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नाभिकीय संलयन ऊर्जा

Lokesh Pal January 31, 2025 03:41 200 0

संदर्भ 

हाल ही में चीन में प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक (Experimental Advanced Superconducting Tokamak-EAST) रिएक्टर ने 1,000 सेकंड (लगभग 17 मिनट) से अधिक समय तक अपनी परिचालन स्थिति बनाए रखकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है।

चीन के ईस्ट रिएक्टर में सफलता 

  • यह हालिया उपलब्धि वर्ष 2023 में स्थापित 400 सेकंड के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गई है।
  • वास्तविक जीवन में विद्युत उत्पादन करने वाले रिएक्टरों को इस स्थिति को लगातार कई घंटों, यहाँ तक कि कई दिनों तक बनाए रखने की आवश्यकता होगी।

नाभिकीय संलयन क्या है?

  • नाभिकीय संलयन वह प्रक्रिया है, जिसमें दो हल्के परमाणविक नाभिक मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं, जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा निष्काषित होती है।
  • यह वही प्रक्रिया है, जो सूर्य और अन्य तारों को शक्ति प्रदान करती है, जिससे यह भविष्य के लिए एक संभावित स्वच्छ और असीमित ऊर्जा स्रोत बन जाता है।

नाभिकीय संलयन कैसे कार्य करता है?

  • संलयन में, हाइड्रोजन के दो समस्थानिक (ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) अत्यंत उच्च तापमान पर टकराते हैं।

  • इससे भारी हीलियम नाभिक बनता है, साथ ही न्यूट्रॉन और ऊर्जा निकलती है।
  • उत्सर्जित ऊर्जा नाभिकीय विखंडन (वर्तमान में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में उपयोग की जाने वाली) की तुलना में बहुत अधिक होती है।

संलयन के लिए आवश्यक शर्तें

  • तापमान: करोड़ों डिग्री सेल्सियस, जो सूर्य के केंद्र से भी अधिक है।
  • पदार्थ की अवस्था: ऐसे तापमान पर, पदार्थ प्लाज्मा (आवेशित कणों का मिश्रण) के रूप में मौजूद होता है।
  • नियंत्रण: प्लाज्मा को शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग करके सीमित किया जाना चाहिए क्योंकि कोई भी भौतिक पदार्थ इतना तापमान सहन नहीं कर सकता है।

प्लाज्मा की स्थिरता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। चुंबकीय क्षेत्र में थोड़ी-सी भी गड़बड़ी अभिक्रिया को बाधित कर सकती है, यही वजह है कि हाल ही में मिली सफलता महत्त्वपूर्ण है।

नाभिकीय संलयन के लाभ

विशेषता

लाभ

असीमित ईंधन आपूर्ति हाइड्रोजन समस्थानिकों (समुद्री जल से ड्यूटेरियम और लीथियम से ट्रिटियम) का उपयोग करता है।
शून्य कार्बन उत्सर्जन इसमें कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल है।
कोई दीर्घकालिक परमाणु अपशिष्ट नहीं विखंडन के विपरीत, संलयन से खतरनाक रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न नहीं होता।
उच्च ऊर्जा उत्पादन 1 ग्राम संलयन ईंधन से 10 टन कोयले के बराबर ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।
पिघलने का कोई खतरा नहीं विखंडन रिएक्टरों के विपरीत, संलयन में विनाशकारी विफलता का खतरा नहीं होता है।

संलयन ऊर्जा प्राप्त करने में चुनौतियाँ

  • अत्यधिक तापमान की आवश्यकताएँ: प्लाज्मा को अत्यधिक तापमान पर गर्म बनाए रखना चाहिए।
  • निरंतर प्रतिक्रिया की कठिनाई: लंबे समय तक प्लाज्मा को सीमित रखना अस्थिर है।
  • उच्च प्रारंभिक लागत: अनुसंधान और रिएक्टर निर्माण के लिए अरबों डॉलर की आवश्यकता होती है।
  • अभी तक कोई वाणिज्यिक संलयन नहीं: वर्तमान संलयन प्रयोग अभी तक बिजली उत्पन्न नहीं करते हैं।

वैश्विक संलयन अनुसंधान में प्रगति

  1. इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (International Thermonuclear Experimental Reactor-ITER), कैडारैचे, फ्राँस: यह दुनिया की सबसे बड़ी नाभिकीय संलयन अनुसंधान परियोजना है।
  2. जेट प्रयोगशाला [JET Laboratory], यूके (2021): 5 सेकंड के लिए 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया, जो 10,000 घरों को बिजली देने के लिए पर्याप्त है।
  3. लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी [Lawrence Livermore National Laboratory], USA (2022): पहली बार शुद्ध ऊर्जा लाभ प्राप्त किया, जिसका अर्थ है कि ऊर्जा उत्पादन इनपुट से अधिक था।
  4. MIT अनुसंधान (2023): नई सामग्री विकसित की, जो संलयन रिएक्टरों के अंदर चरम स्थितियों का सामना कर सकती है।
  5. चीन की नई लेजर-इग्नाइटेड फ्यूजन परियोजना [China’s New Laser-Ignited Fusion Project] (2024): संलयन ऊर्जा का पता लगाने और संभावित रूप से थर्मोन्यूक्लियर हथियारों के अनुसंधान में सहायता करने के लिए विकसित की जा रही है।
  6. हेलियन (USA): वर्ष 2028 तक 50 मेगावाट बिजली उत्पन्न करने और इसे माइक्रोसॉफ्ट को आपूर्ति करने की योजना है।
  7. कॉमनवेल्थ फ्यूजन सिस्टम (USA): 2030 के दशक की शुरुआत तक 400 मेगावाट ग्रिड-स्केल फ्यूजन प्लांट बनाने के लिए MIT के साथ काम कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (International Thermonuclear Experimental Reactor-ITER)

