प्रत्येक वर्ष 28 जनवरी को हमारे देश में पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की जयंती मनाई जाती है।
लाला लाजपत राय
लाला लाजपत राय भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रवादी नेता थे।
उन्हें लोकप्रिय रूप से ‘पंजाब केसरी’ (पंजाब का शेर) के नाम से भी जाना जाता था।
हिंदू धर्म एवं राष्ट्रवाद में दृढ़ विश्वास रखने वाले, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता तथा सामाजिक सुधारों के लिए कार्य किया।
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
जन्म-पंजाब के फिरोजपुर के ढुडीके गाँव में हुआ ।
शिक्षा- लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में कानून की शिक्षा ग्रहण की।
स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रभावित होकर आर्य समाज से जुड़ गए।
लाला लाजपत राय का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में भूमिका
19वीं सदी के अंत में कांग्रेस में शामिल हुए एवं कई विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।
वर्ष 1920 में उन्हें अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की माँग करते हुए कांग्रेस के उग्रवादी दल का समर्थन किया।
वर्ष 1907 में ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर मांडले जेल भेज दिया गया, लेकिन रिहाई के बाद भी उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा।
बाल गंगाधर तिलक एवं बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर लाल-बाल-पाल तिकड़ी बनाई, जिसने आक्रामक राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
वर्ष 1920 (कलकत्ता अधिवेशन) में कांग्रेस अध्यक्ष बने, जहाँ असहयोग आंदोलन को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया।
स्वदेशी आंदोलन में योगदान
बंगाल विभाजन के बाद शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन (1905) में सक्रिय रूप से भाग लिया।
लोगों को ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार करने एवं भारतीय उद्योगों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
भारत पर ब्रिटिश आर्थिक नियंत्रण को कमजोर करने के लिए स्थानीय रूप से निर्मित उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दिया।
असहयोग आंदोलन में नेतृत्व (1920)
वर्ष 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन (NMC) में अग्रणी भूमिका निभाई।
कांग्रेस ने उनकी अध्यक्षता में आंदोलन को मंजूरी दी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन में भूमिका (1930)
महात्मा गांधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) का सक्रिय समर्थन किया।
नमक सत्याग्रह एवं दांडी मार्च में भाग लिया।
भारतीयों को ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार करने, ब्रिटिश अधिकारियों के साथ सहयोग से इनकार करने एवं अनुचित कानून तोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण कई बार जेल गए।
पंजाब की राजनीति में भूमिका
पंजाब को हानि पहुँचाने वाली ब्रिटिश नीतियों का कड़ा विरोध किया।
रॉलेट एक्ट (1919) का विरोध किया, जिसने अंग्रेजों को बिना मुकदमा चलाए लोगों को गिरफ्तार करने की अनुमति दी थी।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919) के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
पंजाब में शिक्षा को बढ़ावा दिया एवं लाहौर में नेशनल कॉलेज (अब D.A.V. कॉलेज) की स्थापना की।
सामाजिक योगदान
छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष किया एवं सामाजिक सुधार के लिए कार्य किया।
अकाल प्रभावित लोगों की मदद करने एवं धर्म परिवर्तन रोकने के लिए हिंदू राहत आंदोलन (1897) की स्थापना की।
सामाजिक कल्याण के लिए काम करने के लिए ‘सर्वेंट्स ऑफ पीपुल सोसायटी’ (1921) की स्थापना की।
साहित्यिक योगदान: लाला लाजपत राय एक लेखक भी थे। उनकी कुछ प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल हैं-
युवा भारत
इंग्लैंड डेब्ट टू इंडिया
एवोल्यूशन ऑफ जापान
पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडिया
प्रॉब्लम ऑफ नेशनल एजुकेशन
द डिप्रेस्ड ग्लासेस और
यात्रा वृत्तांत ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका’।
संस्थागत योगदान
हिसार बार काउंसिल
हिसार आर्य समाज
हिसार कांग्रेस
नेशनल DAV प्रबंध समिति
पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना (1894)।
वर्ष 1917 में न्यूयॉर्क में होमरूल लीग ऑफ अमेरिका की स्थापना की गई।
मृत्यु
वर्ष 1928 में, लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध एक मौन विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते समय, अधीक्षक जेम्स स्कॉट के नेतृत्व में ब्रिटिश पुलिस द्वारा उन पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया था।
कुछ सप्ताह बाद शरीर की चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
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