिश काल के दौरान 1 जनवरी, 1906 को अपनाया गया था एवं वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के बाद पूरे देश के लिए आधिकारिक समय के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी।
भारतीय मानक समय (IST) UTC (Coordinated Universal Time) पर आधारित है, जिसका ऑफसेट +5:30 घंटे है।
समन्वित सार्वभौमिक समय (UTC) फ्राँस के सेव्रेस में स्थित इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मेजर्स (BIPM) द्वारा प्रदान किया जाता है।
देशांतर: IST की गणना मिर्जापुर क्लॉक टॉवर के पास से गुजरने वाले 82°30’E पर IST संदर्भ देशांतर से की जाती है।
कार्यान्वयन एजेंसी: CSIR-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (CSIR-NPL) रखरखाव के लिए जिम्मेदार है एवं इसे इलाहाबाद वेधशाला की मदद से UTC तक मापन के लिए उत्तरदायी है।
डेलाइट सेविंग टाइम (DST): भारत मानक समय में वर्ष 1945 के बाद से डेलाइट सेविंग टाइम नहीं है।
इसका उपयोग वर्ष 1962 के चीन-भारत युद्ध एवं वर्ष 1965 एवं वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान संक्षेप में किया गया था।
IANA टाइम जोन डेटाबेस: IANA टाइम जोन डेटाबेस में इसे एशिया/कोलकाता के रूप में दर्शाया गया है।
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