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MSME के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना

Lokesh Pal February 01, 2025 02:53 22 0

संदर्भ

भारत सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने के लिए MSME के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी योजना (MCGS-MSME) को मंजूरी दे दी है।

MSME के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना (MCGS-MSME) 

  • यह योजना वर्ष 2024-25 के बजट की घोषणा को पूर्ण करती है और इसका उद्देश्य प्लांट एवं मशीनरी/उपकरण खरीदने के लिए MSME ऋण पहुँच को बढ़ावा देना है।
  • ऋण पात्रता: वैध उद्यम पंजीकरण संख्या वाले MSME पात्र हैं।
  • अधिकतम ऋण राशि: इस योजना के तहत ₹100 करोड़ तक के ऋण को कवर किया जा सकता है।
  • परियोजना लागत: कुल परियोजना लागत ₹100 करोड़ से अधिक हो सकती है, लेकिन उपकरण/मशीनरी की न्यूनतम लागत परियोजना लागत का 75% होनी चाहिए।
  • ऋण अवधि
    • 50 करोड़ रुपये तक के ऋणों की पुनर्भुगतान अवधि 8 वर्ष तक होती है, जिसमें मूल किस्तों पर 2 वर्ष की स्थगन अवधि शामिल होती है। 
    • 50 करोड़ रुपये से अधिक के ऋणों के लिए, लंबी पुनर्भुगतान और स्थगन अवधि पर विचार किया जा सकता है।
  • गारंटी कवरेज: नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) ‘मेंबर लेंडिंग इंस्टिट्यूशन’ (MLI) को 60% गारंटी कवरेज प्रदान करेगी।
  • अग्रिम योगदान: उधारकर्ताओं को गारंटी कवर के लिए आवेदन करते समय ऋण राशि का 5% जमा करना होगा।
  • वार्षिक गारंटी शुल्क
    • स्वीकृति के वर्ष के दौरान शून्य।
    • अगले तीन वर्षों के लिए बकाया ऋण राशि पर 1.5% प्रति वर्ष।
    • उसके बाद 1% प्रति वर्ष।
  • योजना की अवधि: परिचालन दिशा-निर्देश जारी होने से चार वर्ष तक या संचयी गारंटी ₹7 लाख करोड़ तक पहुँचने तक, जो भी पहले हो, लागू रहेगी।
  • पात्र ‘मेंबर लेंडिंग इंस्टिट्यूशन’ (MLI)
    • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCB)
    • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC)
    • इस योजना के तहत NCGTC के साथ पंजीकृत अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (AIFI)।

योजना का प्रभाव

  • विनिर्माण क्षेत्र वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 17% का योगदान और 27.3 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार देता है।
  • विनिर्माण क्षेत्र की सकल घरेलू उत्पाद हिस्सेदारी को 25% तक बढ़ाने के लिए “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” पहल के साथ संरेखित करता है।
  • MSME को उपकरण/मशीनरी खरीदने के लिए ऋण तक आसान पहुँच की सुविधा प्रदान करता है, जिससे औद्योगिक विस्तार में तेजी आती है।
  • बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से MSME के लिए संपार्श्विक-मुक्त ऋण को प्रोत्साहित करता है।

योजना के पक्ष में तर्क

  • वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएँ बदल रही हैं, जिससे भारत अपने कच्चे माल, कम श्रम लागत और विनिर्माण विशेषज्ञता के कारण एक प्रमुख वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत के रूप में उभर रहा है।
  • विनिर्माण में सबसे बड़ी लागतों में से एक संयंत्र और मशीनरी (Plant & Machinery- P&M) / उपकरण है। यह योजना सुनिश्चित करती है कि MSME किफायती ऋण प्राप्त करके अपनी स्थापित क्षमता का विस्तार कर सकें।
  • उद्योग संघों ने विनिर्माण इकाइयों, विशेष रूप से मध्यम उद्यमों के लिए लगातार ऋण गारंटी योजना की माँग की है।
  • MCGS-MSME की शुरुआत से ऋण उपलब्धता में सुविधा होगी, MSME विकास को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक विनिर्माण में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

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