  • ITER दुनिया की सबसे बड़ी नाभिकीय संलयन अनुसंधान परियोजना है, जिसका उद्देश्य स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा स्रोत के रूप में संलयन की व्यवहार्यता को प्रदर्शित करना है।
  • यह भारत सहित 30 से अधिक देशों को शामिल करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग है।
  • यह परियोजना फ्राँस के कैडारैचे में बनाई जा रही है और आशा है कि यह वाणिज्यिक नाभिकीय संलयन रिएक्टरों के विकास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगी।

ITER के उद्देश्य

  1. व्यवहार्यता का प्रदर्शन करें: यह सिद्ध करना कि नाभिकीय संलयन एक व्यावहारिक ऊर्जा स्रोत हो सकता है।
  2. उच्च शक्ति उत्पन्न करना: 50 मेगावाट के इनपुट से 500 मेगावाट संलयन शक्ति का उत्पादन करना।
  3. लंबी अवधि के लिए प्लाज्मा को बनाए रखना: विस्तारित अवधि के लिए प्लाज्मा को सीमित रखना।
  4. मुख्य प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करना: भविष्य के संलयन रिएक्टरों के लिए सामग्री और तंत्र विकसित करना।
  5. वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाना: प्लाज्मा व्यवहार और संलयन भौतिकी में अंतर्दृष्टि प्रदान करना।

संलयन ऊर्जा का भविष्य

  • हालाँकि वर्ष 2050 से पहले वाणिज्यिक संलयन रिएक्टर की संभावना नहीं है, लेकिन हाल ही में प्राप्त हुई सफलताओं ने आशावाद को बढ़ाया है।
  • सौर और पवन ऊर्जा के विपरीत, संलयन मौसम की स्थिति पर निर्भरता के बिना असीमित, निरंतर और स्वच्छ ऊर्जा प्रदान कर सकता है।
  • जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ती है और निवेश बढ़ता है, नाभिकीय संलयन ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है, जिससे जीवाश्म ईंधन और यहाँ तक कि अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कम प्रासंगिक हो जाएँगे।

नाभिकीय विखंडन

  • नाभिकीय विखंडन एक भारी परमाणु (जैसे यूरेनियम या प्लूटोनियम) को छोटे भागों में विभाजित करने की प्रक्रिया है।

  • जब एक भारी परमाणु विभाजित होता है, तो यह बहुत अधिक ऊर्जा और कुछ न्यूट्रॉन उत्सर्जित करता है, जो अधिक परमाणुओं को विभाजित कर सकता है, जिससे एक शृंखला अभिक्रिया प्रारंभ होती है।
  • इसका उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में विद्युत उत्पादन के लिए और परमाणु बमों में विस्फोटक ऊर्जा हेतु किया जाता है।
  • इससे बहुत अधिक ऊर्जा पैदा होती है, लेकिन रेडियोधर्मी अपशिष्ट भी बनता है, जिसे सावधानीपूर्वक नियंत्रित करना पड़ता है।

नाभिकीय संलयन एवं नाभिकीय विखंडन के मध्य अंतर

पहलू

नाभिकीय संलयन

नाभिकीय विखंडन

परिभाषा दो हल्के परमाणु नाभिक मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं, इसके परिणामस्वरूप  ऊर्जा उत्सर्जित होती है। एक भारी परमाणु नाभिक दो या अधिक छोटे नाभिकों में विभाजित हो जाता है, जिससे ऊर्जा मुक्त होती है।
प्रक्रिया सूर्य जैसे तारों में स्वाभाविक रूप से घटित होता है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और परमाणु बमों में उपयोग किया जाता है।
ऊर्जा उत्पादन विखंडन की तुलना में काफी अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। संलयन की तुलना में कम ऊर्जा उत्पन्न होती है।
प्रयुक्त ईंधन इसमें हाइड्रोजन (ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) के समस्थानिकों का उपयोग किया जाता है। इसमें यूरेनियम-235 और प्लूटोनियम-239 जैसे भारी तत्त्वों का उपयोग किया जाता है।
अपशिष्ट उत्पादन इससे न्यूनतम रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिससे यह अधिक स्वच्छ हो जाता है। खतरनाक रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न करता है।
अभिक्रिया की स्थितियाँ अत्यंत उच्च तापमान (लाखों डिग्री सेल्सियस) की आवश्यकता होती है। कम तापमान और नियंत्रित परिस्थितियों में हो सकता है।
पर्यावरणीय प्रभाव कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नहीं; सुरक्षित और स्वच्छ। इससे रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न होता है तथा पर्यावरणीय जोखिम उत्पन्न होता है।
व्यावहारिक प्रयोज्यता अभी भी अनुसंधान जारी है; अभी तक कोई वाणिज्यिक रिएक्टर नहीं बना है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।
जोखिम कारक शृंखला अभिक्रिया या पिघलने का कोई खतरा नहीं। परमाणु दुर्घटनाओं और विकिरण रिसाव का खतरा।

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